ओ.पी. पाल
भारतीय सेना की खुफिया इकाई में भी विदेश मंत्रालय की पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग में कार्यरत माधुरी गुप्ता की तरह ऐसे डबल एजेंट हैं जो पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इशारे पर खुफिया सूचनाओं को पाक के साथ भी साझा कर रहे हैं। ऐसे डबल एजेंटो पर सुरक्षा एजेंसियों की तीखी नजर है ओर ऐसे डबल एजेंटों की तलाश में जुट गई है, जिनमें सैन्य अधिकारियों के शामिल होने की आशंका भी जताई जा रही है।केंद्रीय गृह मंत्रालय को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सौंपी गई उस एक रिपोर्ट ने सरकार को चौकन्ना कर दिया है जिसे गंभीरता से लेते हुए देश की सुरक्षा एजेंसियां अब सेना की खुफिया इकाई के सूत्र के तौर पर काम करते हुए पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इशारे पर कथित रूप से सूचनाएं साझा करने वाले लोगों की तलाश में जुट गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार एक जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि शब्बीर रेंजू नाम के उस व्यक्ति ने कुछ मामलों में अपने फायदे के लिए सैन्य खुफिया इकाई और लश्कर दोनों में पैठ बनकार दोनों को ही छलने का काम किया है। सुरक्षा एजेंसियों की ओर से केन्द्रीय गृह मंत्रालय के साथ साझा की गई इस रिपोर्ट के तथ्यों पर नजर डाले तो जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा जावीद उर्फ बिल्ला नाम के एक व्यक्ति से की गई पूछताछ से इस प्रकार देश की गद्दारी करने के मामले की पुष्टि हुई है। बताया जा रहा है कि इस पूछताछ के दौरान जावीद ने पुलिस को बताया कि शब्बीर रेंजू उसे अपने साथ गत 25 अप्रैल को दिल्ली लेकर गया था, जहां उनकी मुलाकात वाहिद मौलवी नाम व्यक्ति से हुई थी। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि रेंजू, जावीद और वाहिद ने दिल्ली में ही किसी सैन्य खुफिया अधिकारी से मुलाकात की थी। सूत्रों ने बताया कि वे तीनों लोग उस सैन्य अधिकारी के साथ मुम्बई गए थे, जहां से जावीद को कुछ सामान प्राप्त करना था। हालांकि बताया गया कि वहां उसे वह सामान नहीं मिला, जिसकी उसे तलाश थी। बाद में वह मई के पहले हफ्ते में कश्मीर वापस लौट गया। इस जांच में यह भी पाया गया है कि रेंजू ने बटमालू के रहने वाले जावीद, वाहिद और एक अन्य व्यक्ति मुनीर से कहा था कि सैन्य खुफिया अधिकारी के साथ रहते कुछ विस्फोटक सामग्री को दिल्ली पहुंचाया जाना है। उस दौरान वे चारों लोग पाकिस्तान में लश्कर के आतंकवादियों वाहिद कश्मीरी, फुरकान और अहमद के भी सम्पर्क में थे। रिपोर्ट यह भी कहती है कि शब्बीर रेंजू इसके जरिए ज्यादा धन हासिल करने और साधारण कश्मीरी युवकों को फंसाने की फिराक में था। सूत्रों के अनुसार चूंकि यह अंतर्राज्यीय संजाल है और दिल्ली के खासकर कुछ व्यवसायियों के भी इसमें शामिल होने की वजह से मामला संगीन है जिसकी जांच करने की जरूरत है। सुरक्षा एजेंसियां सेना के उस खुफिया अधिकारी से भी पूछताछ करना चाहती हैं जो रेंजू के साथ अभियान को अंजाम दे रहा था। सेना की ओर से अप्रैल में आतंकवादियों की गतिविधियों के बारे में खुफिया सूचनाएं साझा किए जाने के बाद यह मामला सामने आया। इंटरनेशनल मोबाइल आईडेंटिटी नम्बर और इंटरनेशनल मोबाइल सब्सक्राइबर आईडेंटिटी नम्बरों के आधार पर पुलिस ने श्रीनगर के निवासी उमर जारगर को गिरफ्तार किया है। जारगर कथित तौर पर तहरीक-उल-मुजाहिदीन के आतंकवादी उमैर के लिए वाहक के रूप में काम करता था। उसके खिलाफ मुकदमे की कारर्वाई से रेंजू के सैन्य खुफिया इकाई में सम्बन्धों के बारे में पता लगा। इन सूचनाओं को गृहमंत्रालय ने गंभीरता से लेते हुए भारतीय सेना की खुफिया इकाई के ऐसे डबल एजेंटों पर नजर रखने के निर्देश दिये हैं जो पाक के साथ खुफिया सूचनाएं साझा कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह जिक्र नहीं किया गया सेना ख़ुफ़िया सूचना पर ऐसे लोगों पर कितना धन खर्च कर चुकी है। जाहिर है क़ि देश के लिया गद्दार सेना के अधिकारी भी पाक आतंकी संगठन से आने वाली रकम में हिस्सेदार होंगे. इसलिए भारत सर्कार को ऐसे लोगो को बेनकाब करके उन्हें कठोर सजा देनी चाहिए।
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