कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को जिस प्रकार से पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा था, उसी प्रकार अगले माह बिहार विधानसभा चुनाव भी उनके लिए एक ओर अग्नि परीक्षा साबित होंगे। यही नहीं बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक प्रतिष्ठा का सवाल भी बने हुए हैं, जहां से कांग्रेस की देश में उसके वजूद को नई दिशा और दशा मिलने की उम्मीदें लगाई जा रही हैं।
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले ही बिहार में युवा शक्ति को ऊर्जा देने के लिए उसी प्रकार मिशन शुरू किया जिस प्रकार से उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए एक अभियान चलाया था। राहुल ने बिहार में कांग्रेस पाटी्र के मामलों में सक्रियता से भाग ले रहे हैं। युवक कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के प्रभारी राहुल ने युवक कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव कराने का आधार तैयार करने के लिए इस वर्ष की शुरूआत में बिहार में कई बैठकें की हैं। इस महीने की शुरूआत में उन्होंने राज्य में फिर बैठकें कर कई मुद्दे उठाए और युवाओं, किसानों तथा समाज के अन्य वर्गों को लामबंद करने के लिए विकास के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया। युवक कांग्रेस के लिए संगठन के चुनाव बिहार में सफल रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी बिहार में राहुल मिशन को हवा देगी यानि युवाओं को उम्मीदवारी के लिए मैदान में उतार सकती है। बिहार विधानसभा चुनाव को एक नजरिए से कांग्रेस युवराज राहुल गांधी के लिए अग्नि परीक्षा माना जा रहा है, जहां राजद और लोजपा से अलग होकर कांग्रेस ने अपने बलबूते पर विधानसभा चुनाव में आने का निर्णय लिया है। पार्टी सूत्रों की माने तो बिहार में कांग्रेस पार्टी युवक कांग्रेस के निर्वाचित सदस्यों को पार्टी की ओर से उस स्थिति में उम्मीदवार बनाने की योजना बना रही है जहां कांग्रेस जीतने की स्थिति में होगी। कांग्रेस का यह प्रयोग पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल की युवाओं को टिकट देने का सक्रियता से सफल भी रहा है। उसे देखते हुए संभावना है कि इस अनुभव को कांग्रेस बिहार में भी भुनाने का प्रयास करेगी। ऐसी संभावनाएं भी पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि बिहार के लिए राहुल का चुनावी कार्यक्रम जहां अब भी तैयार होना है, वहीं पार्टी नेताओं के समर्थन से वह कई रैलियां करेंगे ताकि कार्यकतार्ओं का उत्साह बढ़ा सकें और राज्य में पार्टी की पुरानी शान को वापस ला सकें। राहुल गांधी के बिहार में पार्टी में सक्रियता के कारण ही हाशिए पर रही कांग्रेस उस स्थिति में खड़ी हैं जहां बीते 20 वर्ष से राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस के पास अब हर पंचायत में युवक कांग्रेस के सदस्य हैं। हर पंचायत में युवक कांग्रेस के दो निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। इसी तरह विधानसभा तथा लोकसभा स्तर पर भी दो-दो प्रतिनिधि हैं जो राज्य में पार्टी के पथ प्रदर्शक की तरह हैं। बिहार में पार्टी में संगठन की दृष्टि से कांग्रेस का ढांचा मौजूदा स्थिति में तैयार है, जिसके तहत राज्य स्तर पर भी पार्टी के पदाधिकारी मौजूद हैं जो कांग्रेस का ग्राफ सुधारने की दिशा में काम कर रहे हैं। कांग्रेस को यह भी उम्मीद है कि राहुल के मिशन से बिहार में पार्टी में नई जान फूंकने में मदद मिलेगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना है कि बिहार में बीमार कांग्रेस को एक अच्छा डॉक्टर मिला है जिसने सही दवा दी और कांग्रेस में ऊर्जा नजर आने लगी है। मसलन बिहार में राहुल गांधी के दौरे के बाद वहां लोगों के नजरिए में परिवर्तन नजर आया है। कांग्रेस प्रवक्ता डा. शकील अहमद भी मानते हैं कि राहुल गांधी के बिहार दौरे ने कांग्रेस की जमीन को बढ़ाया है और निश्चित रूप से विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस पार्टी एक शक्ति के रूप में उभरकर सामने आएगी। आगामी 21 अक्टूबर से छह चरणों में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रतिष्ठा इसलिए भी दांव पर लगी है कि वहां राजद व लोजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद संगठनात्मक ढांचे में भी काफी परिवर्तन किया गया है, जिसके कारण पार्टी की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर नजर लगी हुई है। इसका कारण भी साफ है कि चुनाव की घोषणा से पहले ही बीते दो महीने में एक दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रियों का दौरा करा कर प्रयास शुरू कर दिए हैं। चुनाव को देखते हुए अधिक केंद्रीय मंत्रियों के राज्य में जाने की संभावना है।
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