गुरुवार, 30 सितंबर 2010

राष्ट्रमंडल: गवाह नहीं बन पाएंगे कई सितारे

ओ.पी. पाल
दुनिया के कई खेल सितारे ऐसे हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन से बड़े सितारों के रूप में उभरकर सामने आये हैं, लेकिन ऐसे ही कई सितारे दिल्ली में होने वाले 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में नजर नहीं आएंगे या यूं कहें कि दर्शक इन सितारों के प्रदर्शन से वंचित रहेंगे। इनमें भारत के ही एथेंस ओलंपिक में राइफल के सटीक निशाना लगाकर रजत पदक हासिल करने वाले राज्यवर्धन राठौड़ भी शामिल हैं। जबकि जमाइका के फर्राटा धावक उसैन बोल्ट, डेविड रूदिषा, स्टेफनी राइस, शैली एन फ्रेजर आदि कई नामी खेल हस्तियां भी राष्ट्रमंडल खेलों की गवाह नहीं बन पाएंगी।
राज्यवर्धन राठौड़:
भारत के निशानेबाज राज्यवर्धन राठौड़ जो एथेंस के ओलंपिक में राइफल के सटीक निशाने से रजत पदक झटककर हाल के बरसों में एक बड़ा सितारा बन कर उभरे हैं और दुनिया भी उन्हें एक नामी निशानेबाज मे रूप में जानने लगी है, लेकिन अंतिम समय पर स्वयं राठौड़ ने अपने आपको न जाने क्यों राष्ट्रमंडल खेलों से अलग कर लिया है। इसका कारण तो कोई नहीं जानता, लेकिन बीजिंग ओलंपिक में अपने निराशाजनक प्रदर्शन से शायद वह व्यवथित हैं? लेकिन भारत या दुनिया फिर भी उन्हें बड़ा नाम मानकर चल रही है। यह भी बताया जा रहा है कि राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी से खुद को अलग करने वाले राठौड़ पुणे में निशानेबाजी के ट्रायल से अचानक ही गायब हो गये। दूसरी ओर भारतीय निशानेबाजी संघ पहले ही साफ कर चुका था कि जो खिलाड़ी ट्रायल में हिस्सा नहीं लेंगे, उनके नाम पर विचार ही नहीं किया जाएगा और इसी नियम के आधार पर राठौड़ का नाम राष्ट्रमंडल से काट दिया गया। ऐसे में अब चीन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले अभिनव बिंद्रा और लंदन ओलंपिक में क्वालीफाई कर चुके गगन नारंग सहित दूसरे शूटरों की लिस्ट जारी हो हो चुकी है। दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि एक तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राठौड़ का प्रदर्शन हाल के सालों में अच्छा नहीं रहा है और वहीं भारतीय राइफल एसोसिशन के साथ उनकी नहीं बन पा रही है, जिसकी वजह से शायद राठौड़ ने राष्ट्रमंडल खेलों से अपने आपको दूर रखने का फैसला किया है।
उसैन बोल्ट:
भारत को इस बात से निराशा जरूर हो रही है कि दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में पलक झपकते ही 100 मीटर की दूरी पार करने वाले जमाइका के फर्राटा धावक उसैन बोल्ट भी हिस्सा नहीं ले रहे हैं, जिससे खेल प्रेमियों को ही नहीं, बल्कि भारत को भी निराशा है। बोल्ट ऐसे धावक हैं जो अपने ही वर्ल्ड रिकॉर्ड को बार बार तोड़ने की आदत में शुमार हो चुके है और उनकी दीवानगी भारत में भी कम नहीं है। यहां तक कि 24 साल के बोल्ट के स्वयं मास्टर बलास्टर सचिन तेंदुलकर भी दीवाने हैं। बीजिंग ओलंपिक में उसैन ने 100 मीटर, 200 मीटर और 4100 मीटर बाधा दौड़ में सोने का तमगा हासिल कर तहलका मचा दिया था। भारत को इस बात की पूरी उम्मीद थी कि राष्ट्रमंडल खेलों में बोल्ट अवश्य आएंगे, लेकिन कुछ महीनों पहले ही उसैन बोल्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि दिल्ली के राष्ट्रमंडल खेलों से कहीं ज्यादा उनके लिए 2012 का लंदन ओलंपिक जरूरी है और वह उसी की तैयारी में व्यवस्त रहेंगे। यह भी गौरतलब है कि घायल होने की वजह से बोल्ट ने 2006 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी हिस्सा नहीं लिया था और उनकी गैरमौजूदगी में जमाइका के असाफा पॉवेल ने मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में 100 मीटर रेस जीती थी। ओलंपिक से पहले होने वाली वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप को भी बोल्ट राष्ट्रमंडल खेलों से कहीं ज्यादा गंभीरता से ले रहे हैं। लिहाजा यही कारण है कि बोल्ट भी भारत में हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों के गवाह नहीं बन पाएंगे।
डेविड रूदिषा:
दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल आयोजकों का मानना है कि उसैन बोल्ट नहीं आएंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ता, दूसरे दौड़ाक भी कोई कमजोर नहीं हैं, लेकिन खेल प्रेमियों को पता है कि अगर बोल्ट नाम का तूफान नहीं आया, तो दूसरा दौड़ाक शायद 10 सेकंड के अंदर 100 मीटर न भाग पाए। खेल प्रेमी अभी बोल्ट के न आने की सूचना से उभरे भी नहीं थे कि एक और बड़ा झटका तब लगा जब केन्या के कुछ ही दिन पहले बने 800 मीटर के विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले डेविड रूदिषा ने भी दिल्ली आने से मना कर दिया। रूदिषा के अनुसार लगातार प्रतियोगिताएं में भागते आ रहे केन्या के स्टार अब कुछ आराम चाहते हैं।
स्टेफनी राइस:
राष्ट्रमंडल खेलों के लिए यह भी अच्छी खबर नहीं है कि जलपरी के नाम से मशहूर आस्ट्रेलिया की स्टार तैयार स्टेफनी राइस भी दिल्ली नहीं आ रही हैं। इसका कारण वह घायल हैं और उन्हें आपरेशन कराना पड़ रहा है। बीजिंग ओलंपिक्स में तीन सोने के तमगे हासिल करने वाली राइस को लेकर राष्ट्रमंडल आयोजन समिति बेहद उत्साहित थी, लेकिन ऐन मौके पर उन्होंने नहीं आने का फैसला किया है। 400 मीटर की तैराकी में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली राइस अपने देश में हुए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में 200 मीटर का सोने का तमगा जीत चुकी हैं। हालांकि राष्ट्रमंडल खेल से बड़े खिलाड़ियों का दूर रहना कोई नई बात नहीं है।अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन खेलों की कोई खास साख नहीं है और बड़े स्टार यहां वक्त बर्बाद करने की जगह एक साल बाद होने वाले वर्ल्ड चैंपियनशिप या दो साल बाद होने वाले ओलंपिक्स की तैयारी करना पसंद करते हैं।
शैली एन फ्रेजर:
डोप टेस्ट की पकड़ में आने के कारण जमाइका की फरार्टा महिला धावक शैली एन फ्रेजर भी राष्ट्रमंडल खेलों की गवाह नहीं बन पाएगी। 24 साल की फ्रेजर के नाम 100 मीटर का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। उनके अलावा बोल्ट के स्थान पर जमाइका के असाफा पॉवेल भी दिल्ली नहीं आ रहे हैं। जबकि चार बार के ओलंपिक चैंपियन स्कॉटलैंड के साइकलिस्ट क्रिस होए, धावक ड्वेन चैंबर्स, इंग्लैंड की जेसिका एनिस, जमाइका के वेरोनिका कैम्पबेल ब्राउन, ट्रैक साइकिल चैंपियन विक्टोरिया पेंडेलटन और यूरोप की चैंपियन जिमनास्ट डेनियल कीटिंग भी राष्ट्रमंडल खेलों के लिए दिल्ली नहीं आ रहे हैं। वहीं ब्रिटेन के लम्बी दूरी के चैम्पियन धावक मोहम्मद फराह द्वारा भी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों से अपना नाम वापस लेकर एक झटका दिया है। दुनियाभर के कई सितारों के दिल्ली न आने का कारण यह भी माना जा रहा है कि इन खेलों की तारीखें अंतर्राष्ट्रीय प्रैक्टिस की तारीखों से कई बार भिड़ रही हैं।

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