ओ.पी. पाल
चीन ने भारत के साथ लगी सीमा पर मिसाइलों की तैनाती, गिलगिट में हजारों सैनिक तैनात करके एक बड़े युद्ध अभ्यास की तैयारियों को अंजाम देकर भारत के लिए खतरे की घंटी बजा दी है? हाल ही में वीजा विवाद के बाद भारत और चीन के बीच रोका गया सैन्य सहयोग को देखते हुए चीन का आतंकवाद के खिलाफ सैन्य अभ्यास के नाम पर युद्ध अभ्यास भारत के लिए खतरे के संकेत बताए जा रहे हैं।भारत ने चीनी सेना के इस युद्ध अभ्यास की तैयारियों को चिंता का विषय मानते हुए हालांकि चीन से लगी अपनी सीमाओं पर सतर्कता बरतने की नीति को तेज करने पर जोर दिया है। इसका कारण साफ है कि भारत से लगती करीब चार हजार किलोमीटर की सीमा रेखा के पास चीन ने लंबी दूरी तक मार करने वाली कई मिसाइलों की तैनाती पहले ही कर दी है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर से सटे गिलगिट इलाके में भी करीब 15 हजार चीनी सैनिक डटे हुए हैं। यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि चीन की युद्ध संबंधी मंशा का अंदाजा इसी बता से लगाया जा सकता है कि कुछ दिनों पहले चीन के सरकारी अखबार 'पीपल्स डेली' ने एक सर्वे में यह पूछा था कि क्या चीन को भारत से युद्ध लड़ना चाहिए। जिसके जवाब में लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी थी। ऐसे में माना जा रहा है कि चीन सैन्य मोर्चे पर अपनी तैयारियों के अलावा देश में युद्ध के लिए जनमत को तैयार करने और उसे टटोलने का काम कर रहा है। चीन के मंसूबे साफ हैं और भारत को समय रहते चौकन्ना होने की जरूरत है। ऐसी स्थिति में भारत हमेशा चीन पर विश्वास जताते हुए यही कहता रहा है कि चीन से भारत के हर क्षेत्र में आपसी सहयोग में बढ़ोतरी हो रही है और भारत को चीन से कोई खतरा नहीं है, लेकिन वीजा के मामले पर बढ़ी तल्खी से टूटा सैन्य सहयोग इस बात को जाहिर कर रहा है कि पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ा रहे चीन के भारत के प्रति मंसूबे खतरे से कम नहीं हैं। भारत के साथ लगी सीमा पर मिसाइलों को तैनाती, गिलगिट में हजारों की तादाद में सैन्य जमावड़े के बाद चीनी सेना सितंबर में एक बड़े युद्ध अभ्यास में हिस्सा लेने की तैयारी इस बात का संकेत जरूर कर रही है कि चीन ने इस तैयारी से भारत के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। चीन ने अपनी सैन्य गतिविधियां तेज करते हुए 'पीस मिशन 2010' के नाम पर अपने करीब एक हजार सैनिकों को 9 सितंबर से 25 सितंबर, 2010 तक कजाकिस्तान के अलमाटी और ओटार शहर में युद्ध के अभ्यास के लिए भेजने का फैसला किया है। हालांकि चीन ने इस युद्ध अभ्यास को 'आतंकवाद के खिलाफ सैनिक अभ्यास' की संज्ञा दी है।
चीन के रक्षा मंत्रालय से आ रही खबरो में कहा जा रहा है कि कि 'पीस मिशन 2010'के तहत 'एंटी-टेरर मिलिट्री एक्सरसाइज' में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और तजाकिस्तान के करीब 5 हजार सैनिक अभ्यास करेंगे। इनमें मिलिट्री, एयरफोर्स और नेवी के जवान शामिल होंगे। इसके अलावा चीन की नौसेना पीले सागर में सैन्य अभ्यास शुरू करेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी नौसेना आगामी बुधवार से शनिवार तक चीन और कोरियाई प्रायद्वीप के बीच पीले सागर में सैन्य अभ्यास करेगा, जिसमे जहाज में लगे हथियारों से गोलीबारी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह भी माना जा रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ मिलिट्री एक्सरसाइज की आड़ में चीन युद्ध से जुड़ी अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देगा। हाल के कुछ दिनों में भारत और चीन के रिश्तों में भारतीय सेना के वरिष्ठ अफसर को चीन की यात्रा के लिए वीजा जारी न किए जाने पर कड़वाहट आ गई है। हालांकि भारत के साथ वीजा विवाद को कम करने के उद्देश्य से चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों के बीच सैन्य संबंध बहुत मजबूत हैं और ऐसी घटनाओं से इन संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यही बात वीजा विवाद के बाद भारत के रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने कही थी। भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही दोनों देश इस कडवाहट को भुलाने के लिए इस प्रकार दावे कर रहे हों, लेकिन भारत को चीन से पूरी तरह चौकन्ना रहने की जरूरत है, क्योंकि इससे पहले चीन की हरकतों से भारत की भावनाएं एक बार नहीं कई बार आहत हुई हैँ। भारत को इसलिए भी चौकस रहने की जरूरत है कि पाकिस्तान भी चीन की गोद में बैठा हुआ है, जो भारत के खिलाफ चीन पर आंख मूंदकर विश्वास कर अपनी नजदीकियों को परवान चढ़ा रहा है।
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