उन्नीसवें राष्ट्रमंडल खलों में जहां टेनिस, बैडमिंटन और बॉक्सिंग, कुश्ती जैसी स्पर्धाओं में भारतीय खिलाड़ियों ने अपना शानदार प्रदर्शन करने का लक्ष्य बनाया है उसी के विपरीत एथलेटिक्स में भारत के पास स्टार खिलाड़ियों की भरमार तो नहीं है, लेकिन फिर भी भारतीय कुछ भारतीय एथलीट चौंकाने वाले नतीजे दे सकते हैं, जिसकी मेजबान देश को उम्मीदें भी लगी हुई हैँ। हालांकि यह एक कड़वी सच्चाई है कि एथलेटिक्स में भारत के पास स्टार खिलाडियों का अभाव है, लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रमंडल खेलों में एथलेटिक्स की 45 प्रतियोगिताओं में भारत की ओर से 90 खिलाडियों की टीम मैदान में उतारी जा रही है। इनमे से 46 पुरुष और 44 महिलाएं है। पुरुषों में जहां ट्रिपल जम्प में रंजीत महेश्वरी पर सभी की निगाहें टिकी हैं, तो महिला वर्ग में भारत को जिन स्टार खिलाडियों से पदक कि उम्मीद की जा रही है उनमे धावक ही अहम हैं, इनमें से मैराथन दौड़ के लिए एकमात्र खिलाडी सुकन्या मल सिंह और दूसरी अन्य धावक कविता राउत, टीटू लुका, मंजीतकौर और प्रिंजा श्रीधरन का नाम प्रमुख है।
रंजीत महेश्वरी (ट्रिपल जम्प)
रंजीत महेश्वरी ट्रिपल जम्प में राष्ट्रीय रिकॉर्डधारक हैं। दिल्ली में एशियाई आल स्टार एथलेटिक्स मीट में रंजीत की अगुआई में ही भारतीय एथलीटों ने कड़ी चुनौती से पार पाते हुए प्रतियोगिता के अंतिम दिन 31 अगस्त को दमदार प्रदर्शन किया। इसमें रंजीत ने 16.74 मीटर की कूद के साथ स्वर्ण पदक जीता। इस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतने वाले वह पहले भारतीय हैं। इसी प्रदर्शन को देखते हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भी रंजीत से एथलेटिक्स में पदक की काफी उम्मीदें टिकी हैं। फिलहाल बेहतर फॉर्म में चल रहे इस युवा खिलाडी ने पदक जीत कर देश का झंडा बुलंद रखने का वादा तो किया है लेकिन वह इस पर कितना खरे उतर पाते हैं ये तो समय ही बताएगा। फिलहाल इसी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए रंजीत पटियाला में कड़ा अभयास करने में जुटे है। पहली बार अपनी सरजमीं पर हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में वह अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की हर संभव कोशिश में हैँ, इसके लिए उन्होंने 17.50 मीटर कूदने का लक्ष्य बनाया हुआ है। रेलवे की ओर से खेलने वाले रंजीत ने पुणे में हुई एशियाई ग्रां प्री प्रतियोगिता में भी 16.60 मी कूद कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। वह वर्ष 2007 में एशियाई ग्रां प्री के दूसरे चरण में 17 मी की कूद लगाने वाले पहले भारतीय बने। एथलेटिक्स में भारत की कमजोर दावेदारी के बीच रंजीत जैसे स्टार खिलाडी का दावा मजबूत है। वह पिछले साल भी एशियाई चैम्पिन रह चुके हैं जब उन्होंने टखने की चोट के कारण 20 महीने बाद वापसी करते हुए 49वीं अंतर राज्यीय एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर मीट रिकॉर्ड बनाया था। कॉमनवेल्थ खेलों में रंजीत को इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के एथलीटों से चुनौती सबसे कड़ी चुनौती मिलने के आसार हैं।
एशियाई चैम्पियनशिप में देश के लिए पदक जीतने वाली प्रिंजा से कॉमनवेल्थ खेलों में महिला वर्ग में सबसे ज्यादा उम्मीद हैं। केरल के मुल्कन्म में 13 फरवरी 1982 को जन्मी प्रिंजा ने पाला के अलफोंसा कॉलेज से पढाई की लेकिन शुरू से ही खेल में रूचि होने के कारण उन्होंने खुद को पढाई के बीच भी मैदान से दूर नहीं रखा। वैसे तो प्रिंजा 10,000 मीटर दौड़ में ही हिस्सा लेती हैं लेकिन इस बार राष्ट्रमंडल खेलों में उन्हें 5000 और 10,000 दोनों वर्ग के लिए चुना गया है। यही वजह कि उनसे देश की उम्मीदे भी कुछ ज्यादा हो गई हैं। एशियन चैम्पियनशिप में देश के लिए पदक जीतने के अलावा प्रिंजा ने 2008 लंदन ओलंपिक खेलो की क्वालिफाइंग प्रतियोगिता में भी उस समय देश का नाम ऊंचा किया, जब उन्होंने रिकॉर्ड समय में 10 हजार मीटर की दूरी 32 मिनट 4.41 सेकेंड में पूरी की थी। यह उनका अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। इतना ही नहीं यह 10 हजार मीटर दौड़ में राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है। खेल प्रेमियों को अपने ही देश में हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में भी उनसे यह रिकॉर्ड बेहतर होने की पूरी उम्मीद है। घरेलू मैदान होने के कारण उनका उत्साह भी कम नहीं है और प्रिंजा भी इसके लिए जी जान से जुटी हैं। इसकी बदौलत उन्हें बीजिंग ओलंपिक में खेलने का मौका मिला। इससे पहले भी 2006 के एशियन गेम्स में उन्होंने संतोषजनक प्रदर्शन कर 5 हजार और 10 हजार मीटर दौड़ में 5वां स्थान प्राप्त किया था। 2008 बीजिंग ओलम्पिक में उन्हें 10 हजार मीटर दौड़ में 25वें स्थान पर रहकर ही संतोष करना पड़ा। प्रिंजा अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ कर इस मेगा खेल प्रतियोगिता में देश के लिए पदक जीतने की फिराक में है। उन्होंने पुणे में अभ्यास सत्र के दौरान देश को किसी भी सूरत में निराश न करने का भरोसा भी दिलाया है।
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