बुधवार, 8 सितंबर 2010

भारत-चीन ‘हैंड इन हैंड’ सैन्य अभ्यास खटाई में?

ओ.पी. पाल
पाकिस्तान से नजीदीकी बढ़ाने दिलचस्पी दिखा रहे चीन ने एक बार फिर भारत के साथ संबन्धों को तनाव के माहौल मे लाकर खड़ा कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में तैनात जनरल रैंक के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी को पाक की राह पर चलते हुए चीन ने वीजा देने से इंकार करके एक बार फिर भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने की नीति को दोहराया है। हालांकि चीन की इस हरकत से व्यथित भारत ने भी अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए चीन के तीन सैन्य अधिकारियों को भारत की यात्रा की अनुमति देने से अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है। इस ताज विवाद के कारण भारत-चीन के बीच फिलहाल ‘हैंड इन हैंड’ नामक सैन्य अभ्यास खटाई में पड़ गया है। राजनीतिज्ञों और विशेषज्ञों ने चीन की हरकत की निंदा करते हुए इसे दो देशों के करार का उल्लंघन भी करार दिया है।
ऐसे समय जब जम्मू-कश्मीर के हालात सही नहीं हैं और सीमापार पाक से कश्मीर घाटी की हिंसा की आग में घी डालने का काम किया जा रहा है तो ऐसे में चीन ने जम्मू कश्मीर में आर्मी कंमाडर जनरल बीएस जसवाल को वीजा देने से इनकार कर दिया क्योंकि वह संवेदनशील जम्मू कश्मीर से हैं, इसलिए उन्हें विशेष वीजा की जरूरत है। जनरल जसवाल दोनों देशों के बीच होने वाले सैन्य आदान प्रदान कार्यक्रम के तहत चीन जाने वाले थे। चीन की इस हरकत से व्यथित भारत ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए चीन के दो सैन्य अधिकारियों को भारत की यात्रा की अनुमति देने से अस्थाई तौर पर इनकार कर दिया है। दोनों सैन्य अधिकारियों को नेशनल डिफेंस कॉलेज में प्रशिक्षण प्राप्त करने आना था। भारत ने यात्रा को तब तक रोक दिया जब तक यह मामला सुलझ नहीं जाता। सूत्रों के अनुसार जनरल रैंक के अधिकारियों की चीन यात्रा के बारे में दोनों देशों के बीच जनवरी में रक्षा क्षेत्र पर हुई सालाना बातचीत के दौरान सहमति बनी थी। हालांकि उस समय यह तय नहीं किया गया था कि भारत से चीन किसे भेजा जाएगा। इस ताजा विवाद से जहां भारत और चीन के बीच ताजा कूटनीतिक विवाद के चलते दोनों देशों ने आपसी सैन्य सहयोग पर अवरोध खड़ा हो गया है यानि एक प्रकार से आपसी सैन्य सहयोग को रोक दिया गया है। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय रक्षा मंत्री एके रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने भारत द्वारा चीन के साथ रक्षा संबंध तोड़े जाने से इंकार किया है। एंटनी ने कहा का मानना है कि यह घटना संबंध तोड़ने का सवाल नहीं है। जबकि भारत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश का कहना है कि चूंकि हम चीन के साथ आदान प्रदान को महत्व देते हैं तो एक दूसरे की चिंताओं पर भी संवेदनशीलता होनी चाहिए। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह तो स्वीकार किया है कि चीन के पाकिस्तान को सहयोग के कारण भारत और चीन के बीच तनाव बनना स्वाभाविक है। तनाव का एक कारण अरुणाचल के साथ लगी सीमा भी है, जहां भारत में रहने वाले दलाई लामा के कारण भी चीन की भावें तनी रहती हैं। भारत और चीन के बीच बहुत सीमित सैनिक सहयोग है। सिर्फ जनरल रैंक के सैन्य अधिकारियों के आने जाने और कभी-कभार होने वाले सैनिक अभ्यास ही इसे जारी रखे हुए हैं। वार्षिक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास के लिए भारत अगले साल सैन्य अधिकारी चीन भेजने वाला है। इस सैनिक अभ्यास का नाम हैंड इन हैंड है, जो खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। भाजपा के सांसद तरुण विजय का कहना है कि सैन्य अभ्यास के आदान-प्रदान कार्यक्रम में दोनों देशों के बीच वीजा को लेकर आई तल्खी इस बात का प्रमाण है कि भारत की विदेश नीतियों में व्यापक खामियां हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रीय ध्वज से चीन कितनी नफरत करता है यह सर्वविदित है। पिछले साल अक्टूबर में चीन ने अरुणाचल प्रदेश में नरेगा के तहत बनाई जा रही सड़क को रूकवाकर भारत के अंदरूनी मामलों में दखल दी थी और फिर चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश में निशान बनाने की हरकत की, इसके बावजूद भी भारत सरकार चीन के प्रति अपनी विदेश नीति को सख्त करने की जरूरत महसूस नहीं कर पा रही है। जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल भारत के अभिन्न अंग हैं जिसमें चीन की घुसपैठ और दखलनंदाजी करने के कारनामों की कड़ी भर्त्सना की जानी चाहिए। कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि भारत हमेशा से कहता आया है कि वह चीन के साथ सौहार्द्रपूर्ण रिश्ते चाहता है लेकिन ये रिश्ते आपसी सम्मान पर आधारित होने चाहिए जिसमें दोनों देश एक दूसरे की संवेदनाओं को ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि अगर इस आधार का एकतरफा तौर पर उल्लंघन किया जाता है तो देश में उसकी तीखी से तीखी प्रतिक्रिया एकदम जायज है। तिवारी ने उम्मीद जताई कि विदेश मंत्रालय चीन के इस आचरण पर वाजिब जवाब देगा। चीन के इस आचरण की भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावेडकर ने कहा कि हमें चीन के इस कदम की कड़ी से कड़ी निंदा करनी चाहिए। विदेश मंत्रालय और सरकार इस बारे में चीन को अपनी नाराजगी से तुरंत अगवत कराएं। यह सैन्य अधिकारी का नहीं, बल्कि राष्ट्र का अपमान है। उन्होंने कहा कि चीन हमेशा से अरुणाचल प्रदेश में गड़बड़ी को हवा देता आ रहा है और अब कश्मीर की स्थिति से लाभ उठाना चाहता है। राजनीतिकार और विदेश मामलों के विशेषज्ञ चीन की बढ़ती इन हरकतों के पीछे उसके पाक से बढ़ते रिश्तों को बड़ा कारण मानकर चल रहे हैं, जिसके लिए भारत सरकार को विदेश नीति की समीक्षा करने की आवश्यकता है।

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