ओ.पी. पाल
राष्ट्रमंडल खेलों में महिला बैडमिंटन में जहां सायना नेहवाल से उम्मीदें लगी हैं वहीं पुरुष बैडमिंटन में चेतन आनंद का लक्ष्य भी स्वर्ण पदक हासिल करने पर लगा हुआ है। जबकि मिक्स्ड डबल्स में भारत की ज्वाला गट्टा का जलवा भी बेजोड़ है।चेतन आनंद
राष्ट्रमंडल खेलों में बैडमिंटन खिलाड़ियों की भी निगाहें सोने का पदक हासिल करने पर लगी हैं और भारत को भी उनसे काफी उम्मीदें करना स्वाभाविक है। महिला बैडमिंटन में सायना नेहवाल जो अपनी फॉर्म में हैं और हाल ही में उन्हें खेल रत्न से भी सम्मानित किया गया है। दुनिया के नंबर एक को हासिल करने के लिए नेहवाल के लिए राष्ट्रमंडल खेल अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें वह अपने दावे को मजबूती के साथ रखने की इच्छाशक्ति को भी जाहिर करने की बात कह चुकी है। वहीं यदि भारत में पुरुष बैडमिंटन की बात हो तो जिक्र प्रकाश पादुकोण का ही होता है और अगर प्रकाश पादुकोण किसी खिलाड़ी के बारे में कहें कि कुछ बात है, तो चेतन आनंद से राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारत को काफी उम्मीदें हैं। हालांकि प्रकाश पादुकोण की बात को चेतन आनंद ने छोटा साबित नहीं होने दिया। चेतन ने जब 1992 में बैडमिंटन केरियर शुरू करने वाले चेतन को मलयेशिया में वर्ल्ड अकेडमी कैंप में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया तो उसके बाद से चेतन ने अपने प्रदर्शन को निखारने का काम किया। वर्ष 1999 में वह जूनियर नेशनल चैंपियन बने और 2008 में उन्होंने बिटबर्गर ओपन जीता। अगले ही साल उन्होंने डच ओपन का खिताब अपने नाम किया। यह संयोग ही है कि इस बार के राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की दोनों बैडमिंटन टीमों यानी पुरुष और महिला टीमों के कप्तान आंध्र प्रदेश से हैं। चेतन आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के रहने वाले हैं। उनके पिता हर्षवर्धन खुद एक बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं, इसलिए उन्होंने चेतन को जो प्रेरणा मिल रही है उसे देखते हुए उनसे उम्मीदें हैं जो पुरुष बैडमिंटन दल के कप्तान के रूप में राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल होंगे। भारत के सिंगल्स कोच भास्कर बाबू तो उनसे जुड़ीं अपनी उम्मीदें जगजाहिर कर ही चुके है।
ज्वाला गट्टाभारत की मिक्स्ड डबल्स की ज्वाला गट्टा का संबंध चीन से है, लेकिन उसके जलवे को चीनी खिलाड़ी भी मानते हैं। ज्वाला ने डबल्स मुकाबलों में दुनियाभर में अपनी धाक जमाई है। एकल मुकाबलों में तो भारत में कई विश्व स्तरीय खिलाड़ी हो चुके हैं, लेकिन डबल्स एक ऐसा वर्ग ह। वर्ष 2002 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना शुरू किया और तब से ही लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। हालांकि किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया क्योंकि वह हर बार फाइनल मुकाबलों तक पहुंच कर रुक जातीं और खिताब उनके हाथ से छिटकता रहा। वर्ष 2006 में उन्होंने इन हदों को तोड़ा और श्रीलंका इंटरनेशनल टूनार्मेंट में महिला डबल्स का खिताब जीता। 2007 में तो महिला डबल्स में उन्होंने खिताबों की लंबी फेहरिस्त अपने नाम की। इनमें साइप्रस इंटरनेशनल, पाकिस्तान इंटरनेशनल और इंडियन इंटरनेशनल शामिल हैं। डी. वीजू के साथ उनकी जोड़ी ऐसी जमती है कि दोनों साथ मैदान पर होते हैं तो लय में बंधे नजर आते हैं। कोर्ट में दोनों एक से दूसरे कोने तक ऐसी फुर्ती से और तारतम्य के साथ खेलते हैं कि शटल जमीन पर गिरने को तरस जाती है। पिछले साल दोनों मलेशियाई ओपन के फाइनल तक पहुंच गए थे। भारतीय कोच भास्कर मानते हैं कि राष्ट्रमंडल खेलों के मिक्स्ड डबल्स में भारत सोने की उम्मीद बड़े आराम से कर सकता है।
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