रविवार, 16 जनवरी 2011

2जी स्पेक्ट्रम: कांग्रेस के निशाने पर कैग

रिपोर्ट पर उंगली उठाने से प्रभावित होगी जांच
ओ.पी. पाल
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की सीबीआई, पीएसी, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग, एक पूर्व न्यायाधीश समिति समेत करीब सात एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही है और मामला सुप्रीम कोर्ट के पास भी है, तो ऐसे में संसद में पेश होने से पहले इस मुद्दे पर कैग की रिपोर्ट के लीक होने के मामले को फोकस करके कांग्रेस ने विपक्ष द्वारा की जा रही जेपीसी की मांग के मुकाबले संघर्ष को तेज करने का इरादा कर लिया है। मसलन यह कि यूपीए सरकार का नेतृत्व करने वाले दल कांग्रेस को अब संवैधानिक संस्था सीएजी भी संदेह होने लगा, जिसके लिए कांग्रेस कैग के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की भी कवायद में जुट गई है।2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाले को उजागर करने वाली नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर जब केंद्र सरकार का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस पार्टी ने उंगलिया उठानी शुरू कर दी हैं तो इससे दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के बचाव के संकेत को भी बल मिला है तो वहीं इस संवैधानिक संस्था की 2जी स्पेक्ट्रम मामले पर रिपोर्ट लीक होने के मामले पर भी कांग्रेस गंभीर है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेसी सांसद इस संवैधानिक संस्था के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में जुट गये हैं। दो दिन पहले ऐसे संकेत कांग्रेस की प्रवक्ता जयंती नटराजन ने भी एक संवाददाता सम्मेलन में दिये थे और कैग रिपोर्ट पर उंगली उठाने वाले दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल का साफतौर से बचाव किया था। सिब्बल के इस बयान को संसदीय लोक लेखा समिति के अध्यक्ष डा. मुरली मनोहर जोशी ने जांच प्रभावित होने की संभावना जताई थी। 2जी स्पेक्ट्रम के मामले पर पिछले सप्ताह 12 जनवरी को जारी कैग की एक विज्ञप्ति को निशाने पर लेते हुए कांग्रेस ने इसे विशेषाधिकार हनन का मामला करार दिया है। कांग्रेस का सवाल है कि संसदीय समिति के समक्ष लंबित मामले पर किसी सांसद को टिप्पणी करने से रोकने के लिए कोई संसदीय प्रक्रिया है या नहीं। कांग्रेस एक संवैधानिक संस्था द्वारा इस प्रकार विज्ञप्ति जारी करने के मामले को विशेषाधिकार का हनन बताया। हालांकि कैग जैसी संवैधानिक संस्था को कम करके आंकने को लेकर हो रहे हमले पर विपक्ष कैग का बचाव करने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस ने सिब्बल द्वारा कैग की आलोचना को बिल्कुल उचित ठहराते हुए अन्य को भी कैग पर उंगली उठाने का मौका तो दे ही दिया। यही कारण है कि योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी कांग्रेस तथा सत्तारूढ संप्रग के घटकों के सुर में सुर मिलाते हुए 2जी स्पेक्ट्रम की रिपोर्ट को लेकर कैग पर सवाल खड़े कर दिये। अहलूवालिया ने तो यहां तक कहा कि कितना धन जुटाया जा सकता था इस सवाल में जाना परिणामदायी नहीं होगा क्योंकि 1999 से दूरसंचार नीति में अधिकाधिक राजस्व वसूली पर जोर नहीं दिया जा रहा था। यह सर्वविदित है कि कैग ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सरकारी खजाने को अनुमानित 1.76 लाख करोड़ रूपये के नुकसान की बात कही थी। दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने भी हाल ही में इस मामले में कैग की आलोचना करते हुए उसकी प्रणाली को भारी त्रुटिपूर्ण बताया था।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें