बुधवार, 12 जनवरी 2011

खुशी बांटना ही श्वेता का मकसद

ओ.पी. पाल
ऋषि मुनि, योगाचार्य और चिकित्सकों के अलावा वैज्ञानिको के शोध में ही नहीं, बल्कि वेदों में भी कहा गया है कि खुश रहने से तन-मन दोनों ही स्वच्छ और स्वस्थ रहते हैं और मानव की व्यवहार से भाग्य का भी निर्धारण होता है। दुनिया में खुशी बांटने के मकसद से हरियाणा की बेटी श्वेता सेठी शर्मा विदेश में प्रवासी होते हुए भी भारत से ही इस अभियान को शुरू करने का हौंसला बनाये हुए है, जिसका मानना है कि बच्चे से लेकर वृद्ध व्यक्ति और भिखारी से लेकर अमीरों तक खुशी बांटना उसका मकसद है।नौवें प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर हाल ही में संपन्न हुए सम्मेलन में हांगकांग से यहां हिस्सा लेने आई श्वेता सेठी शर्मा के विचारो सम्मेलन में सभी वर्गो और विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों तथा राजनीतिज्ञों ने भी स्वागत किया है। दुनिया में खुश रहने के लिए वह हर किसी को खुश रहने की सलाह देती है। श्वेता का मानना है कि खुश रहने से ही वैश्विक और निजी समस्याओं का समाधान संभव है। मध्य प्रदेश के जबलपुर में जन्मी श्वेता सेठी शर्मा के माता-पिता उसके बचपनकाल में ही हरियाणा के गुड़गांव में आकर बस गये, जहां श्वेता सेठी ने आर्मी पब्लिक स्कूल में अपनी स्कूली पढ़ाई की और वह बाद में परिवार के साथ हांगकांग में चली गई, जिसकी उच्च शिक्षा-दीक्षा विदेश में ही पूरी हुई। हरिभूमि संवाददाता से बातचीत के दौरान पिछले 20 साल से हांगकांग में रह रही प्रवासी भारतीय श्वेता सेठी शर्मा ने बताया कि वह प्रवासी सम्मेलन में पहली बार आई हैं और उसका मुख्य मकसद दुनियाभर में खुशी बांटने की है जिसके लिए हांगकांग स्थित एक संस्था में वह एक चीफ हैपीनेस आफिसर के रूप में कार्य कर रही है। वह खासकर भारतीय संस्कृति से इतना लगाव रखती है कि वह यहां भिखारियों के चेहरे पर भी एक मुस्कान देखती है। उनका मानना है कि जीवन मूल्यों पर केंद्रीत शिक्षा प्रदान करने की उसके मन में इच्छा है जिसकी शुरूआत वह इंडिया से ही करना चाहती हैं। भारत में वह यह प्रदर्शन करना चाहती है कि वह पिछले 20 साल से हांगकांग में कैसे खुश रहती है उसी अनुभव को बांटने के लिए वह खासकर गांवों-कस्बों में जाकर बच्चों, युवाओं और वृद्धों को मन की शांति और खुश रखने के लिए स्कूल आॅफ हैपीनेस, जिसमें स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और इसके लिए प्रोत्सान करना कि खुश रहना भी एक कला है। इस अभियान में श्वेता सेठी शर्मा पूर्वी और पश्चिमी सभ्यता को मिक्स करने का भी प्रसास कर रही हैं कि हमेशा सकारात्मक सोच हरेक के मन में हो। उनका मानना है कि दुनियाभर में भारतीय संस्कृति को बहुत ही सकारात्मक रूप से पाया जाता है, लेकिन यहां की खबरे नकारात्मक पेश हो रही है, जिनसे निजात पाने के लिए खुश रहने के नुस्खों का अमल करना जरूरी है। भ्रष्टाचार व घोटालों के मुद्दे पर उनका कहना था कि दुनियाभर मे हर इंसान एक-दूसरे के साथ खुशी बांटता है तो ऐसी समस्याएं स्वत: ही दूर हो जाएंगी। उन्होंने इस बात को भी माना कि इंसान के व्यवहार को दुनिया के लिए उपयोगी बनाने के लिए शोधकर्ताओं ने भी सिद्ध किया है कि खुश रहने से ही जीवन मूल्यों को हासिल किया जा सकता है। श्वेता सेठी शर्मा ने बताया कि उसके पति राहुल शर्मा हांगकांग में उसके इस अभियान में उनका सहयोग कर रहे हैँ जिनके माता-पिता भी गुडगांव में ही रहते हैं। उनका मानना है कि विदेशों में रहते हुए भी भारतवंशी अपनी मातृभूमि और संस्कृति को कभी नहीं भूलना चाहेंगे, बल्कि दुनियाभर में भारत की सकारात्मक छवि को प्रकट करने में पीछे नहीं हैं। इस सम्मेलन में सोनीपत के मूल निवासी कर्मवीर दहिया जो न्यूयार्क में वकालत करते हैं ने भी इसी प्रकार के विचार प्रकट किये।

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