विवेकाधीन अधिकारों को त्यागें केंद्रीय मंत्री व मुख्यमंत्री
ओ.पी. पाल
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भ्रष्टाचार को लेकर पार्टी की हो रही फजीहत से बाहर निकलने के लिए इतनी गंभीर हैं कि उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्य मंत्रियों से विवेकाधीन अधिकारों को त्यागने के लिए फरमान जारी करके उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस के अभियान को तेज करने के निर्देश दिये हैं।कांग्रेस महासचिवों की शनिवार को हुई बैठक में कांग्रेस प्रमुख सोनिया ने उन्हें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राजग के खिलाफ प्रखंड स्तर पर अभियान चलाने के लिए तैयारियां शुरू करने का निर्देश दिया। पार्टी महासचिवों के साथ करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक चली इस बैठक में सोनिया ने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि राज्यों में कांग्रेसजनों द्वारा सादगी और मितव्ययता का निश्चित रूप से पालन किया जाए। बैठक में सोनिया ने विभिन्न राज्यों के प्रभारी महासचिवों को यह भी निर्देश दिया कि जिन राज्यों में पार्टी की सरकार है, वहां प्रदेश कांग्रेस कमेटी और सरकार के बीच बेहतर तालमेल के लिए वे कदम उठाएं। इसके अलावा जहां कांग्रेस विपक्ष में है, वहां कांग्रेस विधायक दल और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बीच बेहतर तालमेल कायम करने के लिए भी उपाय किए जाएं। सोनिया ने जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं वहां चुनाव की तैयारियों की भी समीक्षा की। उन्होंने पार्टी का चिंतन शिविर आयोजित करने की योजना के बारे में भी चर्चा की। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में सोनिया ने अपने महासचिवों को यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि राज्यों में आयोजित होने वाले पार्टी के कार्यक्रमों में सादगी की मिसाल कायम करें, ताकि सरकार में बैठे पार्टी नेताओं के जीवन में सादगी की झलक पैदा हो सके। उन्होंने महासचिवों से केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए राज्यों में निगरानी समिति गठित करने के लिए काम शुरू करने को भी कहा है। हालांकि केंद्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्य मंत्रियों को सोनिया ने गत 19 दिसंबर को पार्टी महाधिवेशन में ही इस आशय के पत्र वितरित करा दिये थे, जिसमें भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सोनिया गांधी ने चार सूत्री कार्य योजना को रेखांकित किया था। सोनिया ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि सभी विवेकाधीन अधिकारों और खासकर भूमि आवंटन के अधिकारों से भ्रष्टाचार पनपता है। सोनिया चाहती हैं कि सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्री और केंद्र तथा राज्यों में मंत्री अधिकारों की समीक्षा कर और उन्हें त्यागकर उदाहरण पेश किया जाये। कांग्रेस के पिछले महीने सम्पन्न हुए महाधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश स्तर पर समन्वय समिति और निगरानी समिति गठित करने, जनता को संप्रग सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराने और भाजपा के दोहरे मापदंडों को बेनकाब करने के लिए देशव्यापी जनजागरण अभियान चलाने की भी घोषणा की थी और कहा था कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक सभा आयोजित की जानी चाहिए। उन्होंने हरेक प्रदेश कांग्रेस कमेटी से साल में कम से कम एक बार प्रतिनिधि सम्मेलन आयोजित करने के लिए भी कहा था। गौरतलब है कि कांग्रेस महाधिवेशन में ही पार्टी के युवा नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं की जवाबदेही को जरूरी बताया था ताकि भ्रष्ट लोगों को कड़ी सजा मिलना सुनिश्चित किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि सोनिया गाँधी महाधिवेशन में तय किए गए कार्यक्रमों को लागू करने को लेकर काफी गंभीर हैं और चाहती हैं कि इन कार्यक्रमों की समीक्षा समय-समय पर होती रहे।
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