बुधवार, 12 जनवरी 2011

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नहीं थम रहा वाकयुद्ध

आर-पार की तरफ बढ़ती भाजपा व कांग्रेस की लड़ाई
ओ.पी. पाल
भारतीय जनता पार्टी की गुहावटी में संपन्न हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिस एजेंडे पर जोर दिया गया उसमें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लिए गये फैसलों और राजनीतिक प्रस्तावों को देखते हुए यहीं संभावना है कि घोटोलों और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार तथा विपक्ष के बीच चल रहे गतिरोध कम होने के बजाए और बढ़कर सामने आएगा। हालांकि कांग्रेस भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को बचाने के लिए जोर शोर से अभियान में जुट गई है।भ्रष्टाचार का ऐसा मुद्दा बन गया है जिसके सामने राजनीतिक दलों को एक-दूसरे दल को घेरने की रणनीति पर काम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था। इस मुद्दे पर विपक्ष से घिरी कांग्रेसनीत सरकार को फजीहत से बाहर निकालने के लिए कांग्रेस के पिछले महीने हुए महाधिवेशन मे भी विपक्ष खासकर भाजपा पर निशाना साधते हुए प्रस्ताव पारित किये गये और भाषणों में भी भाजपा ही निशाने पर रही। वही स्थिति गुहावटी में संपन्न हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में देखने को मिली। कांग्रेस को घेरने के इरादे से ही भाजपा ने गुहावटी में भाषणबाजी की और राजनीतिक व आर्थिक प्रस्तावों में भी सीधे कांग्रेस को ही निशाने पर रखा, जिसमें भाजपा का साफ एजेंडा है कि 2014 में केंद्र में सत्ता हासिल करना। इसके लिए भाजपा ने राजग शासनकाल की तुलना यूपीए के शासनकाल से की। कांग्रेस और भाजपा दोनो ही अपने अधिवेशनों में एक-दूसरे शासन की बखियां उखेड़ते दिखे। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से इस बात का स्पष्ट संकेत मिले हैँ कि भ्रष्टाचार को फोकस में लेकर महंगाई और अन्य मुद्दों पर आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ने की संभावना है जबकि संसद का बजट सत्र अब ज्यादा दूर नहीं है। बिहार विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित सफलता और बोफोर्स दलाली मामले में आयकर अपीलीय प्राधिकरण (आईटीएटी) के रुख से पूर्वोत्तर में पहली बार आयोजित अपनी कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा काफी उत्साहित नजर आयी है। पार्टी ने कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए अपने तरकश से सारे तीर निकाल लिए हैं और कहा है कि दलाली का यह जाल ‘सोनिया गांधी के दरवाजे तक फैला है। ‘आईटीएटी के कारण बोफोर्स मुद्दे के फिर उछल जाने से भाजपा को कांग्रेस की घेराबंदी को और कसने का मौका मिल गया है। पहली बार वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बोफोर्स दलाली के मुद्दे से सीधा जोड़ रही है। भाजपा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की बेदाग छवि पर सवाल उठा रही है। भ्रष्टाचार के मामलों में संप्रग को घेरने की मुख्य विपक्षी दल की रणनीति की यह अगली कड़ी नजर आ रही है। साफ है कि भाजपा कार्यकारिणी में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में भी कांग्रेस और उसकी ‘पहले परिवार‘ पर निशाना साधा गया है और संप्रग का 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन, आदर्श हाउसिंग सोसायटी और राष्ट्रमंडल खेल के साथ जिक्र किया गया है। कांग्रेस के पिछले महीने हुए महाधिवेशन और गुहावटी में रविवार को ही संपन्न हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सबसे बड़ी बात यही देखने को मिली है कि जिस प्रकार से भाजपा ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में वामदलों समेत किसी भी गैर कांग्रेस दलों पर निशाना नहीं साधा है उसी प्रकार कांग्रेस ने भी महाधिवेशन में अपने राजनीति प्रस्ताव में भाजपा को ही कोसा था। यानि कुछ यूं भी कहा जा सकता है कि कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर पलटवार करने से आने वाले समय में ऐसा अखाड़ तैयार हो रहा है जिसमें आर-पार की कुश्ती होगी? संभावना यही नजर आ रही है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे खासकर 23जी स्पेक्ट्रम पर इन्हीं दोनों दलों के बीच वाकयुद्ध तेजी पकड़ेगा और इसके चलते ही संसद का बजट सत्र आ जाएगा जिसमें गतिरोध कम होने के बजाए बढ़ने के आसार सामने आ सकते है।

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