दीदी की तरफ देख रहे हैं कर्मचारी
ओ.पी. पाल
ओ.पी. पाल
रेलवे बोर्ड द्वारा इंडियन कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन यानि आईआरसीटीसी से खानपान का कार्य छीनने की कार्यवाही से हजारों कर्मचारियों पर बेरोजगार होने की तलवार लटक गई है, जिसमें आईआरसीटीसी के 2200 से ज्यादा सोर्स कर्मचारियों की नौकरी भी दांव पर है। रेलवे की इस नीति से आईआरसीटीसी में कार्यरत ऐसे कर्मचारियों में परिवारों के भूखों मरने की नौबत को देखते हुए सड़कों पर आने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
भारतीय रेल के यात्रियों को खाने पीने और आन लाइन टिकट बुकिंग की सेवायें प्रदान करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय रेल खान पान एवं पर्यटन निगम से रेलवे ने खानपान का कार्य ऐसे समय वापस ले लिया था, जब आईआरसीटी को मिनी रत्न का दर्जा लेकर गुणवत्ता का कायम रखने वाली एक कंपनी के दायरे में आ चुकी है। सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि आईआरसीटीसी को मिनी रत्न का दर्ज और किसी ने नहीं बल्कि वर्ष 2008 में स्वयं रेल मंत्रालय ने दिया था। इसके अलावा उत्कृष्टता के लिए भी आईआरसीटीसी कई पुरस्कार हासिल कर चुकी है। रेलवे की नीति से बेरोजगार होने की तरफ जाते आईआरसीटीसी कर्मचारियों को उम्मीद है कि रेल मंत्री ममता बनर्जी शायद उनकी समस्या को संज्ञान में ले तो उनके सामने संकट पैदा नहीं होगा। ऐसे में जिन कर्मचारियों ने रेलवे की इस नीति को चुनौती दी थी उसके लिए मध्य क्षेत्र के श्रम आयुक्त ने मामले के संज्ञान में लिया है और आईआरसीटीसी में कार्यरत करीब 2200 आउट सोर्स कर्मचारियों की दांव पर लगी नौकरी को देखते हुए आईआरसीटीसी से जवाब मांगा है। बताया जा रहा है कि नई रेलवे कैटरिंग नीति 2010 के अनुपालन और भारतीय रेलवे के कैटरिंग सेवाओं को आईआरसीटीसी से रेलवे बोर्ड द्वारा वापस लिए जाने से आउट सोर्स कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। आईआरसीटीसी अब तक करीब 115 रेलों में कैटरिंग का काम भारतीय रेलवे को सौंप चुका है और शेष रेलों को भी सौंपने की प्रक्रिया जारी है लेकिन रेलवे के पास पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं होने की वजह से यह प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है। रेलवे बोर्ड ने कैटरिंग सेवा के संचालन के लिए आईआरसीटीसी से पूरे देश में ग्रेड सी के 1284 कर्मचारी और ग्रेड डी के 3985 कर्मचारी मांगे हैं, लेकिन उसके पास इतने कर्मचारी नहीं हैं। आईआरसीटीसी में अभी करीब 4200 कर्मचारी है जिनमें 2200 आउट सोर्स हैं। छह सौ कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर हैं जबकि 1100 स्थाई कर्मचारी हैं। सूत्रों के अनुसार कर्मचारियों को कैटरिंग के लिए भर्ती करने के लिए आवेदन की अंतिम तिथि पिछले सप्ताह समाप्त हो चुकी है। ऐसे में यदि रेलवे ने आईआरसीटीसी के 2200 आउट सोर्स कर्मचारियों को नजर अंदाज कर दिया तो उनके लिए अपने परिवार के पालन पोषण करने में परेशानी आ जाएगी, जिसके बाद कर्मचारियों ने जिस प्रकार अपने हक को हासिल करने के लिए कदम उठाये हैं उसके लिए वे सड़कों पर भी उतरने से पीछे नहीं हटेंगे। बताया जाता है कि रेलवे के आईआरसीटीसी में उन करीब 600 कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों की रेलवे में वापसी हो चुकी है जो इस कंपनी में प्रति नियुक्ति पर आए थे। लेकिन सवाल उन दो हजार से ज्यादा कर्मचारियों का है जिनके ऊपर अभी भी तलवार लटकी हुई है।
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