ओ.पी. पाल
महंगाई के मुद्दे पर यूपीए में आपसी टकराव के सामने सरकार द्वारा महंगाई को काबू करने के लिए की जा रही माथापच्ची केबावजूद नहीं लगता कि महंगाई की मार से बेहाल देश की जनता को कोई राहत मिल जाएगी। सरकार महंगाई को नियंत्रण करने के लिए किसी तोड़ को नहीं तलाश पाई है, शायद यही कारण था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में भी महंगाई पर कोई चर्चा नहीं हो पाई।दरअसल इन दिनों महंगाई अपने चरम पर है, जिसे रोकने के लिए पिछले तीन दिन से कांग्रेसनीत केंद्र सरकार लगातार माथापच्ची कर रही है, लेकिन यूपीए घटक के मंत्रियों में महंगाई को लेकर उजागर हो रहे तकरार ही शायद सरकार को किसी ठोस उपाय तक पहुंचने में बाधक बना हुआ है। गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भी महंगाई के मुद्दे पर कोई चर्चा न होना उस संकेत को मजबूत कर रहा है कि यूपीए घटक दलों के मंत्रियों के बीच किसी भी ठोस तरीके पर आम सहमति नहीं बन पा रही है। राहुल गांधी के महंगाई पर कथित तौर पर आये बयान से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है तो प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को कोसने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। प्याज के दामों समेत सभी खाद्य पदार्थो के दामों में लगातार बेतहाशा बढो़तरी हो रही है और मनमोहन सरकार महंगाई डायन से छुटकारा पाने की जुगत में लगातार उपायों को तलाशने की गरज से माथापच्ची में व्यस्त है, लेकिन पिछले तीन दिन से लगातार केंद्र सरकार के मंत्रियों की अलग-अलग बैठकों में महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने में पूरी तरह विफल रही। इसका कारण साफ है कि कृषि मंत्री शरद पवार यूपीए घटक दल राकांपा प्रमुख हैं, जिन्हें महंगाई के लिए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने तो कथिततौर पर जिम्मेदार ठहराया है, वहीं महंगाई के मुद्दे पर जब प्रधानमंत्री के आवास पर केंद्र के वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक के दौरान कृषि मंत्री शरद पवार तथा वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बीच हुए तकरार ने भी यही साबित किया है कि महंगाई को रोकने के लिए गठबंधन की यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्रियों की भी किसी उपाय पर आम सहमति नहीं बन पा रही है। हालांकि केंद्रीय मंत्रियों ने महंगाई का ठींकरा राज्यों के सिर फोड़ने के प्रयास में यह तो कहा कि यदि राज्य सरकारें जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों को जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध करेगी। केंद्रीय मंत्रियों का मानना है प्याज समेत सब्जियों के आसमान छूते दामों पर तभी रोक लग सकती है जब राज्य सरकारें जमाखोरी व मंडी माफिया के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने के लिए सख्ती दिखाये। केंद्र सरकार द्वारा महंगाई पर काबू पाने के उपाय तलाशने के लिए की जा रही कवायद के बावजूद बढ़ती कीमतों ने विपक्ष को आलोचना करने का मौका तो दे ही दिया, वहीं लगता है कि प्याज के आंसू रो रहे लोगों के लिए भी फिलहाल राहत की कोई उम्मीद नहीं नजर नहीं आ रही है। सरकार तो महंगाई पर काबू नहीं पा रही है, लेकिन प्याज ही नहीं बल्कि तेल, चीनी और खाद्य पदार्थो को महंगाई डायन ने अपने कब्जे में जरूर कर लिया है। कैबिनेट की बैठक से लोगों को उम्मीद थी कि सरकार महंगाई पर काबू करने के लिए किसी ठोस कदम का ऐलान करेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हालांकि प्रणव मुखर्जी लगातार सरकार के बचाव में महंगाई को काबू करने के लिए लगातार देश को भरोसा दिलाते नजर आ रहे हैं।
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