ओ.पी. पाल
भारतीय प्रवासी दिवस सम्मेलन के जरिए जहां सरकार देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की कवायद करते हुए अप्रवासियों से देश में अधिक से अधिक निवेश करने पर जोर दे रही है, वहीं देश में भ्रष्टाचार और घोटालों के चलते अप्रवासी भारतीय सतर्कता बरतने का प्रयास कर रहे है। यही कारण है कि प्रवासी सम्मेलन भी भ्रष्टाचार और घोटाले के मुद्दे से अछूता नहीं रहा और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वयं ही यह कहकर प्रवासियों की शंका को दूर करने का प्रयास किया है कि सरकार प्रशासनिक प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता तथा निगरानी सुनिश्चित करने के लिए अनेक उपाय करके बदलाव लाने के लिए कटिबद्ध है।प्रवासी भारतीयों की देश के बुनियादी ढांचे और विकास में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक वर्ष यहां आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलनों में उन्हें अधिक से अधिक निवेश करने का पास फेंका जाता है, लेकिन पिछले सालों में देश में खासकर 2जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन और आदर्श सोसायटी में भ्रष्टाचार और घोटालों ने देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिस प्रकार छवि को कलकित किया है उससे विदेशों में रह रहे भारतवंशी भी पूरी तरह सहमे हुए लगते हैं। प्रवासी भारतीयों की इसी शंका को भांपते हुए शायद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने संबोधन में घोटालों और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर इशारे ही इशारे में इंगित करते हुए सम्मेलन में दुनियाभर के विभिन्न देशों से आए डेढ़ हजार से ज्यादा अप्रवासी भारतीयों को यह विभिन्न घोटालों की आलोचना करते हुए यह भरोसा दिलाया है कि सरकार प्रशासनिक प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता तथा निगरानी सुनिश्चित करने के लिए चरणबद्ध तरीके से बदलाव लाने के प्रयास कर रही है। भारतीय लोकतंत्र और प्रणालियों मजबूत एवं जीवंत करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके समाधान तथा सुधार के लिए उनकी अपनी प्रक्रियाएं जिनके दूरगामी परिवर्तनों के लिए आम सहमति बनाने की जरूरत है जो प्रशासन और हमारे विधि एवं निर्वाचन तंत्रों में आवश्यक हो सकते हैं। उन्होंने देश की प्रगति के बारे में भारत वंशियों को यह भी अवगत कराया कि आर्थिक मंदी से उबरने में वैश्विक परिदृश्य की अनिश्चितता के बावजूद देश में प्रगति हो रही है और अगले साल वृद्धि दर नौ से दस फीसदी रहने का अनुमान है। हर साल की तरह केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार भी प्रवासियों को अपने-अपने राज्यों में निवेश की असीम संभावनाएं बताते हुए उनसे निवेश की अपील करते हैं, लेकिन सवाल है कि भ्रष्टाचार और घोटालों के भय से इन भारतवंशियों की सुरक्षा की गारंटी की शंका का बुनियादी समाधान कैसे होगा? यही शंका खासकर प्रवासी कारोबारियों के मन को कौंधती नजर आ रही है। हालांकि कुछ अप्रवासी भारतीयों ने अपनी मातृभूमि से लगाव की बात कहते हुए देश में सभी क्षेत्रों में सुधार की जरूरत पर बल दिया।
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