बुधवार, 12 जनवरी 2011

दुनियाभर में बुलंदियों पर भारतीय संस्कृति!

नौवां प्रवासी भारतीय दिवस
ओ.पी. पाल
भारतीय संस्कृति को संजोये भारतवंशी विदेशों में रहते हुए भी यही कहते हैं कि ‘सारे जहां से हिन्दुस्तां हमारा...’ खटे-मीठे अनुभवों के साथ संपन्न हुए नौंवे प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन इसी परंपरागत कहावत को चरितार्थ करता है, जिसमें प्रवासी भारतीयों के प्रधानमंत्री ने नागरिकता और भारतवंशी कार्ड का विलय करने का भरोसा दिलाया जिसके तहत पासपोर्ट धारक भारतीय प्रवासियों को वीजा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। वहीं इस सम्मेलन में भारत सरकार ने प्रवासियों के मताधिकार की प्रगति का रास्ता भी सुलभ कराने का भरोसा दिलाया, जिसकी प्रक्रिया चुनाव आयोग में विचाराधीन है। मकसद यही कि भारत सरकार अपने रिश्तों को परदेश में बसे लोगों से बेहतर बनाने की परंपरा को बढ़ाने में जुटी हुई है।
रविवार को यहां विज्ञान भवन में संपन्न हुए तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय दिवस का समापन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल के संबोधन के साथ संपन्न हुआ, जहां राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार की प्रवासी भारतीयों के लिए उठाये जा रहे कदमों को उनके लिए भारतीय संस्कृति को यादगार बनाये रखने की दिशा में अहम बताया। इस मौके पर राष्ट्रपति ने विदेशों में प्रवास कर रहे कई भारतवंशियों को देश के विकास में उत्कृष्ट भूमिका निभाने के लिए सम्मानित भी किया। यह नौंवा मौका है जब भारत ने विदेशों में रह रहे भारतवंशियों को एक मंच दिया और उनसे भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की अपेक्षा की गई। पिछले साल संपन्न हुए आठवें प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर जहां सरकार ने खाड़ी के देशों में आर्थिक मंदी की वजह से नौकरी से निकाले जा रहे भारतीय श्रमिकों के स्वदेश में पुनर्वास के लिए कोष बनाने की घोषणा की थी और भारतवंशियों को स्वदेश लौटने के लिए आर्थिक मदद भी दी तो वहीं इस वैश्विक मंदी के बावजूद भारत की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने का दावा कर चुकी केंद्र की सरकार ने इस बाद उन्हें मताधिकार देने तथा वीजा की समस्या से निदान दिलाने का भरोसा दिलाया, ताकि अप्रवासी भारतीय देश में अपनी कारोबारी दखल को बढ़ा सकें। सरकार ने इस सम्मेलन में यह भी स्वीकार किया है कि वैश्विक मंदी से भारत को उबारने में अप्रवासी भारतीयों के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकेगा। वहीं समापन भाषण में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने प्रवासियों द्वारा विदेशों में भी भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के लिए उनकी पीठ थपथपाई। सम्मेलन में हमेशा की तरह इस बार भी 'एनगेजिंग विद डायस्पोरा' यानी विदेश में बसे भारतीय लोगों के साथ संवाद शीर्षक के साथ आयोजित इस शीर्ष स्तरीय सम्मेलन में तीन क्षेत्रों शिक्षा,स्वास्थ्य तथा ज्ञान-विज्ञान, निवेश और पूर्वोत्तर राज्यों के विकास पर विस्तार से चर्चा रही, वहीं राज्यों ने भी अप्रवासियों को राज्यों में निवेश करने का आव्हान करते हुए उनसे बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए उनसे हिस्सेदार बनने की अपील की है। सम्मेलन में प्रवासी भारतीय दिवस के लिए दुनिया के पचास से अधिक देशों के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय 1500 प्रतिनिधियो ने हिस्सेदारी की कैबिनेट मंत्रियों,मुख्यमंत्रियों और अनेक वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वैज्ञानिकों एवं अन्य विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया।

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