चाय की दुकान में भी चल रहे हैं कार्यालय
ओ.पी. पाल
केंद्रीय चुनाव आयोग ने ऐसे राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसने की तैयारियां कर दी है जो चंदे के बल पर चांदी काट रहे हैं। निर्वाचन आयोग ने जिस प्रकार अध्ययन कराकर खुलासा किया है उसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं इसलिए ऐसे फर्जी राजनीतिक दलों के पंजीकरण निरस्त करने की कवायद शुरू करने पर बल दिया गया है जिनका लोकतांत्रिक चुनावों के उद्देश्यों से कोई सरोकार नहीं है।मुख्य निर्वाचन आयुक्त डा. एसवाई कुरैशी ने वैसे तो पद संभालते ही चुनाव सुधार के लिए कदम उठाने की मुहिम शुरू कर दी थी, जिनका असर बिहार चुनाव पर भी साफ तौर से नजर आया। इसी चुनाव सुधार की दिशा में निर्वाचन आयोग ने फैसला किया है कि भविष्य में उन्हीं राजनीतिक दलों को चंदे पर कर छूट का लाभ दिया जाएगा जो चुनाव में सक्रिय हिस्सेदारी करके अपनी प्रभावी शक्ति को साबित करेंगे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी के अनुसार चुनाव आयोग में पंजीकृत राजनीतिक दलों की संख्या 1200 तक पहुंच गई है, जिसके करण कुछ फर्जी दल आयकर कानून के उन प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं जिस मकसद से उनके दलों का पंजीकरण किया गया था। ऐसा एक अध्ययन के दौरान पाया गया कि जिसके बाद चुनाव आयोग समझता है कि धन शोधन करने ओर उस पैसे को शेयर बाजार में लगाने एवं आभूषण खरीदने के लिए फर्जी पार्टियां बनाई जा रही हैं। चंदे लेने और देने वाले को आयकर में छूट देने वाले नये कानून के बाद ऐसे अनेक नये राजनीतिक दल सामने आये हैं जिनका लोकतंत्र प्रणाली से कोई सरोकार नहीं है। यह चुनाव आयोग की जांच में एक चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया कि एक राजनीतिक दल का कार्यालय चाय की दुकान में है, तो दूसरा दल आभूषण और शेयर खरीदने में दो से तीन करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। इसके अलावा एक पार्टी का कार्यालय तो नियत स्थान पर ही नहीं मिला। अब चुनाव आयोग ने ऐसे राजनीतिक दलों के पंजीकरण निरस्त करने की तैयारियां कर दी हैं। इसके लिए आयोग पहले ही राजनीतिक दलों के पंजीकरण से जुड़े नियमन के कानून में संशोधन करने के लिए सरकार से सिफारिश कर चुका है। मुख्य चुनाव आयुक्त का कहना है उनके विचार से राजनीतिक दलों को अपने खातों का वार्षिक लेखाजोखा प्रकाशित कराना चाहिए, विशेष तौर पर चंदे की राशि पर कर छूट का विवरण देना चाहिए, जिसके बाद ऐसा न कर पाने वाले दलों के पंजीकरण निरस्त करने में सुविधा होगी। आयोग ने चुनाव खर्च के जरिए कराये जाने पर भी विचार किया जा रहा है। निर्वाचन आयोग का मत है कि कर छूट उन दलों को ही दी जानी चाहिए जो चुनाव में हिस्सा लेते हैं और चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर अपनी राजनीतिक स्थिति स्पष्ट करते हैं। राजनीतिक दलों के खातों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि सभी राजनीतिक दलों को अपने खातें की कैग या चुनाव आयोग की ओर से नियुक्त पैनल से वार्षिक आडिट करानी चाहिए। इसी प्रावधान से चुनाव की लोकतंत्र प्रणली में सुधार किया जा सकता है।
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