भारत को समझने के लिए प्रवासी भारतीय दिवस समारोह में शिरकत करने आए करीब एक दर्जन देशों के युवा और छात्र- छात्राओं के दिल में भी भारतीय संस्कृति को संजोने के लिए जगह है। इसी दल के युवाओं का मानना है कि वह देश के विभिन्न सांस्कृतिक, पर्यटन और अन्य प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों को देखकर भारत को समझने की इच्छा रखते हैं जिसके लिए भारत सरकार ने भी उन्हें जो मौका दिया है वे उसे गंवाना नहीं चाहेंगे।भारत सरकार ने विदेशों में बसे भारतीयों की उस युवा पीढ़ी को भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत की संस्कृति और सभ्यता को समझने का मौका दिया है इसी दृष्टि से नौवें प्रवासी सम्मेलन में करीब एक दर्जन देशों के युवा और छात्र-छात्राओं का दल भी भारत को समझने के लिए विभिन्न शहरों का दौरा कर रहा है। फिजी, आस्ट्रेलिया, दक्षिया अफ्रीका, कनाडा, न्यूजीलैँड, जिम्बाब्वे, पेरू, इजराइल, टोरेंटो, अमेरिका, ब्रिटेन अदि एक दर्जन देशों के छात्र-छात्राओं के दल का भारत में नेतृत्व प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय के अधिकारी जुबैर कर रहे हैं। इस दल में फिजी से आई आंध्र प्रदेश की मूल निवासी रोजलिन नायडू ने हरिभूमि संवाददाता से बातचीत में कहा कि इस दल में शामिल 35 सदस्य भारतवंशी तो हैं लेकिन वे पहली बार भारत आये हैं जिन्हें अभी इस लोकतांत्रिक देश को समझने की जरूरत है। नायडू कहती हैं कि हम समाचार पत्रों व टीवी पर ही भारत के बारे में सुनते आए हैं, लेकिन उन्हें भारत सरकार ने इंडिया को समझने का जो मौका दिया है उसे वे किसी भी कीमत पर गंवाना नहीं चाहेंगे। इसी प्रकार से फिजी से ही आंचल, रोनिज व विनीत के अलावा आस्टेलिया से गौरी, दक्षिण अफ्रीका से जयन्दन व सनम, पेरू से जयंती व कनाडा से आई एंड्यि भी भारत आकर प्रफ्फुलित नजर आये।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें