सोमवार, 13 दिसंबर 2010

चुनौतियों भरा होगा कांग्रेस का अधिवेशन!

घोटालों व भ्रष्टाचार पर मुश्किल में फंसी है कांग्रेस
ओ.पी. पाल
यूपीए सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन 18 दिसंबर से शुरू होगा, जो भ्रष्टाचार और घोटालों के मुद्दे पर फजीहत झेल रही कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। इसका कारण साफ है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के शासनकाल में सामने आ रहे भ्रष्टाचार और घोटाले के मुद्दे पार्टी की मुश्किलों को निरंतर बढ़ाते आ रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी में अगले सप्ताह होने वाले कांग्रेस के तीन दिवसीय अधिवेशन ऐसे समय हो रहा है जब विपक्ष से घिरी यूपीए सरकार में उसका नेतृत्व करने वाली कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ाती नजर आ रही है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जेपीसी की मांग को लेकर संसद का पूरा शीतकालीन सत्र हंगामें की भेंट चढ़ने की दहलीज पर खड़ा है, जिसका सोमवार को अंतिम दिन है और अंतिम दिन भी विपक्ष की एकजुटता और जेपीसी की मांग पर अड़िग विपक्ष की चेतावनी को देखते हुए हरेक दिन की तरह बाधित होने के संकेत कर रहा है। यदि सोमवार को भी संसद की कार्यवाही नहीं चल पाई तो यह भारतीय संसद के इतिहास में शायद पहला मौका होगा जब पूरा संसद सत्र किसी मुद्दे को लेकर हंगामे की भेंट चढेÞगा? ऐसे में यूपीए सरकार का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस पार्टी की राजनीति ही प्रभावित हो रही है। ऐसे में अगले सप्ताह अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन 18 दिसंबर से शुरू होगा, जब कांग्रेस 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले, राष्ट्रमंडल खेलों में हुए गोलमाल तथा आदर्श सोसायटी घपले के कलंक से जूझ रही है। इस अधिवेशन में इनके अलावा अन्य अनेक महत्वपूर्ण मुद्दो पर चर्चा निश्चित रूप से होगी। कांग्रेस के इस अधिवेशन में खासकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए उनकी राजनीति जीवन की सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है, क्योंकि भ्रष्टाचार और घोटालों की श्रृंखला की पृष्ठभूमि में इस मुद्दे पर राजग और गैर राजग विपक्ष कांग्रेस पर घेराबंदी कसते जा रहे हैं। कांग्रेस प्रमुख श्रीमती सोनिया गांधी स्वयं भी भ्रष्टाचार और लालच के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जता चुकी हैं। 2जी स्पेक्ट्रम मामले में विपक्ष ने संसद का पूरा शीतकालीन सत्र बाधित कर सरकार को घेरते हुए विपक्ष पहले ही अपने आपको मजबूत साबित कर चुका है। विपक्ष कांग्रेस को इसलिए भी घेरे हुए हुए है कि एक माह पूर्व दिल्ली के तालकटोरा आडोटीरियम में हुई कांग्रेस की राष्टÑीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री, सोनिया ही नहीं कांग्रेस का कोई अन्य बड़ा या छोटा नेता भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक भी शब्द नहीं बोल पाया था, जिसे लेकर प्रमुख विपक्षी दल ने तीखी टिप्पणियां की थी। हालांकि उसके बाद कांग्रेस हाईकमान ने मुंबई में आदर्श सोसायटी घोटाले में लिप्त महाराष्टÑ के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को हटाया है, तो 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जद्दोजहद के बाद संचार मंत्री ए. राजा से भी प्रधानमंत्री इस्तीफ लेने में तो कामयाब रहे, लेकिन जेपीसी पर मनमोहन टस से मस भी नहीं हो पा रही है। बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हुई फजीहत के लिए कांग्रेस भी अहसास कर रही है कि उसका नतीजा भ्रष्टाचार और घोटालों के मुद्दे को विपक्षी दलों द्वारा जोरों से उठाये जाना ही है। हालांकि कांग्रेस के इस अधिवेशन में बिहार चुनाव के नतीजों की भी समीक्षा पर विचार होगा। कांग्रेस के लिए यह अधिवेशन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अगले साल तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल,असम और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने है जिसके लिए उसे अपनी रणनीति तय करनी होगी। वहीं वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश और भाजपा शासित गुजरात सहित कुछ अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव भी ऐसे दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। इन सभी चुनौतियों का सामना किस रणनीति से किया जाए कांग्रेस का अधिवेशन खासकर इसी पर केंद्रित होगा। कांग्रेस प्रमुख सोनिया के सामाने यह भी एक समस्या बनी हुई है कि वह पार्टी की 25 सदस्यीय शीर्ष नीति निर्धारक निकाय 'कांग्रेस कार्य समिति' का पुनर्गठन करने में विलंब हो रहा है, जो अधिवेशन से पहले ही होना था। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी अधिवेशन में सबसे पहले कांग्रेस कार्य समिति पर फैसला करेंगी।

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