सोनिया आज करेंगी ध्वजारोहण
ओ.पी. पाल 
कांग्रेस पार्टी ने जिस प्रकार से पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस के 125वें वर्ष की शुरूआत में आयोजित सम्मेलन में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव को कोई स्थान नहीं दिया था, उसी प्रकार कांग्रेस के 83वें महाधिवेशन में भी उन्हें नजरअंदाज किया गया है। महाधिवेशन में देश के सभी कांग्रेसी प्रधानमंत्री को मंच पर संयुक्त चित्र में ही नहीं, बल्कि विशाल पंडाल में लगाए गये अलग-अलग चित्रों में भी कहीं तक नरसिंह राव का चित्र नहीं लगाया गया है। जहां तक पंडाल में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के चित्र को जगह दी गई है तो वह शायद कांगे्रस की मजबूरी थी, जहां सभी कांग्रेस अध्यक्षों के टेबलेट साइज चित्रों में उन्हें एक कोने में जगह मिली है। नरसिम्हा राव 1992 से 1996 तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। गौरतलब है कि जब पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव का निधन हुआ था तो उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय लाने से भी परहेज किया गया था।
आजादी के बाद नहीं बना मुस्लिम अध्यक्ष कांग्रेस के 125 साल के इतिहास को पार्टी ने अपने 83वें महाधिवेशन में प्रमुख पृष्ठभूमि में शामिल किया है, जिसमें महाधिवेशन के मंच के दाएं ओर लगाए गये कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्षों को क्रमवार चित्रों के रूप में दर्शाया गया है, लेकिन देखने से साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस ने देश की आजादी के बाद किसी भी मुस्लिम को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पदासीन नहीं किया, जबकि कांग्रेस की स्थापना से अभी तक कुल बने 59 राष्ट्रीय अध्यक्षों में आजादी से पहले आठ मुस्लिम राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, जिनमें 1887 में बदरूद्दीन तैयबजी, 1896 में रहमतुल्ला,1913 में नवाब सैयद मोहम्मद बहादुर, 1918 में सैयद हसन इमाम, 1921 में हकीम अजमल खान, 1923 में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद व मौलाना मो. जफर तथा 1927 में डा. एम.ए. अंसारी कांग्रेस के राष्टÑीय अध्यक्ष के रूप में अंतिम मुस्लिम चेहरा था।
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