शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में फंसी कांग्रेस

महाधिवेशन में विपक्ष पर रहेगा निशाना
ओ.पी. पाल
भ्रष्टाचार और घोटालों के कारण विपक्षी दलों के चक्रव्यूह में फंसी कांग्रेस महाधिवेशन में आने वाले प्रस्तावों के जरिए बाहर आने का भरकस प्रयास करेगी, जिसमें यूपीए सरकार और कांग्रेस शासित राज्यों की सरकार की उपलब्धियों का बखान होगा और पार्टी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से इन उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाने का आव्हान भी करेगी।राष्ट्रीय राजधानी के बुराडी गांव में शनिवार यानि 18 दिसंबर से 20 दिसंबर तक होने वाले कांग्रेस के 83वें महाधिवेशन में भ्रष्टाचार और घोटाला मुख्य मुद्दा होगा। महाधिवेशन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जो संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामे के कारण भ्रष्टाचार व घोटालों पर विपक्ष के तर्को का जवाब नहीं दे सके उन्हें अपने दल के अधिवेशन में आने वाले देशभर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को स्पष्टीकरण देने का मौका मिलेगा और कांग्रेस पार्टी राजनीतिक प्रस्ताव के जरिए विपक्ष खासकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा को घेरने का प्रयास करेगी। भ्रष्टाचार और घोटालों पर कांग्रेस यह बताने का प्रयास करेगी कि भ्रष्टाचार व घोटालों की कांग्रेस ने किस स्तर पर जांच शुरू कराई है और उससे जुड़े केंद्रीय मंत्रियों तथा मुख्यमंत्री को पद से हटाया है। जबकि विपक्षी दल भाजपा ऐसा नहीं कर पा रहा है। महाधिवेशन में पारित होने वाले राजनीतिक प्रस्ताव में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को फोकस करके कांग्रेस उन्हें राजनीति में आगे लाने का भी प्रयास करेगी। यही कारण है कि एजेंडे में शामिल न होते हुए भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से की जाने वाली मांग पर राहुल गांधी का संबोधन कराया जाएगा? तो वहीं दूसरी ओर यूपीए सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी जहां यूपीए के दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार और घोटालों के कारण आ रही मुश्किलों पर मंथन करेगी, वहीं बिहार चुनाव के नतीजों का भी जिक्र करेगी और कांग्रेस के 125वें साल में कांग्रेस को एक नये अध्याय के साथ नये सिरे से शुरूआत करने का आव्हान भी करेगी, जिसमें पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के आगामी विधानसभाओं के चुनाव के लिए कांग्रेस की नीतियों को भी उजागर किया जाएगा। वहीं 2012 में यूपी के विधानसभा चुनाव को लेकर भी कांग्रेस रणनीति की घोषणा कर सकती है। इस महाधिवेशन में जगनमोहन रेड्डी के कांग्रेस से इस्तीफा देने से आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के संकट पर भी मंथन होना तय है। सरकार यूपीए सरकार और कांग्रेस शासित राज्यों की उपलब्धियों का भी महाधिवेशन में बखान करेगी तो वहीं गैर कांग्रेसी राज्य सरकारों की खामियों को उजागर करने में पार्टी कोई चूक नहीं करेगी। इसी प्रकार आर्थिक प्रस्ताव में पार्टी वैश्विक मंदी का जिक्र करते हुए उस उपलब्धियों को प्रमुखता से बताने का प्रयास करेगी कि इस आर्थिक मंदी के बावजूद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोडी और देश का आर्थिक विकास प्रगति पर है। वहीं विदेश नीति में कांग्रेस पार्टी इस महाधिवेशन में अमेरिकी राष्टÑपति बराक ओबामा, फ्रांस के राष्टपति ब्रूनी सरकोजी तथा चीन के प्रधानमंत्री वेन वेन जियाबाओ द्वारा भारत दौरे करके जिस प्रकार भारत को एक बढ़ती ताकत बताया है का जिक्र करके भी कांग्रेस द्वारा विपक्ष को निशाने पर रखने की संभावना है। वहीं कांग्रेस के 125 साल के इतिहास को गौरवशाली करार देकर उसकी उपलब्धियों तथा देश की सेवाओं का जिक्र होने की भी संभावना है। ऐसी भी संभावना जताई जा रही है कि महाधिवेशन में कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए अन्य राज्यों से भी आने वाले प्रस्ताव पर महाधिवेशन मुहर लगाएगा।

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