मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल

कांग्रेस संगठन में नये अध्याय की शुरूआत
ओ.पी. पाल
कांग्रेस के 125वें वर्ष के समापन में कांग्रेस संगठन ने नये अध्याय की शुरूआत की है, जिसके लिए कांग्रेस महाधिवेशन में पार्टी संविधान संशोधन को पारित किया गया। कांग्रेस की विषय समिति की बैठक में शनिवार को ही संविधान संशोधन समिति की सिफारिशों पर कांग्रेस संविधान में संशोधन के प्रस्ताव को भी अंतिम रूप दे दिया गया था, जिसमें मुख्य रूप से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत राष्ट्रीय कार्यसमिति का कार्यकाल तीन साल के बजाए पांच साल करने का प्रस्ताव था। इसी उद्देश्य से पार्टी ने 125वें वर्ष के समापन के समय महाधिवेशन में इस प्रस्ताव को पारित कराने का निर्णय लिया। खुले महाधिवेशन में देशभर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के समक्ष पार्टी संविधान संशोधन का प्रस्ताव प्रभारी महासचिव आस्कर फर्नांडीस ने पेश किया, जिसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, रक्षा मंत्री एके एंटनी और पार्टी महासचिव राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ मंत्रियों और महाधिवेशन में तालियों की गड़गडाहट के बीच तालियों की गडगडाहट के बीच मंजूरी दी गई। इसी प्रस्ताव के पारित होते ही 125 साल के कांग्रेस संगठन में एक नया अध्याय जुड़ गया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष का कायर्काल तीन साल से बढ़ाकर पांच साल हो गया है। यह संशोधन ऐसे समय में आया है, जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लगातार चौथी बार पार्टी की कमान संभाल रही हैं। यह सवा सौ साल पुरानी इस पार्टी के अध्यक्ष का सबसे लंबा कायर्काल है। हर पांच साल में एक बार सांगठनिक चुनाव कराने के उद्देश्य से भी पार्टी ने संविधान में संशोधन किया। फिलहाल ये तीन साल पर कराये जाते हैं। इसी प्रस्ताव में एक अन्य महत्वपूर्ण संविधान संशोधन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की साल में कम से कम एक बार बैठक से जुड़ा हुआ पारित किया है। इससे पहले पार्टी संविधान में व्यवस्था थी कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को हर साल कम से कम दो बार बैठक करनी चाहिए। 

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