शनिवार, 18 दिसंबर 2010

संविधान संशोधन से कांग्रेस में जुड़ेगा नया

महाधिवेशन में आएंगे संविधान संशोधन, राजनीति, विदेश नीति व आर्थिक प्रस्ताव
कांग्रेस के समर्पण व सेवा के 125 साल की गाथा का होगा गुणगान
ओ.पी. पाल
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 83वां महाधिवेशन पार्टी की विषय समिति की बैठक के साथ शुरू हो गया है, जिसमें खुले महाधिवेशन में आने वाले कांग्रेस के समपर्ण एवं सेवा के 125 साल, राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय मामलों  के प्रस्तावों के अलावा पार्टी संविधान संशोधन को भी प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली विषय समिति ने अंतिम रूप दे दिया है।राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली आयोजित कांग्रेस के 83वें महाधिवेशन की शुरूआत शनिवार को संसदीय सौंध के मुख्य सभागार में विषय समिति की बैठक के साथ हुई, जिसमें देश के राजनीतिक हालातों खासकर 125 साल की कांग्रेस पार्टी को मजबूत बनाने की रणनीति पर विचार किया गया, जिसमें युवाओं और महिलाओं, अल्पसंख्यकों तथा अन्य कमजोर वर्गो के हितों में नीतियों पर विचार किया गया। कांग्रेस के 19 व 20 दिसंबर को बाहरी दिल्ली के बुराड़ी में आयोजित 83वें महाधिवेशन में पारित किये जाने वाले प्रस्तावों पर भी विषय समिति के सदस्यों ने माथापच्ची की, जिसमें कांग्रेस पार्टी को125वें साल में नया अध्याय जोड़ने की दिशा में पार्टी की संविधान संशोधन समिति की सिफारिश को मानते हुए विषय समिति ने उस संविधान संशोधन के प्रस्ताव को भी महाधिवेशन में लाने के लिए अंतिम रूप दिया, जिसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी का चुनाव तीन साल के बजाय पांच साल बाद किया जाए। सूत्रों के अनुसारन संविधान संशोधन में प्रस्ताव है कि लोकसभा और विधानसभा की तर्ज पर ही कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी का चुनाव भी पांच साल पर किया जाना चाहिए, इसी लिहाज से कांग्रेस इस महाधिवेशन में संविधान संशोधन प्रस्ताव पारित कराएगी। महाधिवेशन में इसके अलावा चार अन्य महाधिवेशन में चार प्रस्ताव पास किए जाएंगे जिसमें राजनीतिक,  आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों के अलावा कांग्रेस के 125 वर्ष पूरे होने के संबंधित प्रस्ताव शामिल हैं। इन सभी प्रस्तावों को चर्चा के बाद प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली 22 सदस्यीय विषय समिति ने अंतिम रूप दे दिया है। सूत्रों के अनुसार महाधिवेशन में 19 नवंबर को संविधान संशोधन, राजनीति और कांग्रेस के समर्पण और सेवा के 125 साल वाले प्रस्ताव पारित होंगे, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मामलों वाले विदेश नीति तथा आर्थिक प्रस्ताव महाधिवेशन के अंतिम दिन 20 दिसंबर को पारित किया जाएगा। अंतिम दिन यदि कोई प्रस्ताव राज्यों से आये तो उन्हें भी महाधिवेशन में पारति कराये जाने का प्रस्ताव है। इन प्रस्तावों को वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली समिति ने अंतिम रूप दे दिया है। विषय समिति द्वारा इन प्रस्तावों पर सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली संचालन समिति 19 नवंबर यानि रविवार को महाधिवेशन में मुहर लगाएगी जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा अन्य वरिष्ठ नेता भी हिस्सा ले रहे हैं। हालांकि महाधिवेशन की विषयवस्तु 'कांग्रेस के सेवा एवं समर्पण के 125 वर्ष' रखा गया है। पार्टी ने कांग्रेस देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के सवा सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस 'तंबुओं के शहर' में पार्टी का महाधिवेशन आयोजित करके कांग्रेस के सफर को ऐतिहासिक बनाने का प्रयास किया है। कांग्रेस की स्थापना के सवा सौ साल के इतिहास में दिल्ली में शनिवार से उसका छठा महाधिवेशन शुरू हो गया। आजादी के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में उसका यह छठा महाधिवेशन है। राष्ट्रीय राजधानी में 32 वर्ष के अंतराल के बाद कांग्रेस महाधिवेशन का आयोजन किया जा रहा है। जबकि सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद यह पार्टी का तीसरा महाधिवेशन है। दिल्ली में 32 वर्ष के अंतरराल पर कांग्रेस महाधिवेशन हो रहा है, पिछला महाधिवेशन 1978 में हुआ था जिसकी अध्यक्षता इंदिरा गांधी ने की थी। महाधिवेशन के पहले दिन विषय समिति की बैठक में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, महासचिव राहुल गांधी के अलावा प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली विषय समिति के 22 सदस्यों के साथ राज्यों के मुख्यमंत्री, विधानसभा में कांग्रेस विधानमंडल के नेता, प्रदेशाध्यक्ष, राज्यों के प्रभारी एवं राष्ट्रीय महासचिव, सचिवों ने प्रस्तावों पर चर्चा के रूप में करीब छह घंटे तक माथापच्ची की और महाधिवेशन के लिए प्रस्तावित चार प्रस्तावों के अलावा पार्टी संविधान संशोधन के प्रस्ताव को भी अंतिम रूप दिया गया।

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