ओ. पी. पाल
बहुचर्चित 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाले का खुलासा करने के बाद देश में भ्रष्टाचार को लेकर जिस प्रकार से भूचाल मचा है वह पिछले दिनों संपन्न हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा जेपीसी की मांग को लेकर सरकार पर विपक्ष का बोला गया हमला सभी के सामने है। इसी 2जी स्पेक्ट्रम मामले पर संसद की लोका लेखा समिति ने अपनी कार्यवही को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है जब पीएसी के सामने कैग सोमवार को पेश होकर यह बताएगी कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकार को 1।76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान कैसे हुआ, जिसका जिक्र कैग ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में किया है।इस मामले पर यूपीए केंद्र सरकार विपक्ष की 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन करने की मांग को लगातार ठुकराती आ रही है, जिसके लिए सरकार ने इस मामले में सीबीआई, पीएसी, ईडी, आईटी, सीवीसी आदि की जारी जांच का तर्क दे रही है। जबकि विपक्षी दल राजग व अन्य दल अलग-अलग मंच से भ्रष्टाचार को लेकर अब संसद के बाहर आंदोलन चलाते हुए कांग्रेसनीत यूपीए सरकार को अभी तक घेरे हुए है। फिर भी संसद की लोक लेखा समिति पर भी विपक्ष की काफी उम्मीदें टिकी हुई है, जिसके अध्यक्ष प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के सांसद डा. मुरली मनोहर जोशी हैं। जोशी की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति ने सोमवार को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानि कैग को अपना मत देने के लिए बुलाया है, जो पीएसी को बताएगी कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के कारण सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान कैसे-कैसे हुआ है। देश का सबसे बड़ा घोटाले के रूप में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में हुए भ्रष्टाचार को लेकर संसद का पूरा शीतकालीन सत्र लगभग बिना कामकाज के ही समाप्त हो गया था। सूत्रों के अनुसार कैग अपना मत विनोद राय समिति के सामने भी पेश करेगा। कैग रिपोर्ट से इस मामले में हुए खुलासा ही भाजपा और वाम दलों समेत पूरे विपक्ष के लिए सरकार को निशाना बनाने का एक हथियार साबित हुआ है। हालांकि विपक्ष अभी भी इस मामले की जांच के लिए जेपीसी की इस मांग पर अड़िग है तो यूपीए सरकार पीएसी को इसके लिए सक्षम बताते हुए जेपीसी का गठन न करने के रवैये पर टिकी हुई है। इसी कारण संसद के शीतकालीन सत्र के समय शुरू हुए सरकार और विपक्षी दलों के बीच शुरू हुए गतिरोध का सिलसिला अभी तक समाप्त होने का नाम नहीं ले पा रहा है। इस गतिरोध के बीच सोमवार को पीएसी की बैठक को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिसके सामने पेश होने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने भी अपना प्रस्ताव रखा है, लेकिन पीएसी के पास कोई ऐसा अधिकार नहीं है कि वह प्रधानमंत्री को पेश होने के लिए कहे। लेकिन ऐसी कोई अधिकारिक जानकारी नहीं है कि प्रधानमंत्री ने इस बारे में कोई औपचारिक निवेदन किया है। पीएसी ने जांच के लिए डीओटी, वित्त मंत्रालय, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से भी जानकारी एकत्रित की है। संसद की लोक लेखा समिति ने इस ममले पर अपनी पिछली बैठक में ही 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में विचार और सुझाव आमंत्रित किये थे। इसके लिए लोकसभा सचिवालय ने भी एक अधिसूचना में कहा था कि इस विषय की अहमियत और इससे जुड़े राष्ट्रीय हितों को मद्देनजर रखते हुए समिति ने उन लोगों, विशेषज्ञों, संगठनों और संस्थानों से इस बारे में सुझाव और विचार मांगे थे।
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