मंगलवार, 30 नवंबर 2010

जगन रेड्डी ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें!

भ्रष्टाचार पर पहले ही घिरी यूपीए सरकार
ओ.पी. पाल
ऐसे समय जब कांग्रेसनीत यूपीए सरकार भ्रष्टाचार और घोटाले के मुद्दे पर चौतरफा घिरी हुई है, तो आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के बागी सांसद जगनमोहन रेड्डी ने पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। भ्रष्टाचार व घोटालों के मुद्दों पर तो यूपीए सरकार को विपक्ष की एकजुटता ने इस कदर घेर रखा है कि संसद के शीतकालीन सत्र के अभी तक के 12 दिन हंगामें की भेंट चुके हैं और अभी संसद की कार्यवाही चलने के आसान पूरी तरह से क्षीण हैं।
यूपीए के दूसरे शासनकाल में जिस प्रकार 2जी स्पेक्ट्रम, मुंबई का आदर्श आवास सोसायटी घोटाला तथा राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों मेंभ्रष्टाचार खासकर कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ाता जा रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे जो कांग्रेस की उम्मीदों के विपरीत आए हैं जो कांग्रेस के भ्रष्टाचार और घोटालों का ही परिणाम है। बिहार चुनाव में सोनिया और राहुल का भी जादू काम नहीं आ सका, जिसे लेकर कांग्रेस के सामने पार्टी जनाधार के भविष्य पर भी सवालिया निशान खड़ा कर गये हैँ। इधर देश के सबसे बड़े घोटाले के रूप में सामने आए 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन घोटाले ने कांग्रेसनीत यूपीए सरकार की नींद हराम कर दी है, जिसमें 1.70 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के साथ 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग को समूचा विपक्ष एकजुट है। विपक्ष ने कांग्रेसनीत यूपीए सरकार को चौतरफा घेर रखा है जिसके कारण संसद के शीतकालीन सत्र के पहले 12 दिन विपक्ष के हंगामे की भेट चढ़ चुके हैं और सत्तापक्ष की किसी भी अपील और कवायद का विपक्ष की एकजुटता पर कोई प्रभाव नहीं है यानि समूचा विपक्ष बिना जेपीसी के गठन से पहले संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलवाने के लिए सहमत न होने की जिद पर अड़िग है। जब संसद में यूपीए सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस घोटालों और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चौतरफा घिरी हुई तो बिहार चुनाव के नतीजों के साथ ही आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के सांसद जगनमोहन रेड्डी के इस्तीफे से कांग्रेस कहीं अधिक हलकान है, क्योंकि जगनमोहन रेड्डा राज्य के तीन दर्जन विधायकों के समर्थन का भी दावा कर रहे हैं। कांग्रेस को इस राजनीतिक संकट से आंध्र सरकार के अल्पमत में आने का भय तो सता ही रहा है। भले ही आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य वी हनुमंत राव यह कह रहे हों कि पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के पुत्र व कडप्पा से पार्टी के सांसद वाईएस जगनमोहन रेड्डी के कांग्रेस से इस्तीफा देने से प्रदेश में कांग्रेस की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जबकि दूसरी ओर कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने जगन के पार्टी से इस्तीफा देने को कांग्रेस के लिए दुर्भाग्य करार दिया है। ऐसे में आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को पार्टी जनाधार के भविष्य पर भी संकट साफ नजर आ रहा है। दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस रेड्डी की हैलीकाप्टर दुर्घटना में हुई मौत के बाद उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने के. रसौया को मुख्यमंत्री बना दिया था। तभी से जगन रेड्डी के बागी तेवर सामने आ रहे थे। इस संकट से निपटने के लिए हाल ही में कांग्रेस ने रसौया से इस्तीफा लेकर उनके स्थान पर एन किरण रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन कांग्रेस को यह दांव उल्टा नजर आया और जगनमोहन रेड्डी के बागी तेवर इस कदर आसमान पर गये कि सोमवार को उन्होंने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहकर नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। यूपीए सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस के चौतरफा घिरे होने से कहा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी की मुसीबतें कम होने के बजाए बढ़ती जा रही है।

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