ओ.पी. पाल
2जीस्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए जेपीसी की मांग पर अड़िग विपक्ष का सत्तापक्ष के साथ गतिरोध बरकरार है जिसके कारण राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान एक भी दिन सदन की कार्यवाही सुचारू नहीं हो सकी है। यही कारण है कि सरकार के एजेंडे में शामिल कई महत्वपूर्ण बिल संसद में पेश नहीं हो पा रहे हैं। इस सत्र में अभी तक जो नया दिखाई दिया वह केवल विपक्ष के हंगामे में मंगलवार को ‘वी वांट जेपीसी’ के साथ ‘ताज बदल दो तख्त बदल दो’ के नारे भी सुनने को मिले।
गत नौ नवंबर से आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र में मामूली कामकाज के अलावा अभी तक जिस प्रकार से दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी है और आने वाले दिनों में भी संभव नहीं है तो ऐसे में राष्ट्रहित के कामकाज तो प्रभावित हो ही रहा है, वहीं सरकार के एजेंडे में शामिल अत्याचार निवारण विधेयक 2010, शिक्षा प्राधिकरण विधेयक 2010, बीज विधेयक 2004, अपहरण रोधी (संशोधन) विधेयक2010, मुफ्त और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार(संशोधन) विधेयक संसद में पेश नहीं हो पा रहे हैं, वहीं पुनर्वास विधेयक, महिला आरक्षण बिल, खान व खनिज विकास और नियमन संशोधन विधेयक के अलावा पंचायती राज व शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए दो संशोधन विधेयक भी इसी सत्र में प्रस्तावित थे, जबकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक बिल को सरकार ने इस सत्र में पेश न करने का फैसला कर लिया है। इसी प्रकार लोकसभा में पारित हो चुके यातना निवारण विधेयक जैसे कई ऐसे बिल हैं जो राज्यसभा में पेश किये जाने थे। लेकिन 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग को लेकर अडिग विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़े अभी तक के 13 दिनों को देखने तथा आने वाले दिनों में यही स्थिति को देखते हुए लगता है कि ये विधेयक इस सत्र में अटके रह जाएंगे। जहां तक शीतकालीन सत्र का सवाल है उसमें केवल पहले दिन लोकसभा में कुछ कार्यवाही चल सकी थी, जिसमें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग से संबन्धित केंद्रीय मंत्री कमलनाथ से मात्र एक ही सवाल पूछा जा सका था। इस मामूली कामकाज के अलावा अभी तक संसद के दोनों सदनों लोकसभा व राज्यसभा में एक भी प्रश्नकाल नहीं हो सका है। हां इतना जरूर है कि विपक्ष के हंगामे के बीच सभापीठ से कुछ रिपोर्टे व दस्तावेज सदनों के पटल पर रखवा दिये जाते है, लेकिन सदन की कार्यवाही के नाम पर अभी तक का सत्र शून्य पर टका हुआ है। दोनों सदनों में ही सभापति के बैठने से पहले ही विपक्ष की एकजुटता वेल में नजर आने लगती है और शुरू हो जाता है 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर जेपीसी की मांग को लेकर हंगामा। राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के 13वें दिन आज जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो सभापति मोहम्मद हामिद अंसारी ने विपक्षी दलों की ओर से अग्रणी रहने वाले ओडिसा के सांसद रुद्रनारायण पाणी को सभापति ने सभापीठ पर बैठते ही यहां तक कह दिया कि वह संसद के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसके बाद भी विपक्षी दलों ने ‘वी वांट जेपीसी’ के नारे लगाये, तो वहीं इस नारे में परिवर्तन करते हुए ‘ताज बदल दो तख्त बदल दो’ के नारे भी लगाए। इस नारे पर रुद्रनारायण पाणी का कहना था कि यह नया नारा नहीं है बल्कि पुराना नारा है, लेकिन भाजपा ही नहीं समूचा विपक्ष जेपीसी की मांग से पहले कोई समझौता करने वाला नहीं है। उनका कहना था कि यह विपक्ष का ही रूख नहीं, बल्कि देश की जनता की आवाज है जो 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में 1.70 लाख करोड़ का सरकार से हिसाब मांग रही है। उच्च सदन की तरह ही लोकसभा में जेपीसी को लेकर गतिरोध जारी है। 2जी स्पेक्ट्रम, आदर्श आवास सोसायटी और राष्ट्रमंडल खेलों में हुए भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेसनीत यूपीए सरकार विपक्ष से घिरी हुई है, लेकिन जिस प्रकार से विपक्ष जेपीसी की मांग पर अड़िग है उसी तरह सत्तापक्ष भी जेपीसी गठित न करने की जिद पर अड़ी हुई है, जो संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही को सुचारू करने में सबसे बड़ा गतिरोध बना हुआ है। इसके विपरीत सरकार इस सत्र के दौरान कई सर्वदलीय बैठक आयोजित कर विपक्ष से जेपीसी की जिद छोड़ने की अपील जरूर कर रही है, लेकिन सर्वदलीय बैठके सत्ता और विपक्ष के टकरा रहे अहम् के सामने बेनतीजा साबित हो रही हैं। ऐसा भी नहीं लगता कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र को समय से पूर्व अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने पर विचार करेगी? लेकिन सवाल है कि संसद में सत्ता व विपक्ष के बीच जेपीसी को लेकर जारी गतिरोध के कारण राष्ट्रहित के कई विधेयक संसद में पेश नहीं हो पाएंगे।
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