ओ.पी. पाल
देश के बहुचर्चित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कैग की रिपोर्ट में दोषी बताए गये दूरसंचार मंत्री ए. राजा को हटाने के लिए केंद्र सरकार पर बनाए जा रहे विपक्ष के दबाव को पूर्व दूरसंचार सचिव के खुलासे से बल मिला है। जिसे देखते हुए कल सोमवार से संसद में दूरसंचार मंत्री ए. राजा को हटाने की मांग के लिए विपक्ष द्वारा चलाया जा रहा अभियान यूपीए सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट संसद के इसी सत्र में पेश होनी है, लेकिन कैग की इस रिपोर्ट में दूरसंचार मंत्री ए. राजा को दोषी मान लिये जाने को लेकर विपक्ष राजा को हटाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का अभियान चला रहा है जिसके अगले सप्ताह और अधिक जोर पकड़े जाने की संभावना है। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले तीन दिन भ्रष्टाचार और 2जी स्पेक्ट्रम तथा आदर्श सोसायटी घोटाले की भेट चढ़ चुके हैँ। सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय ने भी इस 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से संबन्धित एक रिपोर्ट राष्ट्रपति को भी भेजी है, जबकि कैग रिपोर्ट को संसद में पेश की जाएगी। भाजपा के नेतृत्व में करीब समूचा विपक्ष कैग की 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी इस रिपोर्ट के आधार पर राजा को पद से हटाने की मांग कर रहा है। ए. राजा को हटाने की मांग पर यूपीए सरकार और विपक्ष आमने सामने है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक आवंटन में सरकार को लगभग 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जिसे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पहले दिन से ही गूंज रहा है। जहां कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि दूरसंचार मंत्रालय ने 2जी स्पेक्ट्रम की कीमत कम लगाकर उसे 2008 में नए लोगों को बेचा है, जबकि आवंटन की कीमतें वास्तविक नहीं थीं। इस आवंटन के कारण सरकार को लगभग 176700 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचा है। इस मामले में ए. राजा यह तर्क देते नहीं थक रहे कि इस आवंटन में उन्होंने वही नीतियां अपनाईं हैं, जो उनके पूर्ववर्तियों की थीं। कैग की रिपोर्ट के अलावा केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा के लिए एक नई मुश्किल उस समय खड़ी हो गई जब दूरसंचार विभाग के पूर्व सचिव डी.एस. माथुर ने राजा के खिलाफ सनसनीखेज खुलासे किए हैं। माथुर का कहना है कि उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए आखिरी तारीख बढ़ाने के राजा के फैसले पर अपनी रजामंदी नहीं दी थी, लेकिन राजा ने उनसे आखिरी तारीख बढ़ाने के लिए दबाव बनाया। डीएस माथुर का यहां तक दावा है कि उन्होंने बिना किसी पारदर्शी नीति के स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस देने की दूरसंचार मंत्री राजा के प्रयास का अपने स्तर पर विरोध भी किया, लेकिन राजा ने इस मामले से संबन्धित संयुक्त सचिव को चेतावनी दी कि वह लाइसेंस से जुड़ी किसी भी फाइल पर दस्तखत नहीं करेंगे, इसलिए उनके (राजा) सामने ये फाइलें न लाई जाएं। माथुर का यह भी कहना है कि मई 2007 में दूर संचारमंत्री के रूप में ए राजा ने उनसे 500 नए लाइसेंस जारी करने की बात कही थी, जिस पर माथुर ने कहा था कि स्पेक्ट्रम न होने की वजह से यह संभव नहीं है। दूसरी ओर कैग ने नुकसान के लिए सीधे तौर पर राजा को जवाबदेह ठहराया है। माथुर के इस खुलासे से विपक्ष के राजा हटाओ अभियान को बल मिला है और सोमवार से यह मामला अधिक जोरशोर से गूंजने की सम्भावना है।
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