गुरुवार, 11 नवंबर 2010

अधिकांश ने सराहा ओबामा का भाषण

ओ.पी. पाल
सोमवार को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा दिए गए भाषण को उन राजनीतिक दलों ने भी सराहा जो ओबामा की यात्रा पर सवालिया निशान लगाने की जुगत में थे। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने ही नहीं, बल्कि सपा, लोजपा आदि दलों के नेताओं ने भी ओबामा के भाषण की तारीफ की।
भारतीय संसद के दोनों सदनों के सांसदों को केंद्रीय कक्ष में संबोंधित करते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के लगभग हरेक बिंदुओं का जिक्र आते ही समूचा सदन तालियों से गूंजता नजर आया। सभी दलों के सांसदों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के भाषण को गंभीरता से सुना, जो उस हर मुद्दे को छू गये जिसकी राजनीतिक दलों को अपेक्षा थी। शायद यही कारण रहा कि ओबामा के भाषण से ऐसे राजनीतिक दल भी खुश नजर आए जो ओबामा की यात्रा को लेकर लाल-पीला हो रहे थे। ओबामा के संसद में दिये गये भाषण को मुख्य विपक्षी दल भाजपा समेत लगभग सभी दलों ने जहां भारत के विकास की दृष्टि से सकारात्मक करा दिया है। हालांकि वाम दलों ने गरीबी उन्मूलन का जिक्र नहीं होने के आधार पर इस भाषणा को महज शब्दों की बाजीगरी बताया। मुख्य विपक्षी दल भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने ओबामा के संबोधन पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन कर ओबामा ने बहुत बड़ी बात कही है। उन्होंने इस बात पर विशेष रूप से संतोष जाहिर किया कि पाकिस्तान को भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ संदेश दिया कि उसकी धरती से पैदा होने वाला आतंकवाद अस्वीकार्य है। राजनाथ ने इसे भारत के लिए अच्छा संकेत बताया। भाजपा के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि ओबामा का भाषण पूरी तरह भारतीयता के रंग में रंगा हुआ था। उन्होंने कहा कि ओबामा ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए शांति की बात की है जो वास्तव में प्रशंसनीय है। समाजवादी पार्टी के मोहन सिंह ने कहा कि ओबामा का यह भाषण भारत की अपेक्षाओं के बहुत नजदीक था। उन्होंने कहा कि विश्व की दो महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक शक्तियां बराबरी के भाव से विश्व शांति के लिए काम करने की प्रतिबद्धता जता रही हैं तो यह अपने आप में काफी मायने रखता है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए गौरव की बात यह है कि अमेरिका जैसे बड़े देश के राष्ट्रपति ने पहली बार भारत को बराबरी का दर्जा दिया है। बिजनेस से दोनों देशों के साक्षा हित जुड़े हैं लेकिन जिस मानवीय दृष्टिकोण का ओबामा ने परिचय दिया, वह सराहनीय है। लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान ने ओबामा के भाषण पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने महात्मा गांधी, बाबा अम्बेडकर और दलितों की बात कर भारतीयों के दिलों को छुआ है। राजद के वरिष्ठ नेता जाबिर हुसैन ने कहा कि ओबामा ने पूरे विश्व के लिए शांति स्थापना का जो विचार पेश किया, वह एक सकारात्मक विचार था और किसी एक पक्ष के बजाय उन्होंने संतुलित दृष्टिकोण को अपनाया। इसी पार्टी के वरिष्ठ नेता डी राजा ने कहा कि सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन करने की बात तो कही है लेकिन उसमें भी उन्होंने शर्त लगाई है। उन्होंने कहा कि इसलिए ओबामा के संबोधन से भारत को कोई बहुत अधिक खुश होने की जरूरत नहीं है। कम्युनिस्ट पार्टी के गुरुदास दासगुप्ता ने ओबामा के संबोधन को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि इसमें गरीबी और बेरोजगारी हटाने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। उन्होंने कहा कि ओबामा मानवीय गरिमा की बात तो करते हैं लेकिन गरीबी और बेरोजगारी के बारे में कुछ नहीं बोलते।

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