रविवार, 14 नवंबर 2010

ए. राजा को लेकर असमंजस में कांग्रेस!

विपक्ष के कड़े तेवर, द्रमुक प्रमुख बचाव में कूदे
ओ.पी. पाल
बहुचर्चित 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले को लेकर कांग्रेसनीत केंद्र सरकार पर बढ़ते विपक्ष के दबाव और अन्नाद्रमुक की प्रमुख जयललिता के कांग्रेस को समर्थन देने के प्रस्ताव के बाद केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा के मुद्दे पर असमंजस की स्थिति में है। हालांकि ए. राजा को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने का फैसला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को करना है। दूसरी ओर जहां ए. राजा ने इस्तीफा देने की संभावनाओं से इंकार किया है तो वहीं द्रमुक प्रमुख करुणानिधि भी राजा के बचाव में आगे आ गये हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कैग की रिपोर्ट में भी स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियमितताओं की पुष्टि हो जाने के बाद कांग्रेस ए. राजा का कब तक कवच बनी रहेगी?
संप्रग सरकार में 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर द्रमुक नेता एवं केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा को हटाने के मुद्दे पर जिस प्रकार संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष कड़े तेवरों के साथ अड़िग है, तो तमिलनाडु में द्रमुक की विरोधी पार्टी अन्नाद्रमुक की मुखिया जयललिता भी केंद्र सरकार पर खासकर कांग्रेस पर ए. राजा को हटाने के लिए पूरा दबाव बनाने का प्रयास कर रही है। जयललिता ने तो यहां तक प्रस्ताव रखा है कि ए. राजा को हटाने से यदि यूपीए सरकार से द्रमुक अपना समर्थन वापस लेती है तो वह यूपीए को समर्थन देने को तैयार है। इस प्रस्ताव के बावजूद भी तक कांग्रेस ए. राजा के बचाव में अपने रूख को सख्त बनाए हुए है। लोकसभा में हालांकि अन्नाद्रमुक के सांसदों की संख्या द्रमुक सांसदों से आधी है, लेकिन जयललिता ने कांग्रेस को इस प्रस्ताव में द्रमुक द्वारा समर्थन वापस लेने पर उसके 18 सांसदों की भरपाई करने का भी विश्वास दिलाया है। एक ओर सरकार पर ए. राजा को हटाने के लिए विपक्ष का दबाव है तो दूसरी ओर द्रमुक प्रमुख के बचाव के लिए सरकार पर बनाये जा रहे दबाव को कम करने के लिए जयललिता ने सरकार को स्थिर करने का फार्मूला कांग्रेस के सामने पेश कर दिया है। ऐसी स्थिति में अगले साल फरवरी-मार्च में तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस भी इसलिए असमंजस में है कि तमिलनाडु में वह अकेले दम पर चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकती, वहीं विधानसभा चुनावों में दलित राजनीति के तहत करुणानिधि भी राजा के बचाव में केंद्र सरकार खासकर कांग्रेस पर दबाव बना रहे हैँ। मसलन यह कि ए. राजा को हटाने और बचाव को लेकर दो तरफा बने दबाव को लेकर यूपीए का नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी असमंजस की स्थिति में फंसी हुई है। कांग्रेस ए. राजा के बचाव में कैग की रिपोर्ट को अभियोग मानने को तैयार नहीं है। विधि मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने विपक्ष के दावे को खारिज करते हुए कहा कि 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानि कैग की रिपोर्ट को दूरसंचार मंत्री ए. राजा के खिलाफ अभियोग पत्र नहीं माना जा सकता, क्योंकि कैग एक संवैधानिक निकाय है। वहीं कांग्रेस के महासचिव जनार्दन द्विवेदी कह चुके हैँ कि अभी तो कैग की रिपोर्ट को संसद में पेश किया जाना है जिसके बाद इस प्रकरण में कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। इसलिए ए. राजा के इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। वहीं स्वयं केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा ने कहा कि उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन नियमों के तहत किया है जिसे वे अदालत में साबित कर देंगे, इसलिए इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। वहीं राजा के बचाव में उनकी पार्टी के मुखिया करुणानिधि भी आ गये हैं जिन्होंने तर्क दिया कि मंत्रालय में पूर्ववर्तियो की ओर से अपनाई गई प्रक्रिया का नियमों के अनुसार पालन किया गया है। बहुचर्चित स्पेक्ट्रम घोटाले में ए. राजा को लेकर कांग्रेस की स्थिति असमंजस में कही जा सकती है। भाजपा ने इस मामले के दोषी ए. राजा के समर्थन को कांग्रेस का निर्लज समर्थन करार देते हुए प्रधानमंत्री से ही पांच सवाल पूछे हैं और राजा को हटाने तक विपक्ष ने अपना कड़ा तेवर जारी रखने का भी ऐलान किया है।

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