मंगलवार, 29 जून 2010

जी-20 सम्मेलन से बढ़ी भारत की साख!


ओ.पी. पाल भारत की यह बड़ी सफलता मानी जा रही है कि कनाडा के टोरटों में संपन्न हुए जी-20 सम्मेलन में जा यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था की चर्चा हुई तो वैश्विक मंदी के दौरान जा अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती नजर आई तो ऐसे में भारत ने अर्थव्यवस्था का संतुलन बनाने के लिए जो उपाय किये गये, जिसके लिए सम्मेलन में भारत की सरहाना हुई। वहीं इस सम्मेलन में भारत व कनाड़ा के बीच असैन्य परमाणु करार भी एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। भारत ने जी-20 सम्मेलन में आतंकवाद समेत विभि न्न मुद्दों को लेकर जिस मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा, उसे विश्व के अन्य देशों का भी समर्थन प्राप्त होना भारत के उज्जवल भविष्य का संकेत कहा जा सकता है।प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में टोरंटो के जी-20 सम्मेलन में शामिल हुए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने जिस प्रकार से अपने पक्ष को प्रस्तुत किया है उसे सम्मेलन के हिस्सेदार देशों ने तरजीह दी है। खासकर जा सम्मेलन में विकासपरक नीतियों पर चर्चा हुई तो कुछ यूरोपीय देशों में ऋण संकट के बीच ही पटरी पर आती अर्थव्यवस्था पर जी-20 के सदस्य देशों ने सतत आर्थिक विस्तार के प्रोत्साहन कदमों और सरकारी वित्तीय अव्यवस्था से निपटने के लिए राजकोषीय घाटे को कम करने के बीच संतुलन का आव्हान किया। इस दौरान करीबा दो साल पहले जा पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही थी तो ऐसे समय में भारत की आर्थिक नीतियों के कारण जिस प्रकार भारत में अर्थव्यवस्था को पटरी से उतरने से पहले ही संतुलन बनाने में सफलता मिली उसे जी-20 शिखर सम्मेलन में एक मिसाल के तौर पर लिया गया, जिसे भारत की अर्थव्यवस्था की दृष्टि से एक बड़ी उपलब्धि करार दिया जा सकता है। सम्मेलन में जारी घोषणापत्र के अनुसार अग्रणी अर्थव्यवस्था वाले देशों ने ऐसी वित्तीय योजनाओं की प्रतिबद्धता जताई है, जो 2013 तक घाटे को आधा कर देंगी और 2016 तक सरकारी कर्ज को स्थिर या कम कर देंगी। हालांकि भारत का रूख इस घोषणा पत्र के विपरीत वित्तीय क्षेत्रों की लागत में मितव्यई नियम भी शामिल करने का रहा है। इस सम्मेलन में भारत की अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखने में एक और पहलू उस समय जुड़ गया जा हाल ही में भारत सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थो पर सब्सिडी ख़त्म करके पेट्रोलियम उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी का जिक्र एक संकेत के रूप में घोषणा पत्र में शामिल हुआ और भारत की इस नीति की जी-20 सम्मेलन ने सराहना की। जहां तक जी-20 सम्मेलन मे भारत की सफलता का सवाल है उसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने पक्ष को मजबूती के साथ रखा चाहे वह दुनिया के लिए खतरा ाने आतंकवाद का मुद्दा ही क्यों न रहा हो। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से जी- 20 शिखर सम्मेलन से हुई मुलाकात के दौरान भारत की आतंकवाद जैसी चिंताओं से अवगत कराते हुए कहा कि पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैय्यबा के सदस्य डेविड हेडली द्वारा किए गए खुलासों का महत्व समझना चाहिए और अपनी भूमि से भारत के खिलाफ चल रहे आतंकवाद को रोकने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता एवं सांसद मनीष तिवारी ने जी-20 सम्मेलन में भारत की सफलता और 20 देशों के समूह में बढ़ती भारत की छवि का जिक्र करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को लेकर कई यूरोपीय देश अभी भी गोते खा रहे हैं लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था ने ऐसी परिस्थिति में जिस प्रकार के उपाय करके संतुलन को बिगड़ने से बचाया है वह विश्व समुदाय में एक मिसाल से कम नहीं है। मनीष तिवारी ने तीन साल के तुलनात्मक आंकड़ों से भारत की अर्थव्यवस्था की समीक्षा पेश की। भारत और कनाडा के बीच हुए असैन्य परमाणु करार को बड़ी सफलता बताते हुए तिवारी का कहना है कि यह इस बात का सबूत है कि भारत की विश्व पटल पर तेजी के साथ साख बढ़ रही है, जिसके बाद आस्ट्रेलिया जैसे कई देश भी अपनी परमाणु नीतियों में परिवर्तन करके भारत की तरफ देखने का प्रयास कर रहा है। जी-20 सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भी एक रास्ता प्रशस्त होता नजर आया, जिसके लिए कई देशों ने भारत की सदस्यता का समर्थन करने का भी संकेत दिया। रणनीतिकारों का मानना है कि भारत ने इस सम्मेलन में जिस प्रकार से जलवायु परिवर्तन, व्यापार और अन्य मुद्दों पर अपना पक्ष रखा है उससे भारत के आर्थिक विकास की दृष्टि से भविष्य भी उज्जवल होगा।

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