शनिवार, 5 जून 2010

मुंबई के गुनाहगार कैसे आयेंगे भारत!

ओ.पी. पाल
अमेरिका-भारत की सामरिक वार्ता में भारत ने अमेरिका को लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई न होने की चिंता से अवगत कराया है, जिसकी कड़ी में मुंबई धमाकों के मास्टर माइंड पाकिस्तानी मूल के आतंकी डेविड कोलमेन हेडली भी है जिससे पूछताछ के लिए अमेरिका ने भारतीय जांच एजेंसी को इजाजत तो दे दी है, लेकिन भारत-अमेरिका के बेहतर संबंधों के मायने तभी होंगे जब वह हेडली को उस पर लगे आरोपों के ट्रायल के लिए भारत को सौँप दे। विशेषज्ञों की माने तो हेडली तक पहुंच बनाने पर भारत को यह नहीं सोचना चाहिए कि उसने कोई बड़ा तीर मारा है। हेडली भारत में मुंबई आतंकी हमले का आरोपी है इसलिए भारत की बड़ी उपलब्धि तभी मानी जाएगी जा वह हेडली के भारत में पत्यर्पण पर अमेरिका की सहमति हासिल कर लें।
सामरिक वार्ता के लिए अमेरिका गये भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व करने वाले विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने मुंबई हमले में शामिल रहे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और उसके आतंकियों के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा कार्रवाई न करने की चिंता से अमेरिका को अवगत कराया और कहा कि अमेरिका को सिर्फ कुछ खास आतंकी गुटो से ही नहीं निपटने की रणनीति बनानी चाहिए, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकी गुटों के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने की जरूरत है। हालांकि अगले महीने इस्लामाबाद में भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाली उच्चस्तरीय वार्ता में भी भारत आतंकवाद के मुद्दे को प्रमुख रूप से एजेंडे में रखने की बात कर रहा है। लश्कर-ए-तैयबा से जुडे आतंकी डेविड कोलमेन हेडली जो मुंबई की 26/11 आतंकी घटना का मास्टर माइंड माना जा रहा है से पूछताछ के लिए अमेरिका ने जिस प्रकार भारतीय जांच एजेंसी को इजाजत दी है इसी प्रकार के सहयोग की अपेक्षा करते हुए भारत ने अमेरिका से दुनियाभर के लिए खतरा बनते जा आतंकवाद से निपटने के लिए की है। जहां तक हेडली का मुंबई हमलों में शामिल होने का अपराध अमेरिकी अदालत में स्वीकार करने का सवाल है तो इसके लिए यदि हेडली के भारत में प्रत्यर्पण की जरूरत पड़ी तो भारत को उसके लिए भी अमेरिका से सहमति बनाने की जरूरत है। ऐसा विदेश मामलों एवं रक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं और भारत की जनता भी यही चाहती है कि हेडली के खिलाफ मुंबई आतंकी हमले के आरोपों का मुकदमा भारत में ही चलाया जाए। उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और हरियाणा के अतिरिक्त महाअधिवक्ता विपुल माहेश्वरी का कहना है कि मुंबई आतंकी हमले के आरोपी डेविड हेडली से पूछताछ के लिए अमेरिका ने इजाजत तो दे दी है, लेकिन इस पूछताछ के मायने तभी होंगे जा हेडली को भारत के हवाले करने की मांग को अमेरिका मान ले। यदि अमेरिका हेडली को भारत में प्रत्यर्पण कर देता है तो उसके बाद अदालत द्वारा दोषी करार दिये गये पाकिस्तानी आतंकवादियों को भारत में लाने की राह को भी आसान बनाया जा सकता है। उनका मानना है कि भारत सरकार को ऐसे प्रयास को लगातार जारी रखना चाहिए, तभी आतंकवाद की चुनौती से निपटा जा सकेगा। विदेश मामलों के विशेषज्ञ प्रो. कलीम बहादुर का कहना है कि अमेरिका और भारत में हालांकि प्रत्यर्पण संधि नहीं है यही स्थिति पाकिस्तान के साथ है। यदि अमेरिका और पाकिस्तान से बेहतर रिश्ते बनाने की ओर अग्रसर हैं तो भारत में अपराध करने वाले आरोपियों को इन दोनों देशों को भारत को सौँपने की रणनीति पर विचार करना चाहिए। उनका मानना है कि चूंकि मुंबई की फास्ट ट्रेक अदालत ने मुंबई के आतंकी हमले में आमिर अजमल कसाब के साथ 20 आतंकियों को दोषी ठहराया है तो उन्हें भारत लाने के लिए हमारी सरकार को प्रयास में कमी नहीं रखनी चाहिए, जिनमें हेडली तथा पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद, जकीउर्रहमान लखवी और अबू हमजा जैसे आतंकवादी शामिल हैं। विदेश मामलों के विशेषज्ञ प्रशांत दीक्षित का कहना है कि मुंबई आतंकी हमले दोषी डेविड हेडली को भी भारत लाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए दोनों देशों की सरकार में इस प्रकार की सहमति बनना जरूरी है, वहीं इसके लिए अदालत की स्वीकृति भी जरूरी होगी। इसी रणनीति और कानून के जरिए पाकिस्तानी आतंकवादियों को भी भारत लाया जा सकता है। उनका यह भी मानना है कि जा भारत की अमेरिका और पाकिस्तान के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है इसलिए अमेरिका से हेडली और पाकिस्तानी में बैठे आतंकियों को भारत का गुनाहगार होने के बावजूद यह प्रक्रिया एक कठिन राह से कम नहीं है।

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