ओ.पी. पाल
क्रिकेट के गलैमर में अगले साल होने वाले आईपीएल के चौथे चरण से ही पहले उठते विवादों ने फिर से अपनी गहरी पैठ बना ली है, जिसमें बीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री शरद पवार और उनकी बेटी सांसद सुप्रिया सुले की आईपीएल टीमों में हिस्सेदारी को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। इस मामले में पवार द्वारा आईपीएल से उसके परिवार का सांन्ध न होने की दलील को विपक्ष ने थोथा करार देते हुए उनके इस्तीफे और यहां तक कि आईपीएल विवाद की सीबीआई से जांच कराने तक की मांग की है। इस विवाद पर क्रिकेट विशेषज्ञ मानते हैं कि क्रिकेट को राजनीति से दूर रखकर ही क्रिकेट को प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
भारत में इंडियन प्रीमियर लीग की जिस प्रकार से दुनियाभर में लोकप्रियता बढ़ी है उसी तेजी से आईपीएल-3 के दौरान घोटाले की आशंका ने एक ऐसा विवाद खड़ा कर दिया, जो आईपीएल पर ढ़ेरो सवालिया निशान छोड़ रहा है। दरअसल आईपीएल के चौथे चरण के लिए बढ़ाई गई दो टीमों की नीलामी में कोच्चि टीम में हिस्सेदारी को लेकर जैसे ही केंद्रीय मंत्री शशि थरूर और उनकी दोस्त सुनंदा पुष्कर का नाम सुर्खियों में आया तो आईपीएल में एक बवाल खड़ा हो गया। इस विवाद में केंद्रीय मंत्रिमंडल से शशि थरूर को बाहर का रास्ता देखना पड़ा तो आईपीएल के चेयरमैन ललित मोदी को निलंबन जैसी फजीहत का सामना करना पड़ा और आईपीएल में घोटाले की आशंका पर मोदी को अपने खिलाफ आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय की जांच का सामना अलग से करना पड़ रहा है। ऐसे में यूपीए सरकार के घटकदल राकांपा प्रमुख एवं केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार तथा उनके दामाद की भी आईपीएल टीमों में हिस्सेदारी को लेकर सवाल सामने आए, जिससे शरद पवार व उनकी बेटी सांसद सुप्रिया सुले लगातार इंकार करती रही। आईपीएल के इस विवाद की जांच जारी थी, लेकिन यह प्रकरण ‘रात गई बात गई’ जैसी कहावत में पहुंचने लगा था, लेकिन एक अंग्रेजी अखबार में दावा किया गया कि बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री शरद पवार की पुणे टीम की बोली लगाने वाली कंपनी सिटी कॉर्पोरेशन में हिस्सेदारी है, तो आईपीएल का यह जिन्न बोतल से बाहर आना ही था। हालाकि अखाबार के इस दावे को निराधार करार देते हुए केंद्रीय मंत्री शरद पवार का कहना है कि पुणे की टीम बोली स्वयं कंपनी के प्रान्ध निदेशक अनिरूद्ध देशपांडे ने लगाई थी, लेकिन टीम पाने में सफलता नहीं मिली। इस पर इस मामले में अपना पल्ला बचाने के लिए कंपनी के एमडी देशपांडे का कहना था कि उन्हें शरद पवार के शेयर होने की कोई जानकारी तक नहीं है, लेकिन कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के डाटाबेस में यह भी साफ दर्ज है कि पवार परिवार के पास सिटी कॉर्पोरेशन के 16.22 प्रतिशत शेयर हैं, जो दस लोगों के नाम से लिए गये हैं इनमें शरद पवार की पत्नी श्रीमती सोना और पवार की कंपनी लेप फाइनेंस तथा नम्रता फिल्म एंटरप्राइजिज लि. के नाम भी शामिल हैं। जो टीम पाने में कामयाा नहीं हुए कि कंपनी की इस नीलामी में उनका व उनके परिवार का कोई लेना देना नहीं है। इस बात का खुलासा लोकसभा चुनाव के दौरान शरद पवार स्वयं कर चुके हैं कि नम्रता फिल्म इंटरप्राइजेज लि. और लेप फाइनेंस से उनका साम्बन्ध हैं। इसके बावजूद शरद पवार आईपीएल से अपने और अपने परिवार को अलग बताकर विवाद से पल्ला छाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि शरद पवार ने कहा कि जा सिटी कॉर्पोरेशन को टीम ही नहीं मिली तो यह मामला वहीं समाप्त हो चुका था। इसी प्रकार से उनकी बेटी सुप्रिया सुले भी पुणे टीम की बोली से किसी प्रकार के सम्बन्ध होने से इंकार कर रही हैं, लेकिन शरद पवार और उनकी बेटी यह तो स्वीकार रही है कि सिटी कॉर्पोरेशन में उनकी हिस्सेदारी है, लेकिन वहीं बाप-बेटी यह भी कहने का प्रयास कर रही हैं कि कंपनी के किसी फैसले में उनका कोई दखल नहीं है और इसलिए आईपीएल की नीलामी से उनका कोई लेना-देना नहीं था। इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शरद पवार यूपीए का हिस्सा है, लेकिन इस विवाद पर कांग्रेस किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं करना चाहेगी, इसका जवाब शरद पवार स्वयं दे चुके हैं और कांग्रेस मानती है कि पवार का कथन सही होना चाहिए। आईपीएल के इस विवाद पर प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि कृषि मंत्री आईपीएल मामले में व्यक्तिगत हितों के लिए देश को गुमराह कर रहे हैं जिन्हें थोथी दलील देने के बजाए तुरंत इस्तीफा देकर सच्चाई को सामने लानी चाहिए।
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