ओ.पी. पाल
यूपीए सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में वृद्धि करने को भले ही आर्थिक व्यवस्था की दृष्टि से आवश्यक करार दिया जा रहा हो, लेकिन पेट्रोलियम पदार्थो के बढ़ाए गये दामों को लेकर समूचा विपक्ष बिफरा हुआ है और विपक्षी दलों ने महंगाई के ख़िलाफ यूपीए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है जिससे सरकार चौतरफा घिरती नजर आ रही है। विपक्षी दलों ने आम आदमी के हितों की दुहाई देने वाली यूपीए और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को भी निशाना बनाकर देशव्यापी आंदोलन का ऐलान कर चुकें हैं। देश का आम आदमी पहले से आवश्यक वस्तुओं पर बढ़ते दामों के कारण महंगाई की मार झेलता आ रहा है कि हाल ही में पेट्रोलियम पदार्थो के दाम बढ़ाने से महंगाई के बढ़ने की सम्भावनाओं से आम आदमी के माथे पर चिंता की लकीर नजर आने लगी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पेट्रोलियम मूल्यों में वृद्धि पर विपक्ष की आलोचनाओं को खारिज करते हुए आज कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रणमुक्त करने जैसा सुधारवादी कदम बहुत जरूरी हो गया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इस घोषणा कि पेट्रोल की तरह डीजल को भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा ने विपक्षी दलों के गुस्से का पारा बढ़ाने का काम किया है। हालांकि विपक्षी राजनीतिक दलों के महंगाई के मुद्दे पर एकजुट होते देख यूपीए सरकार तरह-तरह के तर्क देकर अपना बचाव करने का रास्ता तलाशने में जुट गई हैँ। ऐसे में विपक्षी दलों में भले ही वैचारिक मतभेद हों लेकिन राजग, वाम दलों, सपा, बीजद, जद(एस), इनेलो व अन्नाद्रमुक ने आगामी पांच जुलाई को जिस प्रकार से भारत बंद का देश व्यापी आव्हान किया है उससे कहा जा सकता है कि यूपीए सरकार के खिलाफ समूचा विपक्ष एकजुट है। महंगाई के मुद्दे पर पांच जुलाई का भारत बंद का ऐलान यूपीए सरकार की मुश्किले खड़ा करने के लिए कम नहीं है। भाजपा ने तो एक जुलाई को महंगाई विरोधी दिवस मनाते हुए राज्यों की राजधानी और प्रमुख शहरों में धरना व प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया है। महंगाई और पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में हुई वृद्धि पर हालांकि विपक्षी दलों ने अपने अलग-अलग ढंग से आंदोलन का बिगुल बजाने का ऐलान किया है, लेकिन पांच जुलाई की तिथि को भारत बंद का ऐलान विपक्ष को महंगाई के मुद्दे पर एकजुटता को प्रदर्शित करता है, भले ही सत्ता पक्ष में प्रमुख रूप से कांग्रेस विपक्ष को बिखरा मानकर यह तर्क दे रही है कि आम आदमी सरकार की मजबूरियों को समझ रहा है। पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने विपक्ष के प्रस्तावित आंदोलन को पाखंड बताते हुए कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग शासन ने केरोसीन के दाम में तीन गुना वृद्धि की थी। वहीं उनका कहना है कि जहां तक वाम दलों का सवाल है उन्होंने भी रसोई गैस और केरोसिन के दाम को बाजार मूल्य से जोड़ने के संयुक्त मोर्चा सरकार के फैसले का समर्थन किया था। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी तथा राजग संयोजक एवं जद-यू प्रमुख शरद पवार ने दावा किया है कि पांच जुलाई को भारत बंद के दौरान कांग्रेस का वह भ्रम दूर कर दिया जाएगा कि विपक्ष बिखरा हुआ है। शरद यादव तो ये दावा कर रहे हैं कि मंहगाई के खिलाफ पांच जुलाई को देशव्यापी संयुक्त आंदोलन के बारे में माकपा महासचिव प्रकाश कारात, भाकपा नेता एबी बर्धन, अन्नाद्रमुक नेता जयललिता, सपा प्रमुख मुलायम सिंह, जदएस नेता एच डी देवेगौड़ा, पीएमके नेता रामदास, इंडियन नेशनल लोकदल के ओमप्रकाश चौटाला, अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल, बीजद के नवीन पटनायक और शिव सेना के उद्धव ठाकरे से बातचीत हो चुकी है। हालांकि राजद प्रमुख लालू प्रसाद और लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने मंहगाई के मुद्दे पर अलग दिन आंदोलन की घोषणा की है। जबकि माकपा, भाकपा, आरएसपी और फारवर्ड लाक के संयुक्त बयान में कहा गया है कि इन चार वाम दलों के अलावा अन्नाद्रमुक, तेदेपा, सपा, बीजद और जदयू-एस भी मंहगाई विरोधी आंदोलन में शामिल होंगे। समाजवादी पार्टी ने बढ़ती मंहगाई के विरोध में पांच जुलाई को देशव्यापी आम हड़ताल का समर्थन करते हुए पार्टी प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव के हवाले से कहा कि बढ़ती मंहगाई के विरोध में पांच जुलाई को देशव्यापी आम हड़ताल में सपा और वामपंथी दल संयुक्त रुप से हिस्सा लेंगे। दूसरी ओर राजनीतिज्ञों का मानना है कि महंगाई के खिलाफ इस आंदोलन की बहती गंगा में बसपा व रालोद भी हाथ धोने के प्रयास में हैं हालांकि उनके दलों की ओर से अभी तक भारत बंद के आव्हान की कोई पुष्टि नहीं हुई, लेकिन वैचारिक मतभेदों के बावजूद कोई भी विपक्षी दल केंद्र सरकार को महंगाई पर गरमाती राजनीति से अलग होना नहीं चाहेगा। कुछ भी हो महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेसनीत यूपीए सरकार चौतरफा घिरती नजर आ रही है।
आर्थिक वृद्धि दर में तेजी आना तय
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष [आईएमएफ] ने जैसा अनुमान व्यक्त किया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर में तेजी आएगी और यह चीन की आर्थिक वृद्धि दर के आस पास पहुंच जाएगी। आईएमएफ के प्रबंध निदेशक डोमिनिक स्ट्रास काह्न की माने तो भारत की वृद्धि दर में तेजी आने की उम्मीद है और यह पहले के मुकाबले चीन की वृद्धि दर के निकट पहुंचेगी। स्ट्रास मानते हैं कि भारत काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। हालांकि भारत को लेकर उनके मन में कुछ चिंताएं भी हैं। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति विशेषकर खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को लेकर मुझे कुछ चिंता है। हालांकि विश्वस्तर पर भारत काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। दूसरी और भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण का कहना है कि पिछले कुछ माह से सबसे बड़ी चिंता खाद्य मुद्रास्फीति रही है। यह अभी भी मैक्रो अर्थशास्त्र में केंद्रीय तत्व है। इसने महंगाई पर काबू के लिए मौद्रिक उपायों के मामले में सबसे बड़ी चुनौती खड़ी की है। गोकर्ण की माने तो खाद्य वस्तुओं के दाम सिर्फ कमजोर मानसून या कम बारिश की वजह से नहीं हैं। यह सिर्फ संकेतक हैं। खाद्य वस्तुओं के दाम क्यों बढ़ रहे हैं, यह एक विश्लेषण का मुद्दा है। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर का कहना है कि बढ़ती कीमतों की वजह यह भी है कि भारतीयों का खानपान का तरीका बदल रहा है। इस बात की काफी संभावना है कि केंद्रीय बैंक 27 जुलाई को मौद्रिक नीति की समीक्षा में प्रमुख दरों में बढ़ोतरी कर सकता है।
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