रविवार, 13 जून 2010

अब आस्ट्रेलिया ने उड़ाई भारतीयों की खिल्ली!

ओ.पी. पाल
भारत में होने वाले 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने के लिए प्रशिक्षण लेने के लिए आस्ट्रेलिया जाने वाली भारतीय लॉन बॉल टीम के खिलाड़ियों को वीजा देने से इंकार करके आस्ट्रेलियाई उच्चायोग ने भी कनाडाई उच्चायोग की तरह भारत की खिल्लियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कनाडा ने तो खुफिया तंत्र और भारतीय सुरक्षा बलों पर लांछन लगाए थे, लेकिन आस्ट्रेलिया ने तो भारत की गरीबी का ही मजाक उड़ाते हुए लॉन बॉल के 16 खिलाड़ियों की टीम को वीजा देने से साफ इंकार कर दिया है। ऐसे में भारतीयों के जहन में एक ही सवाल उठना स्वाभाविक है कि विदेशी उच्चायोग वीजा देने के लिए ऐसे तर्क क्यों पेश करते हैं जिसमें भारत का सीधा अपमान हो रहा हो। विशेषज्ञों की माने तो यह भारत की कमजोर विदेश नीति का परिणाम है कि कोई भी भारतीयों के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणियां करने की हिम्मत जुटा रहा है। सरकार को चाहिए कि विदेश नीति को सुदृढ़ करके ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उचित कदम उठाये। भारत की राजधानी दिल्ली में इस साल अक्टूबर में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों से पहले भारतीय लॉन बॉल टीम के 16 खिलाड़ियों और एक प्रशिक्षक को शनिवार को एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए सिडनी पहुंचना था, जहां भारतीय टीम को पश्चिमी सिडनी के सेंट पार्क बाउलिंग क्लब ने आमंत्रित किया था। सासे दिलचस्प बात यह भी है कि इस टीम का कोच आस्ट्रेलियाई है। इसके बावजूद राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली स्थित आस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने यह कहते हुए वीजा देने से इनकार कर दिया कि खिलाड़ियों की वित्तीय स्थिति आस्ट्रेलिया में रहने के अनुकूल नहीं है। इस प्रकार की टिप्पणियों से भारतीय बाउलिंग टीम के खिलाड़ियों को शर्मिन्दगी उठाने के लिए मजाबूर होना पड़ा है। आस्ट्रेलियाई इमिग्रेशन अधिकारियों ने वीजा न देने के लिए इस प्रकार की टिप्पणी इसलिए भी आपत्तिजनक मानी जा रही है क्योंकि भारतीय बाउलिंग टीम का आस्ट्रेलिया में प्रशिक्षण देने के लिए पूरा खर्च भारत सरकार उठा रही है, तो फिर आस्ट्रेलियाई अधिकारियों को आपत्तिजनक टिप्पणियां करने का अधिकार किसने दिया? ऐसे सवाल खेल विशेषज्ञों ने भी उठाये हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं है कि पिछले सालों में आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर नस्लीय हमले दुनिया के सामने हैं कि आस्ट्रेलियाईयों का भारतीयों के प्रति कैसा रवैया रहा है। भारत की लॉन बॉल टीम के कोच आस्ट्रेलियाई नागरिक रिचर्ड गेल का स्वयं कहना है कि टीम की ट्रेनिंग का खर्चा भारत सरकार उठा रही है, जिसके लिए खिलाड़ियों के वीजा आवेदन खारिज नहीं करने चाहिए थे। रिचर्ड गेल का सिडनी में ट्रेनिंग देने वाले क्लब के मैनेजर पॉल गर्डलर के हवाले से कहना है कि खिलाड़ियों को राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने के लिए ट्रेनिंग दी जानी थी। कोच का तो यहां तक कहना है कि भारत के सासे अच्छे खिलाड़ियों में से ज्यादातर बहुत गरीब परिवारों से आते हैं और वीजा न देकर उन्हें वापस गर्त में धकेला जा रहा है। कोच गेल ने आस्ट्रेलियाई अधिकारियों के इस रवैये को भारतीयों की प्रताड़ना का मामला करार दिया है। इसी साल फरवरी में भारत में हुए लॉन बॉल की एक प्रतियोगिता में आठ देशों के खिलाड़ी आए थे, जिनमे आस्ट्रेलिया की भी एक टीम थी। मैनेजर और कोच दोनों ही मानते हैं कि इन खिलाड़ियों को वीजा दिया जाना चाहिए था। विदेश मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि वीजा देना या न देना आस्ट्रेलिया सरकार की अपनी नीति हो सकती है, लेकिन भारतीयों को बेइज्जत करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। इसलिए भारत सरकार को संजीदा तरीके से इस मामले में ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए। खेल विशेषज्ञ मानते हैं कि खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए भी भारत सरकार इस नये खेल का खर्च उठा रही है तो आस्ट्रेलिया को उन्हें वीजा देने में कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए था। इस टीम के राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने का जो सपना था उसे तोड़ने के लिए आस्ट्रेलिया जिम्मेदार है, जिसके लिए भारत को ऐतराज करके टीम के खिलाड़ियों को वीजा दिलाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायोग के अधिकारियों द्वारा सशस्त्र सुरक्षा बल के जवान और आईबी अधिकारी को अत्यंत ही आपत्तिजनक टिप्पणियां करके वीजा देने से इंकार कर दिया था, हालांकि भारत द्वारा ऐतराज जताये जाने पर कनाडा सरकार ने खेद भी जताया था, लेकिन इस प्रकार खेद जताने से भारत की प्रतिष्ठा पर आने वाली आंच को कम नहीं किया जा सकता। विदेशी उच्चायोग के अधिकारियों द्वारा लगातार भारत का अपमान करने के जारी प्रयास पर एक पूर्व रक्षा अधिकारी का कहना है कि सरकार विदेश नीति को मजाबूत करके इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाये अन्यथा अन्य देश भी इसी प्रकार भारतीयों को लांछित करते रहेंगे।

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