मंगलवार, 15 जून 2010

आतंकवाद व आईएसआई पर पाक का एक और झूठ!


ओ.पी. पाल
भारत में सबसे बड़े आतंकी हमले के रूप में 26/11 के मुंबई हमले के बाद यह बात दुनिया जान चुकी है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकवादी संगठनों से कितनी गहरी पैठ बनाए हुए है, जिसके सम्बन्ध अब तालिबान से होने की पुष्टि भी हो चुकी है। आतंकवादी संगठनों से आईएसआई और पाक सेना के अधिकारियों के सम्बन्ध को लेकर पाकिस्तान लगातार झूठ पर झूठ बोलता आ रहा है। आईएसआई के तालिबान से रिश्तों की खारो को खारिज करते हुए पाकिस्तान ने एक ताजा झूठ ऐसे समय बोला है जा पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने तालिबानी नेता मुल्ला अदुल गनी बरदार सहित 50 तालिबानियों से हाल ही में एक जेल में मुलाकात की और उन्हें अपनी सरकार का समर्थन देने तथा उनकी रिहाई कराने का आश्वासन दिया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ही आतंकवाद व तालिबान की असली जड़ है, जिसे अपने दोहरे खेल खेलने के लिए पाकिस्तान कभी यह बात स्वीकार नहीं करेगा कि पाक सेना और आईएसआई की आतंकवादी संगठनों से रिश्ते हैं। हाल ही में जारी एक शोध रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है जिसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस एजेंसी यानि आईएसआई की आधिकारिक नीति में आतंकवादी संगठन तालिबान को समर्थन देने की बात कही गई है जो न केवल तालिबान को धन और प्रशिक्षण मुहैया कराती है, बल्कि इसका प्रतिनिधित्व भी तालिबानी नेतृत्व में मौजूद है। विश्व के एक प्रतिष्ठित संस्थान लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स के ताजा शोध में हुए इस खुलासे स्पष्ट किया गया है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने इस साल की शुरुआत में जेलों का दौरा कर वहां बाद तालिबान नेताओं से मुलाकात की थी और इस मुलाकात के दौरान जरदारी ने इन आतंकवादियों को उनकी रिहाई के बारे में आश्वासन दिया और आतंकवादी कार्रवाई में मदद की बात भी कही थी। इससे सहज ही पता लग जाता है कि पाकिस्तान सरकार में उच्चतम स्तर पर भी तालिबान को समर्थन हासिल है। अनेक तालिबान कमांडरों, पूर्ववर्ती तालिबान सरकार में ऊंचे पद पर रहे लोगों और अफगान एवं पश्चिमी सुरक्षा अधिकारियों के साक्षात्कार के बाद तैयार की गई इस रिपोर्ट की माने तो पाकिस्तान वास्तव में बहुत उच्च स्तर पर एक दोहरा खेल खेल रहा है। इससे पहले भी अमेरिका के ज्वाइंट चीफ आफ स्टाफ एडमिरल माइक मुलेन और अमेरिकी सेंट्रल कमांड के जनरल डेविड पेट्राउस संकेत दे चुके हैं कि आईएसआई के कुछ तत्व तालिबान और अलकायदा का समर्थन कर रहे हैं। इस शोध रिपोर्ट के लेखक और हॉवर्ड विश्वविद्यालय के फैलो मैट वाल्डमैन का कहना है कि यह बात साबित हो रही है कि आतंकवाद और तालिबनन के मुद्दे पर पाकिस्तान सरकार दोहरा रवैया अपना रही है। तालिबान और आईएसआई के रिश्तों की बात को खारिज करते हुए पाकिस्तान ने कहा कि इस प्रकार की बेबुनियाद रिपोर्ट के जरिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और सेना को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन पाकिस्तान ने इस बात का जिक्र नहीं किया कि राष्ट्रपति जरदारी ने जेल में बाद तालिबानी नेताओं से मुलाकात की है या नहीं। आतंकवाद के जानकार विशेषज्ञ जनरल मेजर अफसर करीम का कहना है कि यह बात सही है कि आईएसआई व सेना के आतंकवादी संगठनों और तालिबानी संगठनों से गहरे रिश्ते हैं, लेकिन इस प्रकार के रिश्तों को पाक अपने दोहरे खेल के सामने कभी स्वीकार नहीं करेगा। अफसर करीम का मानना है कि अमेरिका की तालिबान के खिलाफ चल रही लड़ाई में पाकिस्तान अमेरिका को कभी जीतने भी नहीं देगा और झूठ पर झूठ बोलकर पाक अमेरिका के सामने उसके अभियान में सहयोगी होने का नाटक करता रहेगा। भारत-पाक संबंधों के जानकार मानते हैं कि यह बात तो पहले से ही जगजाहिर है कि खासकर भारत के खिलाफ आईएसआई और सेना ऐसे आतंकवादी तैयार कर रहे हैं जो दहशतगर्दी फैला सके, जिन्हें पाकिस्तान जेहादी बताता नहीं थकता। जहां तक तालिबान के आईएसआई के रिश्तों का सवाल है उससे इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि तालिबान भी आतंकवाद का ही दूसरा रूप है। एक विशेषज्ञ का कहना है कि मुंबई हमलों के बाद लश्कर-ए-तैयबा के अमेरिकी खुफिया एजेंसी के हाथो पकड़े गये डेविड कोलमेन हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा पूछताछ में यह स्वीकार कर चुके हैं कि उनके आईएसआई और पाक सेना अधिकारियों के अलावा राजनयिकों से भी सम्बन्ध रहे हैं तो पकिस्तान एक झूठ को छिपाने के लिए कितने झूठ बोलता रहेगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें