भोपाल गैस त्रासदी के अदालती फैसले के बाद मुख्य आरोपी यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन वॉरेन एंडरसन को किसके आदेश पर गिरफ्तारी के बाद रिहा किया गया और उसे सम्मान पूर्वक देश छोड़ने का मौका दिया गया। इसी सवाल का जवाब तलाशने के लिए देशभर में राजनीतिक बहस तेज हो गई है। एंडरसन के मुद्दे पर तत्कालीन केंद्र और मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार माना जा रहा है? लेकिन कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से इस बात से इंकार कर दिया कि भोपाल गैस कांड या मुख्य आरोपी एंडरसन को भगाने में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कोई भूमिका थी।
देश की ही नहीं बल्कि दुनिया की सासे बड़ी औद्योगिक घटना के रूप में हुए भोपाल गैस कांड की पीड़ा को तीन दिन पहले अदालत के फैसलें ने और बढ़ा दिया है और अदालत के करीब साढ़े 25 साल बाद आए फैसले में मुख्य आरोपी और यूनियन कार्बाइड के चेयमैन वॉरेन एंडरसन का साफ बचकर निकलना तत्कालीन केंद्र और राज्य की सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है। इस कांड में पुलिस ने एंडरसन को गिरफ्तार भी किया गया और उसे ससम्मान तरीके से जमानत देकर देश से भगा दिया गया। कांग्रेस सरकारें इस लिए भी संदेह के घेरे में है कि उसने कभी अमेरिका से एंडरसन को भारत लाने के लिए कभी प्रत्यर्पण का प्रयास ही नहीं किया। यही मुद्दा भोपाल के लाखों पीड़ितों के जख्मों को और बढ़ा गया है। जिस गैस त्रासदी में दस हजार से लोगों की जाने गई हों तो उसमें मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज करना भी तत्कालीन राज्य सरकार को संदेह में ला रही है। एंडरसन को छोड़ने और उसे भारत से भगाने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्कालीन मध्य प्रदेश को एक पत्र लिखकर उनसे इसके लिए पूरे देश से माफी मांगने को कहा है। चौहान ने अर्जुन सिंह से उस व्यक्ति के नाम का खुलासा करने की मांग भी की है जिसके आदेश पर एंडरसन को गिरफ्तारी के कुछ देर बाद ही छोड़ दिया गया था। इस प्रकार से मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह जहां भाजपा के निशाने पर हैं वहीं उनकी कांग्रेस पार्टी का तीर भी उन्हीं पर सधा हुआ है। जहां तक केंद्र सरकार में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का इस मामले से सांन्ध होने का मामला है उसके लिए शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य श्रीमती जयंती नटराजन ने स्पष्ट किया है कि एंडरसन को छोड़ने या उसे देश से भगाने में स्व. राजीव गांधी की कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन अर्जुन सिंह अभी तक इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। इस कांड के अदालती फैसले पर तो हर कोई स्तध है यहां तक की पूर्व राष्ट्रपति ऐपीजे अदुल कलाम ने भी कहा कि इतनी बड़ी त्रासदी के फैसले से वे स्वयं को दुखी महसूस कर रहे हैं, तो पीडितों के दिलों का हाल तो न जाने कितना दुखी होगा। जहां तक इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा जीओएम यानि ग्रुप आफ मिनिस्टर्स बनाने का ऐलान किया गया है यह कोई नई घोषणा नहीं है। भोपाल गैस कांड पर इससे पहले भी दो बार जीओएम बनाया जा चुका है, लेकिन पीड़ितों को झांसे के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हो सका। हादसे की जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन वॉरेन एंडरसन के प्रत्यर्पण की कोशिश का जिम्मा भी जीओएम का था। 17 साल में जीओएम की कम से कम 17 बेनतीजा बैठकें हुईं। फिर से वर्ष 2008 में इस जीओएम का पुनर्गठन किया गया और आ फिर केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदांरम की अध्यक्षता में नया जीओएम बनाया गया, लेकिन इन दोनों नेताओं को लेकर पीड़ितों का गुस्सा सातवें आसमान पर है जिसका कारण है कि दोनों नेताओं पर यूनियन कार्बाइड को खरीदने वाली कंपनी के हितैषी होने का आरोप है। राजीव गांधी की केंद्र सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे बसंत साठे का मानना है कि तत्कालीन केंद्र सरकार के दबाव में ही एंडरसन की रिहाई हुई थी और उसे भारत से बाहर जाने में भी पूरी मदद दी गई। साठे का कहना है कि एंडरसन की रिहाई पूरी तरह से गैरकानूनी थी, शायद यही कारण था कि इस कांड की जांच कर रही एजेंसी भी 18 साल तक एंडरसन तक नहीं पहुंच सकी। यदि साठे की बात को सच माना जाये तो अर्जुन सिंह के साथ केंद्र सरकार भी एंडरसन को बचाने के लिए जिम्मेदार है। इस मामले पर कांग्रेस अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा के निशाने पर है। दिग्विजय सिंह और सत्यव्रत चतुर्वेदी जैसे कांग्रेस नेताओं के एंडरसन के देश से भागने के मामले में दिए गए कथित विरोधाभासी बयानों को भी भाजपा ने जनता को भ्रमित करने वाला करार दिया है, बल्कि भाजपा तो अर्जुन से से इस मामले की सच्चाई को सामने लाने की मांग कर रही है। यही कारण है कि भाजपा ने हादसे के मुख्य आरोपी एंडरसन के बहाने बोफोर्स दलाली के आरोपी क्वात्रोची से लेकर परमाणु दायित्व विधेयक तक के मुद्दों को उठाकर सरकार पर अमेरिका परस्त होने का आरोप तक जड़ दिया है।
भोपाल गैस कांड के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वारेन एंडरसन के भारत से भागने के मुद्दे पर मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री हमलों से घिरते जा रहे हैं और दो प्रमुख कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह तथा आरके धवन ने कहा है कि उन्हें बताना चाहिए कि ऐसा कैसे हुआ। मध्य प्रदेश के भोपाल की यूनियन कार्बाइड से गत 2/3 दिसंबर 84 को रिसी गैस से दस हजार से अधिक लोग मारे गये थे और 25 हजार से अधिक विकलांग हुए, वहीं उनकी आने वाली पीढ़ियां भी इस गैस के प्रभाव से जूझ रही हैं। ऐसे में मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन के देश से भागने के पीछे अमेरिकी दबाव की आशंका जता कर विवाद खड़ा हो रहा है। घटना के समय मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी जिसमें मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे। इस विवाद के तूल पकड़ने पर जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह भाजपा के निशाने पर हैं, वहीं अपनी ही कांग्रेस पार्टी के नेताओं से भी वह पूरी तरह से घिरते नजर आ रहे हैं, लेकिन उनकी खामोशी एक पहेली बनी हुई, जिसमें एक बड़ी ताकत भी हो सकती है। इस विवाद में भाजपा के साथ अर्जुन सिंह पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने भी कहा कि इस भयावह घटना के समय उन्होंने मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था और वह लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे थे। इसलिए उन्हें उन घटनाओं के बारे में कुछ नहीं पता है जिसके तहत दिसमर 1984 में वारेन एंडरसन को जमानत मिली थी और उन्हें रिहा कर दिया गया था। अपनी पत्नी का इलाज कराने अमेरिका गए कांग्रेस महासचिव ने आज एक ई-मेल संदेश में कहा कि‘ बयान में ही उन्होंने साफ कर दिया था कि वह प्रचार कर रहा था और वह एंडरसन की जमानत और रिहाई से जुड़े घटनाक्रम के बारे में नहीं जानते। इस लिहाज से दिग्विजय ने कहा कि इस बारे में सारे सवालों का जवाब उस वक्त के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और तीन अन्य लोग दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये तीन लोग हैं मध्य प्रदेश के तत्कालीन प्रमुख सचिव ब्रह्म स्वरूप, भोपाल के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक स्वराजपुरी और तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह हैं, जिनमें से ब्रह्म स्वरूप का निधन हो चुका है। वहीं दिग्विजय के सुर में सुर मिलाते हुए राजीव गांधी के निजी सचिव रह चुके आर.के. धवन ने कहा कि अर्जुन सिंह ही ऐसे अकेले आदमी हैं जो इन सभी सवालों का जवाब दे सकते हैं कि एंडरसन कैसे देश के बाहर गया। इस मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बचाव में धवन ने कहा कि वह नहीं मानते कि पूर्व प्रधानमंत्री को घटनाक्रम की जानकारी होगी या उन्होंने एंडरसन को हवाई अड्डे पर विमान उपलध कराने को कहा होगा जिससे वह भोपाल से गए। उधर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अर्जुन सिंह पर हमला बोला और अर्जुन सिंह से उन हालात के बारे में जवाब मांगा है, जिनके तहत वारेन एंडरसन भागने में सफल रहा था। वहीं मध्य प्रदेश के तत्कालीन गृह सचिव केएस शर्मा का दावा है कि यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वारेन एंडरसन की रिहाई का आदेश संभवत: तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की तरफ से आया था। शर्मा ने कहा कि शुरुआत से ही पूरे मामले को लेकर कुछ नरमी बरती जा रही थी अन्यथा एंडरसन को हिरासत के दौरान ‘रेस्ट हाउस’ में नहीं रखा जाता। ऐसे जघन्य अपराध के आरोपी को उसी दिन रिहा करने का मतलब है कि अत्यंत अधिक दबाव रहा होगा। शर्मा ने कहा कि गृह सचिव होने के बावजूद उन्हें अंधेरे में रखा गया और एंडरसन की रिहाई के बारे में सूचित नहीं किया गया। उन्होंने एंडरसन को रेस्ट हाउस में रखने के सरकार के फैसले और उन्हें जमानत देने के फैसले को अवैध करार दिया है। ऐसे में विपक्षी दलों के साथ ही अर्जुन सिंह अपनी पार्टी के नेताओं से भी एंडरसन के मुद्दे पर चौतरफा घिरते नजर आ रहे हैं जो अभी तक अपने प्रति हो रही टिप्पणियों और लग रहे आरोपों पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं।
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