मंगलवार, 15 जून 2010

कांग्रेस हाई कमान ने नेताओं की जुबां पर जड़े ताले

ओ.पी. पाल 
कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने भोपाल गैस कांड के फैसले पर हो रही पार्टी की फजीहत को देखते हुए पार्टी के सदस्यों को हिदायत दी है कि कोई भी कांग्रेस नेता या सदस्य इस फैसले पर कुछ न बोले। मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड में गत 2/3 दिसांर 84 को रिसी जहरीली गैस के कारण दस हजार से ज्यादा लोग मौत के मुहं में समा गये थे और 25 हजार से ज्यादा विकलांगता की जिंदगी जीने को मजबूर हो रहे हैं। पिछले सप्ताह निचली अदालत के 25 साल बाद आए फैसले ने भोपाल गैस त्रासदी के जख्मों को और भी हरा कर दिया, जिसमें खासकर मुख्य आरोपी अमेरिकी नागरिक वॉरेन एंडरसन को गिरफ्तारी के कुछ देर बाद ही जमानत पर छोड़ने और उसे भारत से भगाने के मामले पर कांग्रेस चौतरफा घिरी हुई है। यही नहीं कांग्रेस पार्टी के नेता भी अपनी ही पार्टी की तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को निशाना बनाने में कोई चूक नहीं कर रहे हैं। इसलिए शायद कांग्रेस हाई कमान ने केंद्र सरकार द्वारा गृहमंत्री पी. चिदांरम की अध्यक्षता में गठित जीओएम का हवाला देकर पीड़ितों के गुस्से और विपक्ष के निशाने को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस के नेताओं की ओर से इस मामले पर हो रही बयानाबाजी से व्यथित कांग्रेस हाईकमान ने ऐसी स्थिति में पार्टी के हर किसी नेता और सदस्य के मुहं पर ताला जड़ने का निर्णय लिया। कांग्रेस हाईकमान ने भोपाल गैस कांड पर किरकिरी झेलने के बाद अपने नेताओं को मुंह बंद रखने के निर्देश दिए है कि वो भोपाल गैस हादसे और उस पर हुए फैसले पर कुछ न बोलें। ये भी कहा गया है कि इस मसले पर सिर्फ पार्टी प्रवक्ता ही बोलेंगे क्योंकि उन्हें पार्टी की लाइन मालूम है। गौरतलब है कि भोपाल गैस कांड पर फैसला आते ही सवाल उठा कि आखिर इसका मुख्य गुनहगार वॉरेन एंडरसन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गिरफ्तार होने के बावजूद तुरंत कैसे रिहा हो गया और कैसे वापस अपने देश अमेरिका चला गया। उंगलियां पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह पर उठीं। अर्जुन सिंह के बचाव में आए दिग्विजय सिंह और कहा कि एंडरसन से जुड़े फैसले राज्य ने नहीं बल्कि केंद्र ने लिए थे। इशारा राजीव गांधी की कैबिनेट पर था। राजीव को बचाने के लिए सत्यव्रत चतुर्वेदी सामने आए और कहा कि जो भी किया वो अर्जुन सिंह ने किया। आर के धवन भी ठीकरा अर्जुन पर फोड़ते दिखे। पार्टी को डर है कि कही अर्जुन पर ज्यादा दबाव पड़ा और उन्होंने मुंह खोल दिया तो राजीव गांधी पर उंगलियां उठेंगी। यही नहीं पार्टी की अंदरूनी कलह भी इस मुद्दे पर सामने आ गई है और सत्यव्रत चतुर्वेदी व दिग्विजय सिंह के बीच के मतभेद जाहिर हो गए हैं। पार्टी आ और किरकिरी नहीं चाहती इसलिए सभी नेताओं को आदेश दिए गए हैं कि वो इस मुद्दे पर अपना मुंह बंद रखें और जो कहना है वो कांग्रेस प्रवक्ता कहेंगे। हाईकमान ने अपने नेताओं की जुबां तो बंद करने का फैसला कर लिया है, लेकिन विपक्ष के निशानों से कांग्रेस घिरने से नहीं बच सकेगी।

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