राज्यसभा के द्विवर्षीय चुनावों में होने वाले मतदान में कांग्रेस पार्टी के सामने संसद के उच्च सदन में अपनी संख्या बढ़ाने की चुनौती से जूझना पड़ रहा है। गुरुवार को राजस्थान, कर्नाटक, उड़ीसा, बिहार और झारखंड में गुरुवार यानि 17 जून को हो रहे राज्यसभा की 19 सीटों के लिए चुनाव में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, जिसके लिए कांग्रेस ने व्हिप भी जारी कर दिया है। संसद की ऊपरी सदन राज्यसभा की 12 राज्यों में 49 सीटों के लिए गत 31 मई को विधि और न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना के अनुसार 17 जून को मतदान की तिथि तय की गई थी, जिनमें से राजस्थान, कर्नाटक, उड़ीसा, बिहार और झारखंड को छोड़कर शेष सभी राज्यों में नामांकन पत्र वापसी का समय समाप्त होते ही दस जून को 30 उम्मीदवार निर्विरोध घोषित कर दिये गये थे, जिनमें सर्वाधिक सात सीटों पर कांग्रेस काबिज हुई, जबकि उत्तर प्रदेश की 11 में से सात सीटों पर निर्विरोध चुने गये उम्मीदवारों ने सात सीटें ही बसपा की झोली में डाली। भाजपा ने पांच सीटों पर कब्ज़ा किया है। इसके अलावा तमिलनाडु में डीएमके ने तीन, सपा, राकांपा व अन्नाद्रमुक ने दो-दो सीटें कब्ज़ाई हैं। शिरोमणी अकाली दल और शिवसेना को एक-एक सीट से संतोष करना पड़ा है। आ शेष पांच राज्यों की 19 सीटों के लिए आज गुरुवार को मतदान होना है, जिसमें कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। अभी तक राज्यसभा में 237 सीटों में से कांग्रेस की केवल 71 सीट हैं जिसके बाद भाजपा का 46 सीटों पर कब्ज़ा है। राज्यसभा में यदि संप्रग और राजग की दृष्टि से देखें तो संप्रग पर राजग के सदस्य हावी हैं। इसलिए कांग्रेस को निर्दलीय प्रत्याशियों को अपना समर्थन देकर उच्च सदन में अपने पक्ष को मजबूत करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। राजस्थान में चार सीटों के लिए कांग्रेस ने अपने अधिकृत प्रत्याशियों के रूप में केंद्रीय मंत्री आनन्द शर्मा तथा अश्क अली टांक को चुनाव मैदान में उतारा है, जाकि भाजपा ने वीपी सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया और भाजपा के समर्थन पर ही पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे राम जेठमलानी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में है। राजस्थान में कांग्रेस के सांसद संतोष बगरोडिया ने अंतिम क्षणों में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करके पहले ही तय कर दिया था कि यहां संघर्ष की स्थिति ानेगी, क्योंकि किसी ने भी अपना नामांकन वापस नहीं लिया। वैसे देखें तो यहां भाजपा ने भी कांग्रेस खासकर केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के लिए मुश्किलें खड़ी करने की रणनीति को अंजाम दिया है। कर्नाटक की चार सीटों के लिए कांग्रेस ने आस्कर फर्नांडीज और टीवी मारूथी को अधिकृत प्रत्याशी बानाया है, जबकि भाजपा के प्रत्याशी के रूप में एम. वेंकैया नायडू और अयानूर मंजूनाथा चुनाव मैदान में हैं। यहां शराब व्यवसायी विजय माल्या निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जिन्हें भाजपा अपने प्रत्याशियों के अलावा शेष बची 33 वोटों का समर्थन दे रही है, वहीं जद-एस का भी उन्हें समर्थन मिल रहा है। ऐसे में कांग्रेस के सामने अपने दूसरे प्रत्याशी को जीताने की चुनौती है। बिहार में पांच सीटों के लिए हो रहे चुनाव में कर्नाटक के एक बाड़े व्यवसायी एमवी उदय ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल करके चुनाव को मुकाबलें में लाकर खड़ा कर दिया, समझा जा रहा है कि भाजपा इस प्रत्याशी का समर्थन करेगी, जो पार्टी प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी को जीताने के बाद वोट बचते हैं वह निर्दलीय प्रत्याशी की झोली में जाएंगे। लोजपा-गठांधन के प्रत्याशियों के रूप में यहां प्रमुख राम विलास पासवान तथा राजद के रामकृपाल यादव चुनाव लड़ रहे हैं। सत्तारूढ जद-यू के प्रत्याशी के रूप में यहां आरसीपी सिन्हा और उपेन्द्र कुशवाह अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जहां तक निर्दलीय प्रत्याशी एमवी उदय का सवाल है वह तीन बसपाई, दो कांग्रेसी और कुछ निर्दलीयों के समर्थन का भी दावा कर रहे हैं। बिहार में भाजपा के प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी हैँ, जिन्हे जीताने के बाद पार्टी की बची 45 वोट भी कांग्रेस के मंसूबो पर पानी फेर सकती हैं। जहां तक उड़ीसा की तीन राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव का सवाल है, यहां कांग्रेस ने व्हिप जारी करके निर्दलीय प्रत्याशी तारा रंजन पटनायक को मतदान करने का फैसला कर लिया है। 147 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 27 एमएलए हैं। बीजद अपनी 103 मतों से पार्टी के तीनों उम्मीदवारों शशि भूषण बेहरा, वैष्णव परीदा तथा प्यारी मोहन माहपात्रा को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंकी हुई हैँ, जहां भाजपा ने चुनाव से दूर रहने का निर्णय लिया है। झारखंड की दो सीटों पर भी घमासान में कांग्रेस पसोपेश में है, जहां भाजपा के अजय मारू और कांग्रेस के धीरज साहू के अलावा झामुमो के केडी सिंह के बीच कांटे का मुकाबला होना मन जा रहा है.कुल मिलकर देखा जाये तो इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं.
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