गुरुवार, 17 जून 2010

आतंकवादियों को मदद का एक और सबूत!


ओ.पी. पाल
पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों से किस प्रकार से प्रोत्साहन दे रहा है यह सबूत पाकिस्तान के पंजाब प्रांत सरकार ने आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा और उससे जुड़ी संस्थाओं को अरों रुपये की आर्थिक मदद देकर दे ही दिया है। भारत के खिलाफ लश्कर-ए-तैयाब जैसे पाकिस्तानी आंतकी संगठन किस प्रकार के ताने-बाने बुन रहा है इसका सिलसिला मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के बाद भी नहीं रूक रहा है। विशेषज्ञों की माने तो मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा लश्करे से जुड़े हाफिज सईद के दोषी होने के सबूत दिये जाने के बावजूद पाकिस्तान की सरकार उसे हर तरह की मदद देने में जुटी हुर्ई, तो ऐसे में भारत को आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए पाकिस्तान से होने वाली प्रस्तावित वार्ता में खुले मन से बातचीत करने की जरूरत है।मुंबई के आतंकी हमले में प्रमुख आरोपी रहे हाफिज सईद को पहले तो पाकिस्तान की अदालत ने निर्दोष करार दे दिया जिसने लश्कर-ए-तैयाब से जुड़े होने के साथ जमात-उद-दावा संगठन खड़ा कर लिया है। पाकिस्तान में तो यह संगठन सामाजिक और जेहादी है, लेकिन जिस प्रकार से हाफिज सईद के तेवर भारत के खिलाफ तीखे हैं और जमात-उद-दावा प्रमुख के रूप में वह कई बार भारत को युद्ध जैसी धमकियां भी दे चुका है, लेकिन पाकिस्तान इसे खुदा से कम नहीं आंक रहा है। इससे तो यही माना जा रहा है जा हाल ही में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने आतंकी संगठन जमात-उद-दावा और उससे जुड़ी संस्थाओं को पिछले वित्तीय वर्ष में 8.277 करोड़ डालर यानि करीब तीन अरा 85 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी है। सईद को दी गई सरकारी मदद इस बात को भी प्रमाणित कर रही है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी सईद के भक्त हैं, क्योंकि पजाब प्रांत में उन्ही की पार्टी पीएमएल-एन की सरकार है। इस सहायता को पंजाब प्रांत के कानून मंत्री राना सनाउल्लाह ने स्वीकार किया है कि जमात को धन मुहैया कराया गया। एक पूर्व रक्षा अधिकारी का कहना है कि लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा एक ही है जिसका प्रमुख हाफिज सईद मुंबई के आंतकवादी हमले का आरोपी भी है और जकीउर्ररहमान लखवी, अबू हमजा जैसे 20 दोषी करार पाकिस्तान के आंतकवादियों में हाफिज सईद का नाम भी शामिल है। हाफिज के खिलाफ भारत पहले से ही पाकिस्तान से कार्रवाई करने की मांग करता आ रहा है। रक्षा अधिकारी का मानना है कि भारत और पाकिस्तान की प्रस्तावित वार्ता में भारत आतंकवाद के मुद्दे के अलावा कोई और मुद्दा एजेंडे में शामिल न करें और हाफिज सईद जैसे भारत के दोषियों के प्रत्यर्पण के लिए भी प्रयास करें। लेकिन पाकिस्तान द्वारा जिस प्रकार से हाफिज सईद को प्रोत्साहित किया जा रहा है उससे नहीं लगता कि पाकिस्तान सरकार भारत की किसी भी प्रमाणिकता को स्वीकार करे। हालांकि मुंबई पर 26/11 आतंकी हमले के आरोपी के रूप में भारत ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ सबूत जुटाने के लिए भारत ने सईद की आवाज के नमूने मांगने के संकेत दिये हैं. जो पाकिस्तान से हमले के दौरान आतंकवादियों को दिशा निर्देश दे रहा था। भारत और पाकिस्तान के जानकार विशेषज्ञ अफसर करीम की माने तो सार्क देशों के 26 जून को गृह मंत्रियों की इस्लामाबाद में होने वाली बैठक के दौरान भारत के गृह मंत्री पी. चिदांरम पाकिस्तान को मुंबई आतंकी हमले में दोषी करार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे को प्राथमिकता देनी चाहिए। पाकिस्तान जमात-उद-दावा का प्रमुख बन चुका लश्करे का आतंकवादी हाफिज सईद के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। इसके लिए भारत को विश्व समुदाय का समर्थन हासिल करके इसी मकसद से पाकिस्तान से बातचीत करने की जरूरत है कि पाकिस्तान पहले आतंकवादी संगठनों को नेस्तनाबूद करे और मुंबई के दोषी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करें, तभी अन्य मुद्दों पर बातचीत आगे बढ़ाने पर विचार किया जाए। एक विशेषज्ञ मानते हैं कि हाफिज सईद के प्रति जिस प्रकार का पाकिस्तान उदारता का रवैया अपना रहा है उससे नहीं लगता कि पाकिस्तान मुंबई के दोषी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार हो। यह पाकिस्तान की नीयती रही है कि अपनी बगल में छुरी लेकर चलता है और हमेशा पीठ पर हमला करता है। इसलिए भारत को चाहिए कि वह अमेरिका की नीति का अनुसरण करने के बजाए अपने विवेक और भारतीय कूटनीतिक रणनीतियों के तहत सतर्कता बरतते हुए पाकिस्तान के साथ बातचीत करे। यदि पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं करता तो भारत को सीमापार आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए एक बार पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए स्वयं कार्यवाही को अंजाम देने का समय नहीं गंवाना चाहिए।

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