ओ.पी. पाल
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने अंतर्राष्ट्रिय क्रिकेट परिषद का अध्यक्ष बनते ही भारत और पाकिस्तान के बीच खेल संबंधों को बेहतर करने के लिए दोनों देशों की क्रिकेट श्रृंखला आयोजित करने के प्रयास पर बल दिया, त्यों कि महाराष्ट्र में मराठी कार्ड की राजनीति करती आ रही शिवसेना ने मौके को भुनाने में कोई चूक नहीं की। शिवसेना ने आईसीसी अध्यक्ष शरद पवार के क्रिकेट प्रेम पर तीखे प्रहार करते हुए उन्हें पाकिस्तानी क्रिकेटरों के बहाने जमकर कोसा ही नहीं बल्कि चुनौती तक दे डाली। विशेषज्ञों की माने तो शिवसेना की धमकियों का खासकर क्रिकेट आज तक कोई असर नहीं हुआ है और न ही भविष्य में होने की संभावना है। विशेषज्ञों की राय में आईसीसी के अध्यक्ष पद पर किसी भारतीय का होना देश के क्रिकेट के लिए गौरव की बात मानी जानी चाहिए।
हाल ही में आईसीसी के अध्यक्ष बने कृषि मंत्री शरद पवार की महंगाई के मामले को लेकर आलोचना हो रही है तो ऐसे में पाकिस्तान के बहाने उनके क्रिकेट प्रेम की आलोचना करने में भला शिवसेना ही क्यों पीछे रहती। शिवसेना ने तर्क दिया है कि अपने आपको किसान कहने वाले पवार को आ हल से ज्यादा क्रिकेट के बल्ले से प्यार हो गया है। शिवसेना ने यहां तक टिप्पणी की है कि आ पवार बैट लेकर खेत में खडे हैं और खेती के बारे में बताने के बजाए क्रिकेट किस तरह फायदेमंद है, ये बताते हुए फोटो निकाले जाने चाहिए। शिवसेना ने पवार को यह भी धमकी दे डाली कि जा तक पाकिस्तान आतंक का रास्ता नहीं छोड़ता पाकिस्तान को भारत में मैच खेलने नहीं दिया जाएगा। जाहिर है पवार का क्रिकेट प्रेम पहले ही उन्हें विवादों में डाले हुआ है। आईपीएल में भी शिवसेना ने शरद पवार पर कई आरोप लगाकर उन पर निशाने साधे थे। हालांकि आईपीएल में पाक क्रिकेटरों की बोली न लगाये जाने पर पाक क्रिकेटरों की वकालत करने पर शिवसेना प्रमुख ने फिल्म सितारे शारूख खान के खिलाफ आग ही नहीं उगली थी, इसके बहाने उनकी रिलीज हुई फिल्म माई नेम इज खान का जारदस्त विरोध करके शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और उनके साहाजादे उद्धव ठाकरे ने अपना गुस्सा निकाला था। उस समय भी मराठी मानुष के मुद्दे को नकारते हुए महाराष्ट्र के लोगों ने शिवसेना को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया था और शाहरूख खान की फिल्म को भरपूर प्रचार मिला। ऐसे ही आस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों को आईपीएल में न खेलने की शिवसेना की धमकी पर कृषि मंत्री शरद पवार शिवसेना के निशाने पर आए थे, लेकिन शिवसेना की इन धमकियों का कोई असर कहीं तक भी नजर नहीं आया। वैसे तो इस प्रकार की कागजी धमकियां शायद यह शिवसेना की आदत में शुमार हो चुकी है, जो मराठी मानुष के मुद्दे पर महाराष्ट्र में चल रही चाचा बाल ठाकरे और भतीजे राज ठाकरे की सियासी जंग में जिस प्रकार से एक-एक करके देश की नामचीन हस्तियों को निशाना बनाने का प्रयास किया जाता रहा है उससे मराठियों की नजर में भी शिवसेना व मनसे की राजनीति छवि धूमिल ही होती नजर आई है, चाहे वह दुनिया के मशहूर क्रिकेटर मास्टर बलास्टर सचिन तेंदुलकर पर की गई टिप्पणियों पर ही क्यों न रही हों। एक क्रिकेट विशेषज्ञ का कहना है कि शिवसेना की धमकियां हमेशा क्रिकेट के मामले में कागजी साबित हुई हैं और उसे हमेशा ही हर मुद्दे पर मुंह की खानी पड़ी है। जहां तक शरद पवार के आईसीसी के अध्यक्ष बनने का सवाल है वह भारतीय क्रिकेट के लिए गौरव की बात है कि आईसीसी की कमान किसी भारतीय के हाथ में है, जाकि एशियाई देशों को आईसीसी के सदस्य हमेशा नजरअंदाज करते नजर आए हैं। जहां तक पवार के पाकिस्तान के साथ सीरिज आयोजित करने के प्रयास का बयान है वह भी भारत के हित में है ताकि पाकिस्तान और भारत के बीच बेहतर सांन्ध स्थापित रहे। ऐसे में शिवसेना को ऐतराज नहीं होना चाहिए। यह बात ठीक है कि पाकिस्तान आतंकवाद को रोकने के लिए आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करें, लेकिन यदि दोनों देशों में आपसी बातचीत ही नहीं होगी तो तनाव कभी कम नहीं होगा। दोनों देशों के सांन्धों में खेल खासकर क्रिकेट भी एक बेहतर जरिया है जिसके बहाने दोनों देश एक-दूसरे के नजदीक आए। विशेषज्ञ बीके सिंह की माने तो यह शरद पवार की पहुंच ही है कि वह आईसीसी में सर्वोच्च पद हासिल करने में कामयाब है जो भारतीय क्रिकेट की एक बड़ी जीत मानी जानी चाहिए। इसके लिए शिवसेना की आलोचना यह प्रदर्शित करती है कि वह किसी न किसी बहाने धमकियों से अपनी राजनीति कर सके, जो देशहित में उचित नहीं है।
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