रविवार, 18 जुलाई 2010

काबुल में भी मिलेंगे कृष्णा और कुरैशी

ओ.पी. पाल
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अगले सप्ताह यानि 20 जुलाई को दाता देशों के होने वाले एक सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा जा रहे हैं और वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी इस सम्मेलन में शिरकत करने वाले हैं। ऐसी संभावनाएं हैं कि इस्लामाबाद में बिगड़ी बातचीत के बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की इस तल्खी के बावजूद फिर एक मुलाकात होगी? सवाल है कि मुंबई हमलों के बाद कटुता की जमी बर्फ बातचीत का दौर शुरू होने से पिघलनी शुरू हुई थी, लेकिन पाकिस्तान ने उसका तापमान फिर घटा दिया है, जिसके कारण दोनों देशों के बीच फिर से कडवाहट के बीज उपजने लगे हैँ। हालांकि पाकिस्तान की ओर से बातचीत के दौरान बढ़ी तल्खी को दूर करने की संभावनाएं तलाशने के संकेत हैं जिस दृष्टि से काबुल काबुल सम्मेलन में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात महत्वपूर्ण हो सकती है।
पाकिस्तान की और से कश्मीर की जिद ने भारत के साथ बातचीत के जरिए एक-दूसरे के बीच अविश्वास की खाई को दूर करने के प्रयास को ऐसा पलीता लगा कि दोनों देशों के बीच संबन्धों को लेकर पिघलती बर्फ फिर से जमती नजर आ रही है, जबकि भारत का आज भी इस बर्फ को पानी में बदलने का प्रयास है। यह बात अलग है कि इस तल्खी के बावजूद विफल हुई बातचीत के बावजूद दोनों देश वार्ताओं को जारी रखने की बात कर रहे हैं, लेकिन सवाल इस बात का है कि हमेशा की तरह इस बार भी वार पाकिस्तान की तरफ से हुआ वह भी भारत की पीठ पर। अब इंतजार इस बात का है कि अगले सप्ताह काबुल में यदि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात हुई तो कुरैशी का कृष्णा के प्रति किस प्रकार का रूख रहेगा? हालांकि पाकिस्तान की ओर से ऐसे संकेत आ रहे हैं कि दो दिन पहले बातचीत के बाद बढ़ी तल्खी को दूर करने की संभावनाओं को तलाश जा रहा है। क्योंकि पाकिस्तान को इस बात का भी दर्द सता रहा है कि अफगानिस्तान के मामले में भारत क्यों शामिल है और इस सम्मेलन में कृष्णा के रूप में भारत की मौजूदगी जाहिर तौर पर पाकिस्तान की दुखती रग पर चुभन से कम नहीं होगी। जैसा कि पाक मामलों के जानकार विशेषज्ञ मानते आ रहे हैं कि पाकिस्तान के सामने कश्मीर मुद्दे से ज्यादा अब अफगानिस्तान बनता जा रहा है जहां वह भारत की किसी प्रकार की सहयोगी दखलंदाजी को को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है। विशेषज्ञ तो यह भी मानते हैं कि पाकिस्तान को इस बात का बेसब्री से इंतजार है कि अमेरिका अफगानिस्तान से कब वापसी करे और वह अफगानी तालिबान के सहारे वहां कैसे प्रवेश करे। जहां तक इस सम्मेलन का सवाल है यह सम्मेलन युद्ध की विभीषिका से जूझ रहे अफगानिस्तान में विकास कार्यो के लिए अरबों डॉलर की सहायता देने की घोषणाओं को वास्तविकता के धरातल पर उतारने का आग्रह करने के लिए मुल्क के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया जा रहा आयोजन है। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में हुई बातचीत में गहरे मतभेद उभरने के बाद दोनों मुल्कों के आपसी रिश्तों में कूटनीतिक कड़वाहट पैदा हो गई है। दोनों पक्षों ने गत गुरुवार को इस्लामाबाद में हुई बातचीत के दौरान उद्देश्यों पर कोई प्रगति नहीं होने के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया था। इसके अलावा कुरैशी ने कृष्णा के बारे में अप्रिय टिप्पणियां भी की थीं। बहरहाल, पाकिस्तान अब इस मामले को लेकर कुछ नरम हुआ है। उसके नेताओं ने शनिवार को बयान दिया कि पाकिस्तान द्विपक्षीय बातचीत जारी रखने कच इच्छुक है और वह भारत के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने के प्रति गंभीर भी है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ बातचीत जारी रखना चाहता है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुझे सभी मुद्दों पर बातचीत करने के लिए आश्वस्त किया है। ऐसे में कुरैशी भी मौका चूकने वाले नहीं थे जिन्होंने कि हम भारत के साथ रिश्ते सामान्य करने के प्रति बहुत गंभीर हैं।

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