शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

भारत के खिलाफ मंच तो नहीं पाक-चीन गठजोड़!

ओ.पी. पाल
भारत लगातार पाकिस्तान के साथ बेहतर सम्बन्ध बनाने की कवायद कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान भारत के इस कदम के बावजूद चीन के साथ अपना गठजोड़ बनाने में दिलचस्पी ले रहा है, जिसमें चीन-पाकिस्तान के बीच रेल संपर्क बनाने की योजना भारत की चिंताओं में इजाफा कर रही है। पाकिस्तान ने चीन से परमाणु करार करके भारत की चिंता पहले ही बढ़ा दी थी। विशेषज्ञों एवं भारत-पाक के जानकारों का मानना है कि भारत के बजाए पाकिस्तान ने चीन को अपना दोस्त बनाना ज्यादा बेहतर समझा है, लेकिन भारत की चिंता इन दोनों की दोस्ती को लेकर नहीं है, बल्कि आशंका यह है जो एक मायने में भारत की चिंता सही भी है कि चीन के साथ मिलकर पाकिस्तानभारत के खिलाफ अपनी ताकत को बढ़ा रहा है, हालांकि भारत ने पाक व चीन दोनों से ही बेहतर सम्बन्ध बनाने की रणनीति अपनाई हुई है, जिसके लिए भारत को सतर्कता बरतने की अधिक जरूरत है।दरअसल चीन और पाकिस्तान पहले से ही भारत के खिलाफ अपनी रणनीतियों के लिए शुमार रहे हैं जिसका एक नहीं अनेक उदाहरण है। पिछले साल ही चीन ने जिस प्रकार से भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियों को बढ़ाया था, चाहे वह अरुणाचल प्रदेश को चीन के नक्शे में दर्शाना हो या फिर अरुणाचल में भारतीय भू-भाग को चिन्हित करने का ही मामला क्यों न रहा हो। चीन की भारत में दखल देने की गतिविधियों पर भारत सरकार ने हमेशा ऐतराज जताया। उधर भारत और चीन के बीच बढ़ती तल्खी का फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान ने चीन के साथ गठजोड़ की रणनीति अपनाते हुए चीन से हथियारों की खरीद और फिर सामरिक रिश्ते जोड़ने में तेजी के साथ दिलचस्पी दिखाई। इसी दिलचस्पी का परिणाम था कि पाकिस्तान और चीन ने भारत को नीचा दिखाने के लिए वर्ष 2009 में पाकिस्तान में दो परमाणु रिएक्टरों के निर्माण कार्य पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार के दायित्वों को ध्यान में रखकर एक समझौते पर हस्ताक्षर भी कर दिये। भारत ने इस पर भी चिंता जताई थी। कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन को लेकर हुए सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह और चीन के प्रधानमंत्री से मुलाकात करके अपनी चिंताओं से अवगत कराते हुए चीन को कहीं हद तक संतुष्ट करने का प्रयास किया। इसके बाद भारत और चीन कई मामलों में परस्पर सहयोग की नीतियों पर आ गये हैं, वहीं मुंबई आतंकी हमले के आरोपियों यानि लश्कर के आतंकियों के खिलाफ काई ठोस कार्रवाई करने का प्रमाण न देने के बावजूद भारत ने पाकिस्तान से बातचीत को बहाल करने की कवायद की। भारत-पाक मामलों के जानकार प्रो. कलीम बहादुर की माने तो पकिस्तान अपनी पुरानी आदतों को बदलने का प्रयास नहीं करता। दरअसल भारत पर पाकिस्तान विश्वास नहीं करता इसलिए वह चीन के साथ अधिक गठजोड़ पर ध्यान दे रहा है। इसी गठजोड़ का परिणाम है कि पाकिस्तान ने चीन के साथ परमाणु करार के अलावा काराकोरम पर्वत श्रंखला से होकर चीन और पाकिस्तान को रेल संपर्क मार्ग से जोड़ने की योजना को आगे बढ़ाया है। चीन और पाकिस्तान के बीच रेल संपर्क बनाने की चीन की योजना पर भारत ने गहरी चिंता जतायी, लेकिन वहीं रक्षा राज्यमंत्री एमएम पल्लम राजू ने कहा कि इस तरह के कदमों से निाटने के लिए भारत खुद की अपनी तैयारियां कर रहा है। पल्लम राजू ने यह तो माना कि पाक-चीन का गठजोड़ निश्चित रूप से भारत के लिए चिंता का विषय है, लेकिन भारत के पास इस समस्या से निपटने के लिए विकल्प हैं। उनका कहना है कि यह भारत, पाकिस्तान के साथ रेल संपर्क बनाने की नहीं, बल्कि पाकिस्तान इस प्रकार चीन के साथ मिलकर भारत के खिलाफ एक मंच तैयार कर रहा है। पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र के माध्यम से अरब सागर पहुंचने की चीन की योजना पर उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों ने यह बहुत साफ कर दिया है कि वे रक्षा और सामरिक मुद्दों पर एक साथ मिल कर काम कर रहे हैं और सहयोग कर रहे हैं। यह भी गौरतलब है कि चीन इस योजना के तहत तिब्बत्ती पठार से लगे भारतीय सीमा तक रेल लाइन बना चुका है और आ उसकी योजना पाकिस्तान के साथ रेल संपर्क बनाने और अरब सागर तक पहुंचने की है।

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