सोमवार, 26 जुलाई 2010

राज्यसभा बनी भाषाओं के रंगों की गवाह!

ओ.पी. पाल
राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में निर्वाचित होकर आए 54 में से 52 सदस्यों ने अपने पद और गोपनीयता की शपथ ली, उच्च सदन में इस दौरान नविनिर्वाचित राज्यसभा के सदस्यों ने हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी, तमिल, तेलगू, संस्कृत, कन्नड, मराठी, उडिया जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में शपथ ग्रहण की, जिसमें राष्ट्र भाषा हिंदी का बोलबाला रहा। हालांकि राजस्थान के कुछ सदस्यों ने राजस्थानी भाषा में शपथ लेनी चाही लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली। इसके बावजूद सदन में देश की विभिन्न भाषाओं की गूंज से ऐसे समय में अनेकता में एकता का माहौल नजर आया, जब देश के विभिन्न राज्यों में भाषा की जंग चल रही हो।
संसद के उच्च सदन में मानसून सत्र शुरू होते ही द्विवार्षिक चुनाव के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से निर्वाचित होकर आए सदस्यों को उनके पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। इस दौरान नवनिर्वाचित 54 में से 52 ही सदस्य सदन में उपस्थित हुए, जिनमें केन्द्रीय मंत्री अंबिका सोनी और आनंद शर्मा के अलावा भाजपा के वरिष्ठ नेता एम. वेंकैया नायडू, राजीव प्रताप रूडी व तरुण विजय, लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान, बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा तथा राकांपा नेता तारिक अनवर, कांग्रेस की मोहसिना किदवई प्रमुख थे। राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नए सदस्यों ने बारी-बारी से उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली। राज्यसभा के सभापति के रूप में उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने सभी सदस्यों को शपथ दिलाई। सबसे पहले शपथ लेने वालों में आंध्र प्रदेश से वाईएस चौधरी थे, जिन्होंने तेलगू में शपथ ग्रहण की। ज्यादातर सदस्यों ने क्षेत्रीय भाषा में शपथ ली है। यदि भाषाओं की नजर से देखा जाए तो 52 में से 23 सदस्यों ने शपथ लेने के लिए हिंदी का प्रयोग किया। इसके अलावा अंग्रेजी में शपथ लेने वाले सदस्यों की संख्या छह थी, जिनमें बसपा के आठ सदस्यों में दो सदस्य भी अंग्रेजी में शपथ लेने वालों में शामिल रहे। इनके अलावा तेलगू भाषा में चार, उर्दू में चार कन्नड में दो, संस्कृत में तीन, मराठी में एक, उडिया में तीन, पंजाबी में दो तथा तमिल भाषा में चार सदस्यों ने शपथ ग्रहण की। इससे कुछ यूं भी कहा जा सकता है कि शपथ ग्रहण के दौरान उच्च सदन देश की विभिन्न भाषाओं का भी गवाह बना। द्विवार्षिक चुनाव में निर्वाचित होकर आने वाले सदस्यों में सर्वाधिक 12 सदस्य उत्तर प्रदेश से निर्वाचित होकर आए हैं, जिनमें बसपा के आठ, सपा के दो, कांग्रेस व भाजपा का एक-एक सदस्य शामिल है। जबकि आंध्र प्रदेश, बिहार और राजस्थान से पांच-पांच, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड से एक-एक, झारखंड और पंजाब से दो-दो, तमिलनाड़ु से चार, उड़ीसा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश से तीन-तीन, महाराष्ट्र से छह सदस्य निर्वाचित होकर सदन में आए हैं। कांग्रेस से शपथ लेने वाले प्रमुख सदस्यों में केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी और आनंद शर्मा के अलावा वी. हनुमंत राव, मोहसिना किदवई तथा कैप्टन सतीश शर्मा शामिल हैं। भाजपा की ओर से शपथ लेने वालों में वरिष्ठ नेता एम. वेंकैया नायडू, राम जेठमलानी, मुख्तार अब्बास नकवी, राजीव प्रताप रूड़ी, वरिष्ठ पत्रकार चंदन मित्रा और तरुण विजय शामिल हैं। राज्यसभा में यह पहला मौका है जब बसपा तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है, जिसके सतीश चन्द्र मिश्रा, अंबेथ राजन, प्रो. एसपी सिंह बघेल, राजपाल सैनी, प्रमोद कुरील, जुगल किशोर, नरेन्द्र कश्यप व सलीम अंसारी ने शपथ ली है। सपा से पार्टी प्रवक्ता मोहन सिंह और राशिद मसूद ने भी उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली। जनता दल यूनाइटेड के रामचंद्र प्रसाद सिंह और उपेंद्र कुशवाहा, राजद के रामकृपाल यादव और लोजपा के रामविलास पासवान ने भी शपथ ली। महाराष्ट्र से शिवसेना के संजय राउत और राकांपा के तारिक अनवर ने शपथ ली, जबकि कर्नाटक से प्रमुख उद्योगपति विजय मल्लया ने निर्दलीय सदस्य के रूप में शपथ ली। वहीं उद्योगपति कंवरदीप सिंह ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के सदस्य के रूप में शपथ ली। आंध्र प्रदेश से चुने गए पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश और छत्तीसगढ़ से चुने गए भाजपा नेता नंद कुमार साय शपथ ग्रहण के मौके पर उच्च सदन में उपस्थित नहीं थे, जिन्हें बाद में शपथ दिलाई जाएगी. भारत की विभिन्न भाषाओँ में शपथ लेने वाले सदस्यों के गवाह सदन के साथ मानसून सत्र की कार्यवाही देखने आये सैकड़ों दर्शक भी है. जिनमें कुछ नामचीन हस्तियाँ भी वीपीआई दीर्घा में बैठी नज़र आ रही थी.

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