मंगलवार, 27 जुलाई 2010

राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर फिर उठे सवाल!

ओ.पी. पाल
राष्ट्रमंडल खेल आरंभ होने में केवल 66 दिन ही बाकी रह गये हैं, लेकिन केंद्र व दिल्ली सरकार पर उनकी तैयारियों के दावों के बावजूद उंगलियां उठने का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है, खासकर भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को निशाना बनाते हुए केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस के ही लोग राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों पर सवालिया निशान उठा रहे हैं तो ऐसे में विपक्षी दलों के नेता भला पीछे कैसे रह सकते हैं। दरअसल राष्ट्रमंडल खेलो के विरोध मोर्चा खोलने वाले मणिशंकर अय्यर ने ही स्वयं खेल मंत्री होते हुए तैयारियों को शुरू करने में अहम भूमिका निभाई थी।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तीन से 14 अक्टूबर तक होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों पर भारत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, जिसकी तैयारियों में लगातार हो रही देरी को लेकर पहले से ही उंगली उठती रही है, लेकिन केंद्र और दिल्ली सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस में ही खेलों को लेकर मतभेद नजर आने लगे हैं। इन खेलों के आयोजन के विरोध में अब वही मणिशंकर अय्यर टिप्पणियों की बौछार करने में सबसे आगे हैं, जिन्होंने इन राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों को केंद्रीय खेल मंत्री होते हुए शुरू कराया था और तैयारियों के लिए केंद्रीय बजट तथा आयोजन समिति से लेकर तमाम कमेटियों के गठन में अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन यूपीए के दूसरे कार्यकाल में उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई, शायद इसी बात का मलाल उन्हें ऐसी टिप्पणी करने के लिए मजबूर कर रहा है? हालांकि इन टिप्पणियों को लेकर कांग्रेस पार्टी मणिशंकर अय्यर पर शिकंजा कसने की भी तैयारी कर रही है, लेकिन उन्होंने भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों को लेकर एक बार फिर से केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार की किरकिरी करते हुए यहां तक कह दिया है कि इन खेलों का संरक्षण भगवान नहीं बल्कि शैतान ही कर सकता है। वहीं उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों पर अपनी भड़ास निकालते हुए यह भी कहा कि बारिश से इन खेलों का बेड़ा गर्क हो जाएगा। मणिशंकर अय्यर ने इससे पहले भी राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन को जनता के धन की बर्बादी करार देकर सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी की थी। उनका मानना है कि खेलों पर 35 हजार करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि खर्च करने की बजाय उस धन को उन बच्चों पर खर्च किया जाना चाहिए था, जिन्हें खेल की सुविधाएं नसीब नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के सकर्सों पर इतनी बड़ी रकम खर्च की जा रही है, जबकि आज बच्चों को खेलने के साधन तक नहीं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को भविष्य में एशियाई खेलों या ऐसे ही अन्य अंतरराष्ट्रीय खेलों के आयोजन की बोली लगाने से पहले दो बार सोच लेना चाहिए। अय्यर की यह टिप्पणी इस बात को जाहिर करती है कि राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर कांग्रेस पार्टी में बड़े पैमाने पर मतभेद हैं। हालांकि अय्यर की इस ताजा टिप्पणी को एक सिरे से खारिज करते हुए दिल्ली सरकार की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित के सुपुत्र और कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित का कहना है कि वह ऐसी टिप्पणियों को गंभीरता से नहीं लेते। कांग्रेस के ही लोकसभा सदस्य जगदम्बिका पाल का कहना है कि कि यदि खेलों को लेकर कोई मतभेद हैं तो उन्हें सार्वजनिक करने के बजाए पार्टी फोरम में उठाना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता ने इस बयान को मणिशंकर अय्यर की अपनी निजी राय कहते हुए कहा कि राष्ट्रमंडल खेल हमारे देश का गौरव बढ़ाएगा। दूसरी ओर भाजपा प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने खेलों की तैयारियों में देरी पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार को समझना चाहिए कि राष्ट्रमंडल खेलों से देश का गौरव जुड़ा है, लेकिन साथ ही मणिशंकर अय्यर की टिप्पणी को गैर जिम्मेदाराना बयान भी करार दिया है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मोहन सिंह ने भी अय्यर की टिप्पणी को गैर जिम्मेदार बताते हुए कहा कि जो खेलों का विरोध कर रहे हैं उन्हें ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, हालांकि ऐसे लोग अपना सुख पाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। दरअसल राष्ट्रमंडल की खेलों की तैयारियों में हो रही देरी से पहले भी आयोजकों और केंद्र व दिल्ली सरकार पर उंगलियां उठाई गई हैँ, जिसमें भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ खेलों को लेकर मोर्चा खोलने में पूर्व खिलाड़ी भी पीछे नहीं है। भारतीय हॉकी के पूर्व कप्तान परगट सिंह ने तो कलमाड़ी पर खुलकर हमले करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और यहां तक कह डाला कि भारतीय खेल जगत में कलमाड़ी एक ऐसा चेहरा है जिसके कारण हाल ही में सामने आए यौन उत्पीड़न के मामले सामने आने लगे हैं। ऐसे ही लोगों द्वारा भारतीय खेल पर कुंडली मारने का नतीजा है कि भारतीय खेलों से जुड़े खिलाड़ियों को केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों और भारीभरकम धनराशि मुहैया कराने के बावजूद प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें