एक जमाना था जब लोग अपने घरों के बाहर लिखते थे-अतिथि देवो भव: फिर शुरू किया-शुभ लाभ और बाद में लिखा जाने लगा-यूं आर वेलकम अब शुरू हो गया-......से सावधान!
बुधवार, 7 जुलाई 2010
केंद्र व राज्यों के रवैये का मलाल!
महिला आयोग की रिपोर्ट की अनदेखी से बढे अपराध
ओ.पी. पाल
राष्ट्रीय महिला आयोग का इस बात का मलाल है कि आयोग की रिपोर्टो पर राज्य की सरकारें कोई ध्यान नहीं देती हैं, जिसके कारण महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान में सासे ज्यादा घटनाएं होने के बावजूद यहां की सरकारें उदासीन है जिसके कारण महिला आयोग ज्यादा खफा नजर आ रहा है।
राष्ट्रीय महिला आयोग इसी बात से अधिक चिंतित है क्योंकि उसकी रिपोर्टो पर न तो केंद्र सरकार ध्यान देती है और न राज्य सरकारें आयोग की किसी रिपोर्ट पर गंभीर है। आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास अभी तक 21 रिपोर्ट जारी कर चुकीं हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इनमें से अभी तक मात्र आठ रिपोर्टो को ही संसद में पेश किया। आनर कीलिंग के मामले हरियाणा और उत्तर प्रदेश में होते हैं लेकिन यही सरकारें सासे जयादा संवेदनशील नहीं हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सोमवार को देश भर के राज्य महिला आयोगों की बैठक में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश व राजस्थान राज्यों के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए। आयोग का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकारों के इस रवैये के कारण ही खाप के खौफ, मादा भ्रूण हत्या, दुराचार समेत तमाम अत्याचारों से जूझ रही महिलाओं की सुनवाई आ भी ठीक से नहीं हो पा रही है। केंद्र व राज्य सरकारों के इस रवैये का मलाल किसी और ने नहीं, बल्कि स्वयं कांग्रेस सांसद एवं महिला आयोग की अध्यक्ष गिरीजा व्यास ने व्यक्त किया है। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष गिरजा व्यास का कहना है कि उनके कार्यकाल में आयोग ने महिलाओं से जुड़े विभि न्न मुद्दों पर 21 रिपोर्टे सरकार को सौंपी गई हैं, लेकिन उनमें से केवल आठ को ही संसद में पेश किया गया है। व्यास का कहना है कि केंद्र व राज्य सरकारों को चाहिए कि वह महिला आयोग की रिपोर्टो को संसद व विधानसभाओं में पेश करें, ताकि उन पर चर्चा हो और सिफारिशों पर अमल हो सके। व्यास ने इस बारे में सभी सम्बंधित मंत्रियों व सदनों के सभापतियों को पत्र भी लिखे हैं। वह महिलाओं से सम्बंधित संसदीय समिति से भी चर्चा कर रही हैं। महिला आयोगों के इस सम्मेलन में चार प्रमुख राज्यों उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व मध्यप्रदेश के प्रतिनिधियों का न आना भी चर्चा में रहा। महिला आयोग के अनुसार खाप के आतंक, मादा भ्रूण हत्या, दहेज हत्या, दुराचार व महिलाओं पर होने वाले अन्य अत्याचारों की संख्या भी इन चार राज्यों में काफी ज्यादा है। गौरतलब है कि साल 2008 में महिलाओं पर अत्याचार के 3,569 मामले अकेले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे। राजस्थान में यह संख्या 14,494 हजार व हरियाणा में 5,142, पंजाब में 2667 थी। 2009 में हरियाणा में बलात्कार के प्रयास के दस मामले, 199 घरेलू हिंसा के मामलें, 269 दहेज हत्या के मामलें और 593 बलात्कार के मामले पंजीकृत हुए, जाकि मध्य प्रदेश 125 बलात्कार के प्रयास, 333 घरेलू हिंसा के मामले, 136 बलात्कार के मामलों और 102 दहेज मृत्यु के मामलें संज्ञान में आए हैं। इसी प्रकार पंजाब में 62 बलात्का के प्रयास, 128 दहेज हत्या तथा 1155 दहेज उत्पीड़न मामले पंजीकृत हुए हैँ। गिरीजा व्यास का यह भी कहना है कि समितियों एनसीडल्यू, गैर सरकारी संगठनों और महिला संगठनों के बीच बेहतर समन्वय के लिए सभी स्तरों पर गठित किया जाना चाहिए। सुश्री व्यास भी सार्क देशों के बीच सहयोग के लिए इष्ट के अवैध व्यापार की घटनाओं के साथ सहमति बनाई जा रही है। आयोग ने झूठी शान के लिए हत्या की सुखिर्यों के बीच यह भी आग्रह किया कि इन खारों में ‘ ऑनर शब्द का इस्तेमाल बंद कर दें और किसी ऐसे उचित शब्द का इस्तेमाल करें जिससे यह जघन्य अपराध बेहतर तरीके से उजागर हो। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास ने जोरदार आग्रह किया कि इन खारों में ‘ऑनर’ यानी सम्मान शब्द के इस्तेमाल से बचें और इससे मिलते-जुलते ऐसे शद का इस्तेमाल करें जिसमें ‘ऑनर’ जैसी कोई बात न होकर सिर्फ अपराध की जघन्यता जाहिर हो। राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष मोहिनी गिरी ने का कहना है कि महिला आयोग के सदस्यों को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की तर्ज पर चयनित किया जाना है, ताकि इसे और अधिक अराजनैतिक बनाते हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें