ओ.पी. पाल
संसद के मानसून सत्र में भी बजट सत्र की तरह 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले पर यूपीए सरकार को विपक्ष बिना घेरे नहीं रहेगा। इसीलिए पीएमओ ने इस घोटाले को लेकर शायद दूरसंचार मंत्री ए. राजा का कवज बनने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। जबकि विपक्ष 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले को देश का सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए लगातार ए. राजा के इस्तीफे की मांग करता आ रहा है।दूरसंचार विभाग के टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले में ए. राजा को चाहते हुए भी प्रधानमंत्री उन्हें हटाना नहीं चाहते जिसका कारण डीएमके प्रमुख एवं तमिलनाडु के मुख्यममंत्री करुणानिधि हैं जो राजा को हटाने पर यूपीए को झटका दे सकते हैं। इस घोटाले की आंच मानसून सत्र में तेज होने की आशंका को देखते हुए अभी से यूपीए सरकार की बेचैनी बढ़ गई है, हालांकि सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के पास महंगाई और नक्सलवाद जैसे एक नहीं दर्जनों मुद्दे हैं, लेकिन शायद पीएमओ ने ए. राजा को बचाने की तैयारियों पर होमवर्क शुरू करना शुरू कर दिया है, जिसमें पीएमओ ने पांच जुलाई को एक पत्र लिखकर दूरसंचार विभाग से ट्राई की स्पैक्ट्रम पर सिफारिशें तलब की हैं। बजट सत्र में 2जी स्पैक्ट्रक घोटाले का मामला संसद के दोनों सदनों में इस कदर गरमाया था कि स्वयं प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को भी राजा के बचाव में यह बयान देना पड़ा था कि 2जी स्पैक्ट्रम की नीलामी की प्रक्रिया सही तरीके से हुई है। सरकार ने इसके लिए वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त ईजीओएम का गठन भी करना पड़ा था, जिसे दूरसंचार नियामक यानि ट्राई की सिफारिशों पर विचार करने का अधिकार दिया गया था। इस घोटाले में सबसे बड़ी विड़म्बना यह रही कि दावे के बावजूद ईजीओएम भी इस मसले को सुलझाने में सफल नहीं हो सका। इसलिए मानसून सत्र के दौरान महंगाई के बाद भ्रष्टाचार के मुद्दे में 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले को लेकर विपक्ष यूपीए सरकार को कठघटरे में खड़ा करने को तैयार है। दरअसल, पीएमओ को इस बात की आशंका सता रही है कि ट्राई के स्पैक्ट्रम प्रबंधन व लाइसेंसिंग संबंधी प्रस्तावों पर विभिन्न पक्षों की तीखी प्रतिक्रिया नए विवादों को जन्म दे सकती है। यह भी गौरतलब है कि ट्राई ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि जिन टेलीकॉम ऑपरटरों के पास 6.2 मेगाहर्ट्ज से ज्यादा 2जी स्पेक्ट्रम है उन्हें इसके लिए एकमुश्त अतिरिक्त भुगतान करना चाहिए। यही नहीं, ट्राई ने कहा था कि 2जी स्पैक्ट्रम की कीमत का निर्धारण 3जी स्पैक्ट्रम के मूल्य के आधार पर किया जाना चाहिए। इससे जीएसएम कंपनियां काफी नाराज हो गई। राज्यसभा में विपक्ष के नेता एवं भाजपा सांसद पहले ही कह चुके हैं कि 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन में हुआ 60 हजार करोड़ रुपये का घोटाला देश का सबसे बड़ा घोटाला है। इस घोटाले की जांच में सीबीआई द्वारा मंत्रालय और दूरसंचार विभाग के विभिन्न कार्यालयों में छापामारी भी की थी, लेकिन प्रधानमंत्री के दूरसंचार मंत्री ए. राजा के बचाव में आए बयानों पर भी विपक्ष खासकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने गंभीर आपत्ति जताई है। बहरहाल इस मामले को पीएमओ अपने जिम्मे लेने के मूड़ में नजर आ रहा है ताकि ए. राजा पर इस मामले की आंच न आ सके। शायद इसी कारण प्रधानमंत्री कार्यालय यानि पीएमओ ने ए. राजा बचाव की तैयारियों के तहत मानसून सत्र में विपक्ष के हमले से बचने के लिए अभी से दूरसंचार विभाग से स्पेक्ट्रम पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशों का ब्यौरा मांगा है। सूत्रों की माने तो पीएमओ इस बात को लेकर पहले ही आश्वस्त होना चाहता है कि स्पैक्ट्रम आवंटन के मामले में टेलीकॉम रेगुलेटर की सिफारिशों का पालन हुआ है या नहीं। हालांकि स्पैक्ट्रम के आवंटन के जिन मामलों को लेकर विवाद है, उनको लेकर ट्राई ने अपनी सिफारिशों में बाद में फेरबदल भी किया है। इससे पहले भी टूजी स्पैक्ट्रम पाने वाली कंपनियों के बारे में पीएमओ ने जानकारी इकट्ठी कर ली थी। यह सर्वविदित है कि दूरसंचार मंत्रालय ने वर्ष 2006 से लेकर 2008 के बीच 11 मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों को टूजी स्पैक्ट्रम आवंटित किया था, जिसमें दूरसंचार विभाग (डॉट) द्वारा इन कंपनियों को स्पैक्ट्रम आवंटित करने के लिए निविदा प्रक्रिया का रास्ता न अपनाने हुए इनमें से कुछ कंपनियों ने सीधे अपने लाइसेंस बेच भी दिए थे। यही वजह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इसकी जवाबी रणनीति तैयार करने के लिए जानकारियां मांगनी शुरू कर दी है।
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