शनिवार, 31 जुलाई 2010

पाकिस्तानियों को नहीं अंकलसेम से प्यार!

ओ.पी. पाल
भारत के खिलाफ ही नहीं दुनिया में आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका की पुष्टि होने के बावजूद अमेरिका पाकिस्तान को आर्थिक और हथियारों के साथ अन्य सभी तरह की मदद करता आ रहा है। यही नहीं पाकिस्तान की तारीफ में भी अमेरिका कसीदें पढ़ने में पीछे नहीं रहा, लेकिन लगता है कि अमेरिका के पाकिस्तान पर रहमोकरम करने का कोई लाभ नहीं है, क्योंकि हाल ही में हुए एक सवेक्षण ने ऐसे संकेत दिये हैं कि पाकिस्तानी अमेरिका को सबसे बड़ा दुश्मन मानते हुए उससे नफरत करते हैं।
यह सर्वेवेक्षण और किसी ने नहीं बल्कि अमेरिका की ही एक संस्था प्यू रिसर्च ने किया है जिसमें यह बात सामने आई है कि पाकिस्तानी अंकल सेम से प्यार नहीं नफरत करते हैं। यह स्थिति उस समय आई है जब अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद को लगभग दो गुणा करके अन्य साधन भी मुहैया कराने की नीति अपनानी शुरू कर दी है। बावजूद इसके कि यह दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने में अपनी नीति बदलने को तैयार नहीं है। जबकि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को अपना सच्चा और मजबूत सहयोगी बताते हुए ढोल पीट रहा है। लेकिन इस सर्वेक्षण से लगता है कि अमेरिका के इस रहमोकरम का पाकिस्तान से कोई लाभ होने वाला नहीं है, जहां ज्यादतर लोग अमेरिका को अपना दुश्मन मानते हैं। अमेरिकी संस्था प्यू रिसर्च के एक सर्वे पर नजर डाली जाए तो एक साल पहले पाकिस्तान के लोग जितना अल कायदा और तालिबान को लेकर चिंतित थे, अब उतने नहीं हैं। अमेरिका पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य मदद के नाम पर पाकिस्तान को अरबों डॉलर दे रहा है, लेकिन अमेरिकी धन पाकिस्तान की छवि का सुधारने में नाकाम है। हालत यह है कि पाकिस्तान के लोगों की नजर में उसकी छवि 22वें नंबर पर है। दरअसल इस संस्था ने अपने सर्वेक्षण में 22 देश ही शामिल किए हैं और पाकिस्तान के लोगों ने अमेरिका को सबसे नीचे रखा है। इसी साल कराये गये इस सर्वेक्षण में जब पाकिस्तानी लोगों से पूछा गया कि तालिबान, अल कायदा और भारत में से पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है तो सबसे ज्यादा 59 प्रतिशत लोगों ने अमेरिका को पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन माना है, जबकि 53 फीसदी लोगों ने भारत का नाम लिया। 23 फीसदी लोगों ने तालिबान और सिर्फ 3 प्रतिशत ने अल कायदा को खतरा माना। सिर्फ 17 फीसदी लोगों ने अमेरिका के पक्ष में वोट दिया और 11 प्रतिशत लोगों ने उसे एक साझीदार माना है। सिर्फ 8 फीसदी लोग मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में बराक ओबामा पर भरोसा किया जा सकता है। इस सर्वे में पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी पर भरोसा करने वालों की संख्या 64 से घटकर अब 20 फीसदी ही रह गई है। यह आलम जब है कि अमेरिका अपनी अफ-पाक नीति के जरिए पाकिस्तान को साथ लेकर चलने की कोशिश में लगा है, लेकिन पाकिस्तानी नागरिक तो इस बात को जरा भी पसंद नहीं कर रहे हैं। 65 प्रतिशत लोगों ने अफगानिस्तान में अमेरिका की दखलअंदाजी को गलत ठहराया और कहा कि अमेरिका और नैटो सेनाओं को अफगानिस्तान से फौरन चले जाना चाहिए। सर्वे में यह बात भी सामने आई जिसमें पाकिस्तानी तालिबान को बुरा मानते। केवल 25 फीसदी लोगों को लगता है कि अगर तालिबान दोबारा अफगानिस्तान पर काबिज हो गया तो पाकिस्तान का नुकसान होगा। हालांकि इसे अच्छा बताने वाले भी 18 प्रतिशत ही लोग मिले, लेकिन 57 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। पिछले साल 73 फीसदी लोगों ने तालिबान को पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बताया था। अब इनकी तादाद घटकर 54 रह गई है. अल कायदा को खतरा मानने वालों की तादाद पिछले साल 61 प्रतिशत थी लेकिन अब सिर्फ 38 फीसदी लोग ऐसा मानते हैं। हालांकि विश्व समुदाय में मौजूदा समय में तालिबान और अलकायदा की छवि खराब है जिसमें आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान भी अपनी छवि सुधारने में नाकाम रहा है।

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