रविवार, 18 जुलाई 2010

सिंबल को कीबोर्ड पर लाने की कवायद!

ओ.पी. पाल
भारतीय मुद्रा को एक प्रतीक चिन्ह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने के लिए सरकार ने उसे लागू करने के उद्देश्य से काम प्रक्रिया में तेजी शुरू कर दी है, जिसके लिए रुपये के प्रतीक चिन्ह यानि सिंबल को जल्द कंप्यूटर के की बोर्ड पर लाने की कवायद को तेज कर दिया है। भारतीय रुपये की नई पहचान डॉलर, पाउंड, येन और यूरो की तरह अब भारतीय मुद्रा 'रुपया' को भी प्रतीकात्मक पहचान मिल गई, जिसे हाल ही में भारत सरकार के कैबिनेट ने जिस प्रतीक चिन्ह को मंजूरी दे दी है अब उसे कंप्यूटर के की बोर्ड पर लाने की पहली चुनौती सरकार के सामने है जिसके लिए सरकार इस चिन्ह को यूनिकोड के रूप में की बोर्ड पर लाने में जुटी हुई है। सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही यह सिंबल जल्द कंप्यूटर के की बोर्ड पर भी आ जाएगा। चूंकि सरकार इस प्रतीक चिन्ह को मंजूरी देकर कह चुकी है कि देश में इसे 6 महीने के अंदर अपना लिया जाएगा, जबकि इसे वैश्विक पहचान मिलने में अभी 18 से 24 माह का समय लग सकता है। सरकार रुपये के प्रतीक चिह्न के अस्तित्व में आते ही इसे कागज पर छापने के प्रयासों को भी तेज कर दिया गया है। सरकार अब रुपये के चिह्न को टापराइटरों और कंप्यूटर के की बोर्ड में जोड़ने की कोशिश में लगी है। रोमन लिपि के 'आर' और देवनागरी लिपि के 'र' से मिलाकर तैयार किया गया भारतीय मुद्रा के इस चिह्न को अभी तक प्रकाशित करने के लिए कुछ तकनीकी दिक्कतों का समाना करना पड़ रहा है। कंप्यूटर कीबोर्ड यूरो भी उन चंद मुद्राओं में है जिनका खास निशान है में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जोड़ना इतना आसान काम नहीं हैं क्योंकि कीबोर्ड की इस 'की' या कुंजी का उपयोग ज्यादातर सिर्फ भारत में ही होगा। सरकार इसे यूनिकोड मानक और विश्व की अन्य स्क्रिप्ट्स में जोड़ने की भी कोशिश कर रही है जिससे इसे आसानी से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रकाशित किया जा सके। अभी तक सिर्फ पाउंड ही ऐसी मुद्रा है जिसके चिह्न को उसके नोट पर प्रकाशित किया जाता है। जहां तक यूनिकोड का सवाल है यह एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय मानक है जो टेक्स्ट डेटा को ग्लोबली इंटरचेंज करता है। यह ऐसा मानक है जिस पर देश-विदेश की प्रमुख आईटी कंपनियों, संगठनों, संस्थाओं और सरकारों ने अपनी सहमति की मुहर लगा दी है। अंग्रेजी, हिन्दी, जापानी, चीनी, अरबी, जर्मन, इतालवी, रूसी आदि हर भा हां भाषा के मर्ज की सिर्फ एक दवा, यूनिकोड. यूनिकोड में दुनियाभर की भाषाआऊं के प्रत्येक 'केरैक्टर' के लिए एक 'कोड' तय कर दी जाती हैं. फिर चाहे कंप्यूटर का 'आपरेटिंग सिस्टम', सॉफ्टवेयर या कोई अन्य भाषा ही क्यों न हो। कंप्यूटर मूल रूप से 'बाइनरी' (अंकीय) फोरमैट पर काम करता है। इसमें प्रत्येक 'केरेक्टर' के लिए एक निश्चित अंक निर्धारित कर दिया जाता है। दरअसल यूनिकोड में संसार की सभी लिखी जा सकने वाली भाषाओं में प्रयुक्त होने वाले केरेक्टर समेटने की क्षमता है जो तकनीकी रूप में 16 बिट की एनकोडिंग पर काम करता है और यह एक लाख से भी ज्यादा के केरेक्टर कोड उपलब्ध करवा सकता है जो कि विश्व की सभी भाषाओं की आवश्यकता से भी कहीं ज्यादा कारगर सिद्ध हो रहा है।
यूनिकोड में ऐसे शामिल होगा रुपया
भारतीय रुपये को कीबोर्ड पर लाने में एक साल का समय लग सकता है और उसे अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति मिलने में 2 साल का समय लग सकता है। यह तो सरकार भी मानकर चल रही है। भारतीय रुपये के चिह्न को यूनिकोड फॉर्मेट में लाने के लिए उसे पहले यूनिकोड सहायता संघ की कमेटी के पास भेजा जाएगा ताकि उसे यूनिकोड के डेटाबेस में शामिल किया जा सके। इस प्रतीक को भारतीय मानक 13194:1991-इंडियन स्क्रिप्ट कोड फॉर इंफॉर्मेशन इंटरचेंज में भी शामिल किया जाएगा। इसके लिए ब्यूरो आफ इंडियन स्टेंडर्ड्स की मौजूदा सूची में परिवर्तन करना बेहद जरूरी है।इंडियन स्क्रिप्ट कोड फॉर इंफॉर्मेशन इंटरचेंज भारतीय भाषाओं को कंप्यूटर पर लिखने के लिए कीबोर्ड के लेआउट सहित बहुत से कोड निर्धारित करता है। भारत सरकार हाडर्वेयर निर्माताओं के लिए कीबोर्डो में रुपये के प्रतीक को शामिल करना अनिवार्य बना सकती है। यूनिकोड संघ के अनुमोदन के बाद असाइन किए गए कीबोर्ड संयोजन या आपरेटिंग सिस्टम के कैरेक्टर मैप से भी इस चिह्न को बनाया जा सकेगा। इस संबन्ध में माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि यूनिकोड संघ की स्वीकृति मिलने के बाद और वेंडर्स को इसकी सूचना मिलने के बाद ही वह अपने अगले उत्पाद में रुपये के इस प्रतीक को शामिल करेगी। ब्यूरो आफ इंडियन स्टेंडर्ड्स द्वारा प्रतीक को कीबोर्ड मानक के रूप में सूचिबद्ध किए जाने के बाद मेन्यूफेक्चररर्स एसोसिएशन आॅफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (मेट) अपने सदस्यों से अपनी उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव किए जाने पर विचार-विमर्श करने के बाद ही प्रतीक को कीबोर्ड पर लाने के बारे में निर्णय लेगी। बहरहाल, यह समस्त भारतीयों के लिए गौरव और रुपये की गरिमा का विषय है कि अंतर्राष्ट्रीय पटल पर रुपया अपनी एक अनूठी पहचान के साथ दमकेगा और डॉलर के समान कंप्यूटर पर सज कर अपनी सुनहरी उपस्थिति दर्ज करेगा।

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