गुरुवार, 8 जुलाई 2010

भज्जी कैसे हो सकते है मुरलीधरन के वारिस?

ओ.पी. पाल
दुनिया के अंतर्राष्ट्रीय फिरकी गेंदबाजी की तिकड़ी में श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन, आस्ट्रेलिया के शेन वार्न तथा भारत के अनिल कुंबले शुमार थे, जिनमें शेनवार्न और अनिल कुंबले के सन्यास के बाद बचे आखिरी चक्रधर परोधा मुरलीधरन भी टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का ऐलान कर चुके हैं। लेकिन मुरलीधरन जिस प्रकार से हरभजन सिंह को अपना उत्तराधिकारी बता रहे हैं वह किसी भी क्रिकेट विशेषज्ञ या क्रिकेटर के गले उतरता नजर नहीं आता। हरभजन सिंह के लिए मुरली के रिकार्ड को छूना उसी तरह की कहावत को चरितार्थ करता है जैसे आसमान से तारे तोड़ना। फिर भी मुरली जैसे महान गेंदबाज का नाम क्रिकेट के इतिहास में लिया जाएगा तो उसके साथ विवाद निश्चित रूप से जुड़ा हुआ मिलेगा। श्रीलंका के स्पिनर मुथैया मुरलीधरन एक ऐसा नाम है जिनका क्रिकेट इतिहास में चक्रधारी गेंदबाजी के रूप में हमेशा जुड़ा रहेगा। श्रीलंका में भारत के खिलाफ खेली जा रही टेस्ट श्रृंखला के पहले मैच के बाद ही मुरलीधरन टेस्ट क्रिकेट से अलविदा कहने का मन बना चुके हैं, जिनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 792 विकेट हैं जिन्हें वह अपने टेस्ट कैरियर के अंतिम मैच में आठ सौ करने का प्रयास जरूर करेंगे। मुरलीधरन के पास 337 एक दिवसीय मैचों में 515 विकेट के अलावा 11 टी-20 मैचों में 13 विकेट के साथ कुल 1320 विकेट का विश्व रिकार्ड हैं। क्रिकेट इतिहास के सासे सफलतम गेंदबाजों में शुमार मुरलीधरन का कैरियर विवादों से भी अछूता नहीं रहा और कुछ अंपायरों ने उन पर चकिंग का आरोप भी लगाया। यह क्रिकेटर जब 1992 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली बार मैदान पर उतरा, तभी उनके गैरपारंपरिक और अजीब एक्शन को लेकर विश्व क्रिकेट में बहस शुरू हो गई थी। मुरलीधरन ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा करने की घोषणा तक तो ठीक था, लेकिन उन्होंने अपना वारिस भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह को बताकर एक ऐसा शिफुगा छोड़ा है जो भज्जी के टेस्ट कैरियर में कठिन ही नहीं बल्कि नामुमकिन भी है। क्रिकेट विशेषज्ञ शेखर लूथरा का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने की घोषणा करके मुथैया मुरलीधरन ने भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह का नाम शायद इसलिए लिया है कि उसकी स्टोरी की मांग अधिक हो, जाकि शेखर लूथरा यह भी मानते हैं कि जिस औसत से हरभजन सिंह का पिछले दो साल से गेंदबाजी का प्रदर्शन चल रहा है उससे कहा जा सकता है कि यदि भज्जी अगले दस साल भी क्रिकेट खेलते हैं तो वह अपने टेस्ट विकेटों का आंकडा 600 भी नहीं कर पाएंगे। इसलिए पहले से ही विवादों में रहे मुरलीधरन ने भज्जी के नाम का इस्तेमाल करते हुए जो शिफुगा छोड़ा है वह किसी भी क्रिकेटर या क्रिकेट के जानकार के गलेआस्ट्रेलिया उतरने वाला नहीं है। यदि वह डनियल विटोरी या अन्य उभरते किसी स्पिनर का नाम लेते तो शायद उसमें कुछ दम होता। लूथरा का कहना है कि आस्ट्रेलियाई स्पिनर शेनवार्न भले ही कम अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेले हों लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में शेनवार्न जैसे स्पिनर एक मिसाल बने रहेंगे, जिसकी तुलना मुरलीधरन के सर्वाधिक विकेट होने के बावजूद उनसे नहीं की जा सकती। शेनवार्न के करीब 13 साल के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 145 टेस्ट में 708 तथा 194 एक दिवसीय में 293 विकेट हैं। यदि इस तिकड़ी में भारतीय स्पिनर अनिल कुंबले की बात करें तो उनके खाते में 132 टेस्ट मैचों के साथ 619 तथा 271 एक दिवसीय मैचों में 337 हैं। दुनिया की इस फिरकी तिगड़ी के रिकार्ड की तुलना में हालांकि मुरलीधरन भारी हैं जों 132 टेस्ट में विश्व रिकार्ड 792 विकेट लेने का तमगा अपने नाम कर चुके हैं। यदि उनके विवादित पहलु को छोड़ दें तो दुनिया के फिरकी गेंदबाजी में किसी के लिए भी उनका रिकार्ड तोड़ना उसी तरह मुश्किल होगा, जिस प्रकार दुनिया के महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के रिकार्ड को पकड़ना कोई भी बल्लेबाज नामुमकिन कहने को मजबूर है। जहां तक भज्जी का सवाल है उनके पास अभी तक 83 टेस्ट मैचों में 355 तथा 212 वनडे में 242 विकेट हैं। ऐसे में भला भज्जी मुरली के वारिस कैसे हो सकते हैं? बहरहाल, भारत के खिलाफ गाले में पहले टेस्ट मैच खेलने के बाद मुरलीधरन की टेस्ट कैरियर को अलविदा करने की घोषणा श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के लिए शुभ सूचना नहीं है, क्योंकि एक साल के भीतर चामुंडावास के बाद मुरलीधरन के सन्यास से श्रीलंका को ऐसे गेंदबाज पाना आसान नहीं है, जिनके बल पर श्रीलंका ने 1989 के भरत-पाक में हुए विश्वकप का ताज पहना था।

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