ओ.पी. पाल
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद अध्यक्ष पद पर विराजमान हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को अपने काम का बोझ कम करने का आग्रह किया है। शरद पवार का यह आग्रह केंद्रीय मंत्रिमंडल में कांग्रेस के साथ ही कई अन्य सहयोगी दलों के बांछें खिलाता नजर आ रहा है। चूंकि इसी माह केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार होने की चर्चा है इसलिए राज्यसभा पहुंचे लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान और रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह भी कांग्रेस से गठजोड़ के लिए सक्रिय नजर आ रहे हैं जिनकी मंशा केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की है?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने प्रधानमंत्री से अपने काम का बोझ कम करने का आग्रह प्रधानमंत्री से किया है, चूकिं वे हाल ही में आईसीसी के अध्यक्ष पद पर भी निर्वाचित हुए हैं इसलिए उनके ऊपर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का भार शायद मंत्रालय से कहीं ज्यादा है। कृषि मंत्रालय में शरद पवार के पास कृषि, उपभोक्ता मामले, सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसे चार विभाग है। यदि सरकार उनके विभागों को कम करती है तो जाहिर सी बात है वे किसी न किसी को दिये जाने हैं ऐसे में कांग्रेस के पास भी मंत्रालयों की संख्या बढ़ जाएगी तो यूपीए के सहयोगी दल भी अपने खाते में मंत्रालय आने की अपेक्षा निश्चित रूप से कर रहे होंगे। ऐसे में लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान भी कांग्रेस के संपर्क में बताए गये हैं जो हाल ही राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए हैं और इनके बारे में यही कहा जाता रहा है कि जब भी पासवान सांसद रहे वे केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे हैं चाहे सरकार राजग की रही हो या यूपीए या फिर जनमोर्चा की ही सरकार क्यों न रही हो। दूसरी और यह भी चर्चा है कि रालोद प्रमुख चौ. अजित सिंह भी यूपीए का हिस्सा बनना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस रालोद का कांग्रेस में मर्ज चाहती है। ऐसे में यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जा इसी माह केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होने की चर्चा है और कृषि मंत्री शरद पवार अपने काम का बोझ कम करने की गुजारिश कर चुके है तो कांग्रेस समेत अन्य सहयोगी दलों की बांछें खिलना स्वाभाविक है कि वह भी केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बन सकें। जहां तक केद्रीय मंत्रिमंडल में फेरादल की संभावनाओं का सवाल है उसमें चर्चा है कि स्पेक्ट्रम मामले पर विवादों से घिरे ए. राजा से दूरसंचार मंत्रालय छिन सकता है, जिसे रामविलास पासवान के यूपीए में शामिल होने पर दिया जा सकता है जो पहले भी इस मंत्रालय को संभाल चुके हैं। इससे केंद्र में बिहार का भी प्रतिनिधित्व हो जाएगा और यूपीए में घटक दल की संख्या भी बढ़ जाएगी। वहीं इसी दिशा में राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख की निगाहें भी केंद्रीय मंत्रिमंडल पर हैं जिन्हें शामिल करके कांग्रेस उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व की पूर्ति कर सकती है। इसी प्रकार उर्वरक और रसायन मंत्री अलगिरी पर भी गाज गिरने की संभावना है, जबकि शशि थरूर का स्थान पहले ही खाली हो चुका है, वहीं कई मंत्रियों के कामकाज पर उंगलियां उठ रही है, जिनके स्थान पर कांग्रेस केंद्र सरकार में अपनी रणनीति को तरोताजा करने के प्रयास में हैं। जहां तक शरद पवार के काम का बोझ कम करने का आग्रह का मामला है उसके लिए कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ओर राकांपा नेता प्रफ्फुल पटेल के बीच विचार विमर्श हो चुका है। कृषि मंत्रालय को दुरस्त रखना सरकार के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि आगामी संसद के मानसून सत्र में सरकार खाद्य सुरक्षा कानून लाना चाहेगी जिसमें कोई अड़चन न आए इसलिए कांग्रेस बेहद कूटनीतिक तरीके से मंथन कर रही है जिसमें कांग्रेस का मकसद संसद के दोनों सदनों में यूपीए का संख्या बल बढ़ाना भी है।
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