ओ.पी. पाल
दिल्ली में होने वाले 19वे राष्ट्रमंडल खेलों का उद्घाटन को लेकर छिड़ी बहस और अटकलों को आखिर विराम दे दिया गया और अंग्रेजों के न मानने पर आखिर ये तय हो ही गया कि उद्घाटन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल नहीं, बल्कि प्रिंस चार्ल्स ही करेंगे। हालांकि प्रोटोकॉल के आधार पर राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल का कद प्रिंस चार्ल्स से बड़ा है, लेकिन यह विडम्बना ही माना जाएगा कि भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पटिल एलिजाबेथ की गैरमौजूदगी में प्रिंस चार्ल्स से संदेश पढ़ने के बाद राष्ट्रमंडल खेलों को शुरू करने के लिए अनुमति लेंगी।
पिछले तीन दिन से राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के भारत न आने पर राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा पाटिल उदघाटन करके 44 साल पुरानी परंपरा तोड़ सकती थी, लेकिन महारानी एलिजाबेथ ने अपनी गैर मौजूदगी में प्रिंस चार्ल्स को राष्ट्रमंडल खेलों का आगाज करने की अनुमति देकर भारत भेजने का फैसला किया है। खेलों के उद्घाटन प्रतिभा पाटिल या प्रिंस चार्ल्स करेंगे इस बहस को विराम देते हुए ब्रिटेन के शाही परिवार ने मंगलवार को साफ कर दिया है कि महारानी एलिजाबेथ की नामौजूदगी में प्रिंस चार्ल्स ही 19वें कॉमनवेल्थ खेलों का उदघाटन करेंगे। राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह में भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल सिर्फ उद्घाटन संदेश पढ़ेंगी और प्रिंस चार्ल्स से पूछेंगी कि क्या खेल शुरू हों? हालांकि इससे पहले ये खबर आई थी प्रतिभा पाटिल खेल का आधिकारिक उदघाटन करेंगी और प्रिंस चार्ल्स सिर्फ महारानी की ओर से भेजा गया संदेश पढ़ेंगे। चूंकि महारानी खेलों में नहीं आ रही हैं और प्रोटोकॉल के मुताबिक राष्ट्रपति का पद ऊंचा है, ऐसे में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को गेम्स का शुभारंभ करना चाहिए था, लेकिन ब्रिटेन इसके लिए कतई राजी नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार सोमवार रात दोनों देशों के बीच बातचीत का लंबा दौर चला लेकिन बात नहीं बन सकी। गौरतलब है कि 1998 में जब मलेशिया में कॉमनवेल्थ खेल आयोजित हुए थे तो वहां के राजा ने औपचारिक उद्घाटन किया था। तब महारानी का प्रतिनिधित्व उनके बेटे एडवर्ड ने किया था। प्रिंस चार्ल्स की प्रवक्ता का कहना है कि राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन में प्रिंस आॅफ वेल्स और भारत की राष्ट्रपति की अहम भूमिका होगी। भारत की दलील है कि अगर परंपरा के मुताबिक ब्रिटेन की महारानी खेलों का उद्घाटन करतीं तो अच्छा होता। अब जब महारानी नहीं आ रही हैं तो ये काम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के हाथों होना चाहिए क्योंकि वो प्रिंस चार्ल्स से प्रोटोकॉल के हिसाब से बड़ी हैं। इसके लिए भारत ने अपना पक्ष रखते हुए मलेशिया का उदाहरण दिया है, जहां 1998 के मलेशिया राष्ट्रमंडल खेलों में भी महारानी नहीं गईं और उनकी जगह शाही परिवार के एक सदस्य को प्रतिनिधि के तौर पर भेजा गया था, ऐसे में खेलों का उद्घाटन मलेशिया के राजा के हाथों हुआ। भारत भी यही चाहता है कि प्रोटोकॉल के कारण राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को ये सम्मान मिलना चाहिए था, लेकिन अंग्रेजों की जिद के सामने यह सपना पूरा नहीं हो सकेगा।
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